लखनऊ, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) . Uttar Pradesh सरकार ने राइस मिलर उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तथा नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई को प्रोत्साहित करने के लिए इसके रिकवरी प्रतिशत में एक प्रतिशत की छूट देने का ऐलान किया है. इस छूट से चावल मिलें सरकारी क्रय केन्द्रों पर खरीदे गये नान हाईब्रिड धान की कुटाई करने के लिए प्रोत्साहित होंगी तथा चावल मिलों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
उक्त जानकारी प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने मंगलवार को लोकभवन में पत्रकार वार्ता के दौरान दी. मंत्री खन्ना ने बताया कि इस निर्णय से चावल मिल उद्योग को नई ऊर्जा प्राप्त होगी व चावल मिल उद्योग सुदृढ़ होगा तथा उद्यमियों का चावल मिल उद्योग लगाने के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा. इससे राइस मिलों में कार्यरत लगभग 2 लाख लोगों के रोजगार में सुदृढ़ता आएगी तथा राईस मिलों से जुड़े अनुमानित 13 से 15 लाख किसान लाभान्वित होंगे.
नॉन हाइब्रिड की कुटाई में रिकवरी प्रतिशत की छूट की मात्रा के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा अपने बजट से इस वर्ष से किया जाएगा, जिसके लिए अनुमानित रू 166.51 करोड़ धनराशि अनुमानित की गयी है.
वित्त मंत्री ने बताया कि विगत वर्षों में कतिपय चावल मिलें ऐसी थीं, जो नान हाईब्रिड धान की रिकवरी प्रतिशत कम होने के कारण सरकारी क्रय केन्द्रों के धान की कुटाई में रूचि नहीं लेती थीं. चावल मिलों के पास पर्याप्त पूँजी न होने के कारण वे अपनी मशीनों को समय से आधुनिकीकृत नहीं कर पाती थी. अब छूट की प्रतिपूर्ति से प्राप्त धनराशि को वे अपनी क्षमता को बढ़ाने में व्यय कर सकेंगी, जिससे प्रदेश में धान कुटाई की अतिरिक्त क्षमता सृजित होगी. खन्ना ने बताया कि पूरे देश में धान से चावल निर्मित करने के लिए 67 प्रतिशत रिकवरी निर्धारित की गयी है. जब प्रदेश सरकार को इस समस्या से अवगत कराया गया कि हाइब्रिड धान की कुटाई में ब्रोकन राइस का प्रतिशत ज्यादा होने के कारण रिकवरी कम प्राप्त होती है तो सरकार द्वारा इसका संज्ञान लेते हुए वर्ष 2018-19 से चावल मिलर्स को कुटाई में 3 प्रतिशत रिकवरी की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार के बजट से की जा रही है. विगत वर्ष इस मद में लगभग रू० 94.79 करोड़ की प्रतिपूर्ति चावल मिलर्स को की गयी.
उन्होंने बताया कि इस वर्ष सरकार के संज्ञान में लाया गया कि नॉन-हाइब्रिड धान में भी अपेक्षित रिकवरी प्राप्त नहीं हो रही है, जिससे राइस मिलों के अस्तित्व पर संकट आ सकता है. प्रदेश की चावल मिलों को प्रोत्साहित करने के लिए इस वर्ष से नॉन हाईब्रिड धान की कुटाई में भी रिकवरी में 01 प्रतिशत की छूट की मात्रा के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा अपने बजट से की जायेगी, जिसमें लगभग रू0 166.51 करोड़ की धनराशि व्यय होगी. इससे धान की देशी प्रजातियों की बुआई को बढ़ावा भी मिलेगा. केन्द्रों पर खरीद बढ़ जाने के फलस्वरूप बाहर के प्रदेशों से Indian खाद्य निगम द्वारा पीडीएस योजना में वितरण के लिए चावल की रैक प्रदेश के बाहर से नहीं मंगानी पड़ेगी, जिससे केन्द्र सरकार की इन रैकों पर व्यय होने वाली धनराशि की बचत होगी.
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
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