– राज्यपाल ने ऑल इंडिया एनजीओ मीट को किया संबोधित
भोपाल, 12 नवम्बर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि ऑल इंडिया एन.जी.ओ. मीट का आयोजन जनजातीय विकास और उत्थान प्रयासों की दिशा में सराहनीय पहल है. देशभर के सभी एन.जी.ओ. जनजातीय समुदाय के सशक्तिकरण प्रयासों में सहभागी बनें.
राज्यपाल पटेल बुधवार को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती एवं जनजातीय गौरव वर्ष के उपलक्ष्य में भोपाल के कुशाभाऊ सभागार में आयोजित ऑल इंडिया एन.जी.ओ. मीट को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह भी मौजूद थे.
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जनजातीय समुदाय के प्रति विशेष संवेदनशील है. उनके उत्थान के लिए संकल्पित और सक्रिय हैं. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पीएम जनमन योजना अति पिछड़ी जनजातियों के सर्वांगीण विकास का अभूतपूर्व प्रयास है. धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान ग्रामीणों की मैदानी स्तर पर ही समस्याओं के समाधान का अभिनव कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि सभी एन.जी.ओ. जनजातीय कल्याण की योजनाओं को दूरस्थ अंचलो तक पहुँचाने में सक्रिय सहयोग करें. आप जब ग्रामीण अंचलों में जांए जो जनजातीय समुदाय के साथ आत्मीय और विनम्र रहें. उनकी समस्याओं को धैर्य के साथ सुनें और त्वरित निवारण करने का प्रयास करें.
चुनौतियों के व्यावहारिक समाधान पर चिंतन करें
राज्यपाल पटेल ने देशभर के एन.जी.ओ. का आह्वान किया कि ऑल इंडिया मीट के विचार-विमर्श और सुझावों पर गंभीर चिंतन करें. चुनौतियों का व्यावहारिक समाधान खोजे. जनजातीय सशक्तिकरण के लिए आवश्यक शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, ट्राईबल गवर्नेंस आदि विभिन्न आयामों को जनजातीय क्षेत्रों की भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुरूप लागू करने के नवाचार करें. उन्होंने कहा कि सभी एन.जी.ओ. जनजातीय समुदाय को शिक्षा का महत्व जरूर बताएं. उन्हें सिकल सेल एनिमिया सहित अन्य स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति जागरूक करें. उन्होंने जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास के चिंतन पर आधारित ऑल इंडिया एन.जी.ओ. मीट के आयोजन के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार का विशेष आभार व्यक्त किया.
राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समाज में भारत की संस्कृति, पर्यावरण और मानवीय मूल्यों की जड़ें गहराई तक बसी हैं. उनका जीवन दर्शन हमें सिखाता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य, आत्मनिर्भरता और सहयोग ही समावेशी विकास का आधार हैं. ऑल इंडिया एन.जी.ओ. मीट का आयोजन अत्यंत प्रासंगिक और समयानुकूल है. विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में देश जब आगे बढ़ रहा है, ऐसे में जरूरी है कि जनजातीय समाज की भागीदारी इस यात्रा का अभिन्न हिस्सा बने.
राज्यपाल पटेल ने कहा कि जनजातीय विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप ऐसा हो जो केवल साक्षरता तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उसमें जीवन कौशल, स्थानीय ज्ञान और संस्कृति संरक्षण का भी समावेश हो. अशासकीय संस्थाएँ, स्थानीय भाषा में पाठ्य सामग्री तैयार करें. डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देकर बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में बड़ा योगदान दिया जा सकता है. साथ ही स्वास्थ्य शिक्षा, मातृ-शिशु पोषण, टी.बी., सिकल सेल रोग जागरूकता और स्वास्थ्य शिक्षा को व्यापकता प्रदान करना भी जरूरी है.
