जबलपुर, 31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . शहर में संचालित अंजुमन इस्लामिया स्कूल पिछले एक साल से अपना अलग नियम चला रहा है. यहां sunday की जगह जुमा यानी शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश दिया जा रहा है. यह बात तब सामने आई जब किसी व्यक्ति ने स्कूल द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप की चैट पर दिए गए अभिभावकों को निर्देश वायरल कर दिए. इस बात ने पूरे शहर में चर्चा और विवाद दोनों को जन्म दे दिया है.
दरअसल स्कूल प्रबंधन ने शुक्रवार को अवकाश घोषित करते हुए sunday को स्कूल लगाने का फरमान जारी किया. जबकि यह सर्वविदित है कि पूरे देश में sunday को सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में साप्ताहिक अवकाश रहता है.
इस मामले में जब अंजुमन कमेटी के अध्यक्ष अनवर अन्नू से बात की गई तो उनका कहना था कि यह तो पिछले 1 साल से चल रहा है. हमारी छः स्कूल लगती हैं, उन स्कूलों में जुमा यानी शुक्रवार को अवकाश रहता है. उनसे जब इस बाबत पूछा गया कि आपने ऐसा निर्णय लेने के पहले क्या जिला शिक्षा अधिकारी या सरकारी तंत्र से अनुमति ली है, तो उनका स्पष्ट कहना था कि हमने कोई अनुमति नहीं ली. हमारी कमेटी में यह प्रस्ताव पारित हुआ और हमने यह लागू कर दिया. इसका मूल कारण यह है कि शुक्रवार जिस दिन जुमा रहता है उस दिन बच्चे नमाज के नाम पर चले जाते हैं, तो बच्चों की उपस्थिति कम रहती है. इसलिए हमने बच्चों का हित देखते हुए sunday को छोड़ जुमा यानी शुक्रवार को अवकाश घोषित किया है.
समिति के अध्यक्ष ने बताया कि यह एक साल पुराना निर्णय है, जिसे मुजम्मिल नाम के व्यक्ति ने अभी वायरल किया है. मुजम्मिल को किसी इल्जाम में अलग किया गया था. उसका विवाद चल रहा है इसलिए उसने यह सब वायरल किया. परंतु अध्यक्ष से जब यह पूछा गया कि आप धार्मिक बहुलता को लेकर सरकार के नियमों के खिलाफ कैसे निर्णय ले सकते हैं तो उनका कहना था कि अगर आपत्ति होगी तो हम अपना निर्णय बदल देंगे.
बहरहाल जो भी हो परंतु कमेटी ने अपने मन से जुमा यानी शुक्रवार को अवकाश घोषित करने का जो निर्णय लिया है इसके लिए किसी भी प्रकार की शिक्षा विभाग से अनुमति नहीं ली. कमेटी के इस मनमाने निर्णय से साबित होता है कि जिला शिक्षा अधिकारी या कलेक्टर उनके लिए कोई मायने नहीं रखते.
वही इस बाबत जब जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी से बात की गई तो उनका कहना था कि सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से यह बात पता चली है. मामले की जानकारी ली जा रही है और स्कूल प्रबंधन को बुलवाया गया है. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी से जब इस बाबत पूछा गया कि पिछले एक वर्ष से शहर में अंजुमन इस्लामिया स्कूल में शुक्रवार यानी जुमा को छुट्टी दी जा रही है क्या आपको जानकारी है. तो उनका कहना था कि अभी जो वर्तमान में एक स्कूल का पता चला है उसको लेकर प्रबंधन को बुलवाया जा रहा है. पिछले एक साल से अवकाश की मुझे कोई जानकारी नहीं है.
अब सवाल यह उठता है की शहर में पांच इस्लामिक स्कूलों में जुमा का अवकाश दिया जा रहा था, पर इस बाबत जिला शिक्षा अधिकारी को कोई जानकारी नहीं थी. यह शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नात्मक चिन्ह है. वहीं एक सवाल यह भी उठता है कि, क्या धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोई भी स्कूल अपने नियम लागू कर सकता है. यदि नहीं तो फिर अंजुमन इस्लामिया ने सरकार के नियमों के खिलाफ जाकर ऐसा करने की कोशिश क्यों की. शिक्षा एवं धार्मिकता को लेकर छिड़ी इस बहस में अनेक तर्क जन्म ले रहे हैं. जैसे कि धार्मिक बहुलता क्या शिक्षा के नियम तय कर सकती है. क्या देश में किसी शैक्षणिक संस्था को धार्मिक आधार पर अपनी छुट्टियाँ तय करने की अनुमति दी जा सकती है?
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एक स्कूल इस तरह का नियम लागू करता है, तो भविष्य में अन्य संस्थान भी धार्मिक कारणों का हवाला देकर छुट्टियों में बदलाव की मांग कर सकते हैं. शहर में इस निर्णय को लेकर एक बड़ी चर्चा का दौर शुरू हो गया है सरकार के नियमों के खिलाफ जाकर अपने नियम बनाने वाली अंजुमन इस्लामिया स्कूल पर अब क्या एक्शन होता है यह देखना है.
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
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