-सरकार किसी भी भाषा का विरोध नहीं करती : शाह
नई दिल्ली, 04 मई . केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए संघ और संस्कृत भारती ने एक मजबूत अभियान शुरू किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी भाषा का विरोध नहीं करती, बल्कि सभी भाषाओं को सशक्त बनाना चाहती है. यह बातें शाह ने संस्कृत भारती द्वारा आयोजित 1008 संभाषण शिविरों के समापन समारोह में कही.
अमित शाह ने कहा कि संस्कृत अधिकांश भारतीय भाषाओं की जननी है. यदि संस्कृत मजबूत होगी तो बाकी भाषाएं भी मजबूत होंगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. नई शिक्षा नीति में भी संस्कृत के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं.
शाह ने कहा कि संस्कृत के अमृत ज्ञान को सरल भाषा में दुनिया तक पहुंचाना जरूरी है. उन्होंने सभी से अपील की कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में सहयोग करें. उन्होंने बताया कि सरकार ने पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है.
इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी विचार रखे. उन्होंने कहा कि इन शिविरों में हजारों लोगों ने भाग लिया, जो मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत को कठिन मान लिया गया है, जबकि यह सबसे वैज्ञानिक भाषा है. आज दुनिया के 60 विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जा रही है.
संस्कृत की उपयोगिताओं को देखते हुए संस्कृत भारती ने दिल्ली के लोगों को संस्कृत बोलने का विशाल प्रशिक्षण शिविर चलाया. दिल्ली के सभी जिलों में 1008 स्थानों पर 23 अप्रैल से 03 मई तक संस्कृत संभाषण शिविरों का संचालन किया. दस दिनों तक रोजाना दो घंटे व्यवहारिक तरीकों से संस्कृत बोलना सिखाया गया. शिविरों के जरिए करीब 20 हजार प्रतिभागियों ने लिया. संस्कृत बोलना सीखने को लेकर प्रतिभागियों में उत्साह रहा. विभिन्न उम्र वर्ग के प्रतिभागी बच्चे, बड़े, बुजुर्ग, नौकरीशुदा, व्यापारी व गृहणियों ने संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण की खास बात यह रही कि दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षकों ने प्रतिभागियों को संस्कृत का व्यवहारिक ज्ञान दिया और उनकी शंकाओं का समाधान किया.
महाअभियान का समापन समारोह रविवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में खेल परिसर में हुआ. मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संघटन मंत्री जयप्रकाश और कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली संस्कृत भारती के प्रांतीय अध्यक्ष डॉक्टर वागीश बीजी ने की. स्वागत समिति के अध्यक्ष कुलभूषण आहूजा ने अतिथियों का स्वागत किया.
अतिथियों में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष डॉ बीएन गंगाधर, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष पद्म चमूकृष्ण शास्त्री, दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आशीष सूद, कला संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा, एम्स के निदेशक प्रो. श्रीनिवास, एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टीजी सीताराम, भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज, सांसद मनोज तिवारी, संस्कृत न्यास भारती के अध्यक्ष प्रवीनकांत, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, लाल बहादुर शास्त्री राष्टीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक आदि मौजूद रहे.
आज सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ शुरूआत हुई. इस दौरान कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इसमें अर्थशास्त्र, नाट्यशास्त्र, पर्यावरण, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, कला, वाणिज्य से जुड़ी वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई. समारोह में पांच हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया. दिल्ली में पहली बार इतने बड़े स्तर पर संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण दिया गया है.
अभियान में दिल्ली संस्कृत एकेडमी, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय संस्कृत एकेडमी, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भारतीय भाषा समिति, संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, दिल्ली शिक्षा विभाग व विभिन्न सामाजिक संगठनों का सहयोग रहा.
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/ धीरेन्द्र यादव
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