-मुख्यमंत्री ने लिखा ,संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए स्मरण किए जाएंगे
वाराणसी, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्व कुलपति एवं कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक (महाराष्ट्र) के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी और उनकी पत्नी बादामी देवी का सड़क हादसे में निधन हो गया। यह दुर्घटना शनिवार अलसुबह मऊ जनपद के दोहरीघाट थाना क्षेत्र में हुई। इस दुखद घटना पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी एवं उनकी धर्मपत्नी का सड़क दुर्घटना में निधन अत्यंत दुखद है। संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को सदगति एवं शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार, हादसे की सूचना मिलते ही कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ प्रोफेसर मऊ के पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। प्रो. त्रिपाठी एवं उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार रविवार सुबह 7:30 बजे वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा। अंतिम यात्रा अस्सी स्थित पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी के आवास से निकलेगी।
बताते चले पूर्व कुलपति प्रो. त्रिपाठी अपनी पत्नी के साथ अपने पैतृक गांव, चकिया (कुशीनगर) जा रहे थे। रास्ते में चालक को झपकी आने के कारण प्रो. त्रिपाठी स्वयं वाहन चला रहे थे। जैसे ही इनोवा कार मऊ जनपद के दोहरीघाट थाना क्षेत्र के अहिरानी गांव के पास पहुंची, सामने से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रेलर से भीषण टक्कर हो गई। टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि दोनों की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि चालक गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल चालक को तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दोहरीघाट ले जाया गया, जहां से उसे स्थिति गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
संस्कृत जगत को अपूरणीय क्षति
प्रो. हरेराम त्रिपाठी संस्कृत जगत के एक प्रतिष्ठित विद्वान थे। वे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रहे और हाल ही में उन्हें कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक का कुलपति नियुक्त किया गया था। संस्कृत शिक्षा और शोध में उनके योगदान को अकादमिक जगत हमेशा याद रखेगा।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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