नैनीताल, 24 अप्रैल . हाई कोर्ट ने बिना न्याय विभाग की अनुमति के राज्य सरकार की ओर से शासनादेश के विरुद्ध जाकर हाई कोर्ट में कुछ विशेष मामलों में सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल काउंसिल बुलाने एवं उन्हें प्रति सुनवाई 8.5 लाख रुपये देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद याचिका को आधारहीन पाते हुए खारिज कर दिया.
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कुछ विशेष मामलों की पैरवी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के लिए न तो राज्य के मुख्य सचिव व ना ही न्याया विभाग से अनुमति ली गई. एक केस में स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के बाद लाखों रुपये का भुगतान कर दिया जबकि जिस दिन हाई कोर्ट में केस लगा हुआ था उस दिन कोर्ट के आदेश में संबंधित काउंसिल का नाम नहीं छपा था, जिसकी अनुमति शासनादेश नहीं देता. बिल उसी दिन का बनता है जिस दिन अधिवक्ता कोर्ट में पेश होता है. यहां तो बिना कोर्ट में पेश हुए लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया. ऐसे में इसकी जांच कराई जाए. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के लिए सरकार को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व न्याय विभाग की अनुमति लेनी आवश्यक होती है. उनकी स्वीकृति के बाद ही स्पेशल काउंसिल नियुक्त किया जा सकता है.
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/ लता
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