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भैरबी-साईरंग रेल परियोजना पूर्ण होने की ओर अग्रसर

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-मिजोरम को निर्बाध रेल कनेक्टिविटी मिलेगी

गुवाहाटी, 18 अक्टूबर . भारतीय रेल विभिन्न नई रेल लाइन परियोजनाओं का निष्पादन कर पूर्वोत्तर राज्यों के कायाकल्प की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दे रही है. पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम की राजधानी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली भैरबी-साईरंग नई लाइन रेलवे परियोजना ऐसी ही एक परियोजना है, जो पूर्ण होने के अग्रिम चरण में है. भैरबी और साईरंग के बीच 51.38 किमी लंबी नई लाइन को चार सेक्शनों में विभाजित किया गया है, जिसमें भैरबी-होरटोकी, होरटोकी-कौनपुई, कौनपुई-मुआलखांग और मुआलखांग-साईरंग. 17.38 किमी लंबी भैरबी-होरटोकी सेक्शन जुलाई, 2024 को पूरा करने के बाद चालू कर दिया गया तथा अगस्त, 2024 से रेल सेवा चालू है. पूरी परियोजना एक बार संपूर्ण हो जाने पर यह मिजोरम के लोगों के लिए संचार और वाणिज्य के मामले में एक बड़ा परिवर्तनकारी परियोजना होगा. किफायती और पर्यावरण अनुकूल रेल सेवाओं का इस राज्य में लगभग सभी विकास कार्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि भैरबी-साईरंग रेल परियोजना में दुर्गम क्षेत्रों में कई सुरंगों और पुलों का निर्माण कार्य शामिल हैं. इस परियोजना में सुरंगों की कुल लंबाई 12853 मीटर है, जिसमें से 12807 मीटर सुरंग बनाने का काम पूरा हो चुका है. इस परियोजना में कुल 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल हैं. साईरंग स्टेशन के पहुंच पर पुल संख्या 196 के स्तंभ पी-4 का निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है, जो परियोजना का सबसे ऊंचा स्तंभ है. इसकी ऊंचाई 104 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 42 मीटर ऊंचा है. इस परियोजना में 5 रोड ओवर ब्रिज और 6 रोड अंडर ब्रिज भी शामिल हैं. इस परियोजना में चार स्टेशन होंगे- होरटोकी, कौनपुई, मुआलखांग और साईरंग. इस परियोजना के निष्पादन में कई चुनौतियां जैसे मिजोरम में लंबे समय तक मानसून रहने के कारण काम करने का काफी कम अनुकूल मौसम, घने जंगलों से गुजरने वाले दुर्गम और पहाड़ी इलाके, खराब पहुंच, निर्माण सामग्री और कुशल श्रम की अनुपलब्धता आदि के बावजूद पूसीरे इस परियोजना को जल्द से जल्द चालू करने की अपनी प्रतिबद्धता को साकार करने के लिए सभी प्रकार के प्रयास कर रही है.

उन्होंने कहा कि यह नई रेल परियोजना मिजोरम के लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, इस क्षेत्र में लघु उद्योगों को विकसित करने में मदद करेगी और राज्य के पर्यटन को बढ़ावा प्रदान करेगी. यह परियोजना स्थानीय आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस पहाड़ी राज्य में यात्रियों और विभिन्न सामग्रियों एवं वस्तुओं के परिवहन पर होने वाले खर्च में काफी कमी आयगी. मिजोरम की राजधानी और असम के आस-पास के स्थानों के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा. इस क्षेत्र के लोगों को देश भर में लंबी दूरी की पहुंच और आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति मिलेगी.

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/ अरविन्द राय

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