नीति निर्माण में समर्पित संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका, राज्य सरकार देगी पूरा सहयोग
जनजाति कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि जनजाति बहुल क्षेत्रों में काम कर रहे समर्पित अशासकीय संस्थाओं को राज्य सरकार पूरा सहयोग देगी. उनकी विशेषज्ञता का लाभ लेते हुए जनजातीय कल्याण की कार्ययोजनाएं और रणनीतियां बनाई जाएंगी. उन्होंने कहा कि जनजातीय विकास की योजनाएं बनाने में जमीनी स्तर के सुझावों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. समर्पित स्वैच्छिक संगठन गहन रूप से सामाजिक आर्थिक संदर्भों में समस्याओं का परीक्षण करते हैं. जनजातीय समुदाय के आचार-व्यवहार को भी करीब से जानते हैं. उन्होंने जनजातीय समुदाय के उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे छोटी घटनाओं से सबक लेकर व्यापक जनहितैषी नीतियां बन जाती हैं. डॉ. शाह ने कहा कि सरकार, समुदाय और समर्पित सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर काम करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं.
उदघाटन सत्र के बाद विशेषज्ञ संस्थाओं के समूहों ने जनजातीय समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, वन अधिकार, शासन, प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर सुझाव दिए. ट्राइफेड की डीजीएम प्रीति मैथिल ने आजीविका पर अपने समूह का प्रस्तुतिकरण करते हुए बताया कि वित्तीय समावेश, आजीविका स्कूल, संसाधनों का एटलस, उद्यमिता विकास करने संबंधी सुझाव दिए और राज्य के लिए अपने विचार रखे.
जनजातीय समुदाय की शिक्षा और सशक्तिकरण में अशासकीय संगठनों की भूमिका, चुनौतियां एवं मुद्दे, वर्तमान में शिक्षा का स्तर, समग्र शिक्षा में संगठनों की भूमिका पर विशेषज्ञों ने चर्चा की. रामकृष्ण मिशन मेघालय के स्वामी अनुरागनंदा ने सत्र की अध्यक्षता की. स्वामी विवेकानंद यूथ मूवमेंट कर्नाटक के प्रवीन कुमार सैयापराजु ने विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया. उन्होंने कहा कि ड्रॉप आउट की चुनौती को नियमित संपर्कों से दूर किया जा सकता है.
जनजातीय समुदाय की महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण से जुड़ी समस्याओं और चुनौतियां, टीकाकरण एवं अन्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की पहुंच बढ़ाने, टेली मेडिसिन, एमहेल्थ जैसे आधुनिक हस्तक्षेप से स्वास्थ्य सेवा बढ़ाने में अशासकीय संगठनों की भूमिका पर विचार हुआ. विवेकानंद मेडिकल मिशन वायनाड केरल के सुरेश ने सत्र की अध्यक्षता की. डॉ. सलोनी सिडाना एमडी नेशनल हेल्ड मिशन ने स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाय संबंधी कठिनाइयों की चर्चा करते हुए बताया कि भाषा और भौगोलिक दूरी बड़ी समस्या है.
ट्राइफेड की डीजीएम प्रीति मैथिल ने जनजाति अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याओं, और आजीविका बढ़ाने, जनजातीय युवाओं में उद्यमिता बढ़ाने, आजीविका के नए अवसर, स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक उद्यमिता को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर स्वैच्छिक संगठनों ने अपने विचार रखे. Rajasthan बाल कल्याण समिति उदयपुर के मुकेश गौर ने सत्र की अध्यक्षता की.
मीनाक्षी सिंह ट्राइबल सेल राजभवन ने जनजातीय विकास एवं शासन प्रशासन से जुड़े विषयों, राज्य की भूमिका, पंचायत राज संस्थाओं, ग्राम सभा पारंपरिक जनजातीय संस्थाओं जनजाति विकास एजेंसियों की भूमिकाओं पर चर्चा की. शिव गंगा झाबुआ के पद्म महेश शर्मा ने सत्र की अध्यक्षता की.
(Udaipur Kiran) तोमर
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