देहरादून के मशहूर पलटन बाज़ार में 9 मई 2025 को एक बार फिर हलचल मची। सुबह-सुबह घंटाघर से कोतवाली तक पुलिस ने अतिक्रमण के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया। इस दौरान सड़कों पर लगे फड़, ठेले और दुकानों के बाहर रखे सामान को हटाया गया। कई दुकानदारों के डमी और अन्य सामान भी पुलिस ने जब्त कर लिया। इस अभियान ने बाज़ार में एक अलग ही माहौल बना दिया।
एक तरफ लोग इसे व्यवस्था की दिशा में सकारात्मक कदम मान रहे थे, तो दूसरी तरफ कुछ व्यापारियों में डर और असमंजस का माहौल था। कई लोगों ने व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज मैसोंन को फोन कर पूछा कि आखिर पलटन बाज़ार में क्या हो रहा है। कुछ ने तो अफवाहें तक उड़ा दीं कि बाज़ार में झगड़ा हो गया या दुकानें बंद कर दी गई हैं।
इस अभियान के पीछे मकसद साफ था—पलटन बाज़ार को अवैध अतिक्रमण से मुक्त करवाना और सड़कों को सुचारु करना। लेकिन समय को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। देश इस वक्त सीमा पर तनाव से जूझ रहा है, ऐसे में 50 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया। स्थानीय व्यापारी रामेश्वर सिंह ने बताया कि अचानक पुलिस की गाड़ियां और हटाने की कार्रवाई देखकर लोग घबरा गए।
कुछ ग्राहक तो सामान छोड़कर चले गए, जिससे छोटे दुकानदारों को नुकसान हुआ। व्यापार मंडल ने मांग की है कि अगर अतिक्रमण हटाना ही है, तो इसे स्थायी रूप से लागू किया जाए। पलटन बाज़ार और डिस्पेंसरी रोड पर ठेले और फड़ पूरी तरह बंद किए जाएं, ताकि बाज़ार में व्यवस्था बनी रहे।
पलटन बाज़ार के व्यापारी पहले से ही रेंजर्स ग्राउंड में लगने वाले फड़ बाज़ार से परेशान हैं। उनका कहना है कि वहां सस्ते दामों पर सामान बिकने की वजह से पलटन बाज़ार में ग्राहकों की संख्या घट रही है। व्यापारी रमेश ने कहा, “हम मेहनत करके दुकान चलाते हैं, लेकिन ठेले वाले सड़क पर सस्ता सामान बेचकर हमारा धंधा चौपट कर रहे हैं।” व्यापार मंडल ने पुलिस प्रशासन से अपील की है कि बाज़ार को व्यवस्थित करने के लिए नियमित निगरानी की जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी अनधिकृत ठेला या फड़ बाज़ार में न लगे।
यह अभियान भले ही विवादों में घिर गया हो, लेकिन कई लोग इसे जरूरी मानते हैं। स्थानीय निवासी शांति देवी ने कहा, “पलटन बाज़ार में पैर रखने की जगह नहीं मिलती। ठेले और फड़ हटने से सड़कें खुली रहेंगी और खरीदारी करना आसान होगा।” दूसरी ओर, ठेले वालों का कहना है कि उनके पास रोज़ी-रोटी का कोई दूसरा जरिया नहीं है।
पुलिस और प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि व्यवस्था और आजीविका के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। पलटन बाज़ार के भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं, और सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह अभियान बाज़ार को नया रूप दे पाएगा या फिर यह एक बार की कार्रवाई बनकर रह जाएगा।
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