उदयपुर, 26 अप्रैल . जिले के बछार गांव में शनिवार सुबह कैली तालाब के समीप वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे में एक लेपर्ड कैद हो गया. क्षेत्र में पिछले कई दिनों से सक्रिय लेपर्ड के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने सूचना मिलते ही वन विभाग को सूचित किया. विभाग की टीम मौके पर पहुंची और लेपर्ड को सुरक्षित रेस्क्यू कर उदयपुर ले गई.
ग्रामीणों के अनुसार, बछार गांव और आस-पास के इलाकों में तीन लेपर्ड लगातार देखे जा रहे थे, जो गांव के बाड़ों में घुसकर मवेशियों का शिकार कर रहे थे. इससे न केवल भय का वातावरण बन गया था, बल्कि पशुधन की हानि के चलते ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा. परेशान ग्रामीणों ने वन विभाग से सहायता की गुहार लगाई थी, जिसके बाद विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को क्षेत्र में पिंजरा लगाया. अधिकारियों के अनुसार, पिंजरे में मांस रखकर लेपर्ड को आकर्षित किया गया था. शनिवार सुबह ग्रामीणों ने जब पिंजरे में लेपर्ड को फंसा देखा, तो तुरंत सूचना दी गई. इसके बाद रेस्क्यू टीम ने पूरी सावधानी से लेपर्ड को पकड़ा और सुरक्षित स्थान पर ले जाकर विभागीय संरक्षण में रखा.
हालांकि एक लेपर्ड के पकड़े जाने से कुछ राहत मिली है, लेकिन क्षेत्र में अभी भी दो अन्य लेपर्ड सक्रिय हैं. वन विभाग ने पुष्टि की है कि उनकी तलाश जारी है. अतिरिक्त पिंजरे लगाए जा रहे हैं और निगरानी भी बढ़ा दी गई है. वनकर्मी लगातार क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं ताकि शेष लेपर्ड को भी शीघ्र पकड़ा जा सके और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे सतर्क रहें, रात के समय अकेले बाहर न निकलें और मवेशियों को सुरक्षित बाड़ों में रखें. साथ ही, किसी भी वन्यजीव गतिविधि की सूचना तत्काल विभाग को दें. अधिकारियों ने यह भी कहा है कि रणथम्भौर और अन्य अभयारण्यों की तरह, उदयपुर के ग्रामीण इलाकों में भी मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं. दीर्घकालिक समाधान के लिए विभाग जल्द ही जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू करेगा ताकि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके.
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/ रोहित
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