भोपाल, 21 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh में दीपावली पर रातभर आतिशबाजी हुई. इसके साथ एक बार फिर वायु गुणवत्ता पर संकट गहरा गया. प्रदेश के कई प्रमुख शहरों में दिवाली की रात पटाखों की अधिकता, ठंडी हवा और कम वायु प्रवाह के चलते वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच गया. जो हवा Monday की शाम 5 बजे तक सामान्य थी, वह कई शहरों में रात 9 बजे के बाद जहरीली हो गई. प्रदूषण से भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, सागर और सिंगरौली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार पहुंच गया है, जो खराब हवा की श्रेणी में आता है.
Madhya Pradesh प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, दीपावली की रात पटाखों के विस्फोट से निकलने वाले सूक्ष्म कण में भारी वृद्धि देखी गई. इसके साथ ही रात के समय तापमान में गिरावट और वायु गति कम होने से ये प्रदूषक हवा में जमे रह गए और एकक्यूआई कई घंटों तक बहुत खराब और गंभीर श्रेणी में बना रहा. इंदौर की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जहां छोटी ग्वालटोली में एक्यूआई 361 पर पहुंच गया. भोपाल के कोहेफिजा में 336, ग्वालियर के महाराज बाड़ा में 333, सागर में 341 और सिंगरौली में 306 एक्यूआई रहा. इन शहरों में मंगलवार सुबह तक हवा इतनी खराब हो गई कि लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई.
दीपावली की शाम 5 बजे तक अधिकतर शहरों की हवा “संतोषजनक से मध्यम” श्रेणी में थी, लेकिन रात 9 बजे तक एक्यूआई तेजी से बढ़ा और अगली सुबह 9:30 बजे यह सभी बड़े शहरों में 300 के पार पहुंच गया. औसतन सिर्फ 16 घंटे में प्रदेश की हवा 150 से 250 एक्यूआई तक अधिक प्रदूषित हो गई.
विशेषज्ञों के अनुसार, जब एक्यूआई 300 के पार पहुंचता है, तो वह बहुत खराब श्रेणी में आता है. ऐसे में हवा में मौजूद सूक्ष्म कण फेफड़ों तक पहुंचते हैं, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वास संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस के रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. र्यावरण विशेषज्ञ कहते हैं कि यह समय सिर्फ उत्सव मनाने का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से पेश आने का है. हर साल दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता गिरती है, और इसका असर आने वाले हफ्तों तक रहता है. समाज को मिलकर प्रदूषण रोकने की दिशा में गंभीर कदम उठाने होंगे.मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस साल ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अपील की थी, लेकिन इसका व्यापक असर देखने को नहीं मिला. आने वाले समय में सख्त निगरानी और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है, ताकि हवा में जहर घुलने से रोका जा सके.
पर्यावरण विशेषज्ञ सुभाष सी पांडे का कहना है कि रातभर पटाखे चलने और ठंडी हवा से प्रदूषक तत्व जैसे हानिकारक गैसें और धूल के बारीक कण नीचे बैठ जाते हैं, जिससे कि हवा पहले की तुलना में और अधिक दूषित रहती है. उन्होंने कहा कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से 500 के बीच खतरनाक होता है. प्रदूषण से आंखों, गले और त्वचा में जलन, सांस लेने में दिक्कत, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. वहीं, तेज पटाखों की आवाज से कानों में घंटी बजना, सुनने में कठिनाई और नींद में खलल जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
(Udaipur Kiran) तोमर
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