ईपीएफओ ने जानकारी नहीं मिलना बताकर खारिज किए आवेदन, अगली सुनवाई पांच दिसंबर को
जोधपुर, 06 नवम्बर (Udaipur Kiran) . Rajasthan हाईकोर्ट में Rajasthan राज्य पथ परिवहन निगम (आरएसआरटीसी) के पांच रिटायर्ड परिचालकों ने हायर सैलरी के आधार पर पेंशन से वंचित किए जाने के खिलाफ रिट याचिका पर न्यायमूर्ति मुन्नूरी लक्ष्मण की कोर्ट ने आरएसआरटीसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने तीन सप्ताह में नोटिस का जवाब देने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर को निर्धारित की गई है.
याचिकाकर्ताओं में कुचामन सिटी निवासी सीताराम रांकावत (63 वर्ष), सुजानगढ़ निवासी भंवरलाल जाट (64 वर्ष), किकराल्या निवासी सज्जन कुमार पारीख (65 वर्ष), आलोदा निवासी सुभाष चंद्र पारीख (65 वर्ष) और सांवलोदा निवासी दीनदयाल जांगिड़ (68 वर्ष) शामिल हैं. ये सभी आरएसआरटीसी के अजमेर और सीकर डिपो में परिचालक के पद पर कार्यरत थे. इनकी तरफ से अधिवक्ता हरि प्रसाद रांकावत और राजेंद्र सिंह ने कोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ताओं ने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ सेवानिवृत्ति तक अपनी सेवाएं दीं. उन पर कभी किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं लगा. वकील ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम 1952 में वर्ष 1995 में पेंशन योजना जोड़ी गई थी. भारत सरकार ने 22 अगस्त 2014 की अधिसूचना द्वारा कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में संशोधन किया, जिसके तहत उच्चतर वेतन पर पेंशन का प्रावधान किया गया. वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उच्चतर वेतन पर पेंशन का लाभ प्राप्त करने हेतु संयुक्त विकल्प पत्र भरे और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा करवाए. ईपीएफओ ने 18 नवंबर 2024 को आरएसआरटीसी के मुख्य प्रबंधक व निदेशक को पत्र लिखकर कर्मचारियों का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, ताकि उन्हें उच्चतर वेतन पर पेंशन का लाभ दिया जा सके. मुख्य प्रबंधक निदेशक के कार्यालय ने 22 जनवरी 2025 को ईपीएफओ पेंशन कमिश्नर को सूचित किया कि मांगी गई आवश्यकताएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं.
ईपीएफओ के निर्देश के बावजूद अस्वीकृति
वकील ने बताया कि ईपीएफओ ने 23 मई के अपने पत्र में सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिए थे कि उच्चतर वेतन पर पेंशन के आवेदनों की अस्वीकृति दर असाधारण रूप से अधिक पाई गई है. संगठन ने स्पष्ट किया था कि आवेदनों को मामूली तकनीकी त्रुटियों के आधार पर अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. इसके बावजूद याचिकाकर्ताओं के आवेदन पत्र अस्वीकृत कर दिए गए. याचिकाकर्ताओं ने 11 जुलाई को विधिक नोटिस जारी किया, लेकिन ईपीएफओ ने 23 जुलाई को जवाब में बताया कि आवेदन अस्वीकार कर दिए गए हैं.
एक कर्मचारी को मिला लाभ, बाकियों को नहीं
वकील ने कोर्ट का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि ईपीएफओ के जोधपुर क्षेत्रीय कार्यालय ने कर्मचारी भंवरलाल विश्नोई के संबंध में 23 अप्रैल को मांग पत्र जारी किया और उन्हें उच्चतर वेतन पर पेंशन का लाभ दे दिया. यह भेदभावपूर्ण रवैया है. जब एक कर्मचारी को लाभ दिया जा सकता है, तो याचिकाकर्ताओं को क्यों नहीं? वकील रांकावत ने बताया कि आरएसआरटीसी ने 27 अप्रैल 2023 के अपने पत्र में ईपीएफओ पेंशन कमिश्नर को सूचित किया था, कि निगम ने वास्तविक वेतन के आधार पर भविष्य निधि में अंशदान दिया है और 8.33 प्रतिशत ईपीएफओ में जमा करवाया है. इस स्थिति में ईपीएफओ द्वारा याचिकाकर्ताओं के संयुक्त विकल्प पत्रों को अस्वीकार करने का कोई आधार नहीं था. याचिकाकर्ताओं को केवल इसलिए दंडित नहीं किया जा सकता क्योंकि विभागों के बीच समन्वय की कमी है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए बताया कि याचिकाकर्ता इस लाभ के पात्र हैं. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार ने 21 अप्रैल 2025 को केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त को निर्देश दिया था कि उच्चतर वेतन पर पेंशन के मामलों का निपटारा सुनिश्चित किया जाए और 9.58 लाख अपात्र आवेदनों की पुन: जांच कैग सूचीबद्ध सीए फर्मों के पैनल से करवाई जाए.
(Udaipur Kiran) / सतीश
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