क्या है अतिचारी होना : जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से तेज चलता है तो उसे अतिचारी कहते हैं। हालांकि ऐसा होता नहीं है वह ऐसा धरती से नजर आता है। गुरु एक राशि में करीब 1 साल तक रहते हैं। ऐसे में एक राशि में दोबारा आने में करीब 12 साल का वक्त लगता है। लेकिन इस बार गुरु 1 वर्ष से भी कम समय में वृषभ राशि में तेज गति से चलते हुए अगली राशि में वक्री गति करेंगे और पुन: वृषभ राशि में लौट आएंगे। ऐसा वे करीब 8 वर्षो तक करेंगे।
कर्क में गोचर : मिथुन राशि में बृहस्पति 18 अक्टूबर 2025 तक रहेंगे और इसके बाद तेज गति से कर्क राशि में चले जाएंगे। 11 नवंबर 2025 को गुरु ग्रह वक्री हो जाएंगे और 5 दिसंबर 2025 को पुनः मिथुन राशि में वापस लौट आएंगे। इसके बाद, गुरु 2 जून 2026 तक मिथुन राशि में रहने वाले हैं। इस तरह मार्गी और वक्री का उनका गोचर चलता रहेगा। कर्क में बृहस्पति नीच के हो जाते हैं। ALSO READ:
अतिचारी गति से क्या प्रभाव होगा:
1. मौसम में बदलाव: ज्योतिष के अनुसार 14 मई 2025 से गुरु के अतिचारी होने से धरती के मौसम में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिलेगा। बृहस्पति की इस असामान्य गति से धरती पर हलचल बढ़ जाएगी। बृहस्पति ग्रह जीवन, शीतलता, सुख, समृद्धि, उन्नति और बुद्धि प्रदान करता है परंतु जब इसकी चाल बिगड़ जाए तो भारी नुकसान देखने को मिलते हैं। बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा।
2. मानसिक स्थिति बिगड़ेगी: धरती के मौसम में बदलाव के चलते लोगों के शरीर के साथ ही इसका मन पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। लोगों की मानसिक स्थिति गड़बड़ा जाएगी।
3. राजनीतिक उथल पुथल: देश और दुनिया के राजनीतिक हालात और बिगड़ जाएंगे। कुछ देशों में सत्ता परिवर्तन हो सकता है। युद्ध के नए मोर्चे खुल सकते हैं। 8 वर्षों में दुनिया के कई देशों का भूगोल बदल जाएगा।
4. महामारी का नया दौर: ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि मौसम में बदलाव के चलते नई तरह की महामारियों का खतरा पैदा हो सकता है इसलिए लोगों को सावधानी से रहकर अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखना होगा।
नोट:
उल्लेखनीय है कि महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था और मौसम में बड़े बदलाव के चलते सरस्वती जैसी बड़ी नदी लुप्त हो गई थी और लाखों लोगों को एक से दूसरी जगह पलायन करना पड़ा था।
करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी। पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है। वर्ष 2019 से ही देश और दुनिया में तेजी से बदलाव हुआ है। कोरोना महामारी के बाद तो दुनिया पूरी तरह से बदल गई है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2025 में बदलाव का दूसरा चरण प्रारंभ होगा। ज्योतिष की दृष्टि से 2025 से लेकर वर्ष 2029 तक का समय सबसे खतरनाक बताया जा रहा है। इसके बाद दुनिया में शांति स्थापित होगी।
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