देहरादून, 12 अगस्त (Udaipur Kiran) । दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से मंगलवार को डॉ. रंगनाथन की जयंती पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गाेष्ठी में वक्ताओं ने डिजिटल लाइब्रेरी की चुनौती और कृत्रिम बुद्धिमता पर चर्चा की।
पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपच्याल ने गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि लाइब्रेरी की अपनी एक विशिष्ट पहचान होनी चाहिए। दून लाइब्रेरी में हिमालय से सम्बन्धित अधिक पुस्तकें रखी जा रही हैं। गाेष्ठी में दून विश्वविद्याल के पुस्तकालयाध्यक और मुख्य अतिथि डॉ. आशीष कुमार ने डिजिटल लाइब्रेरी की चुनौती पर चर्चा की। उन्हाेंने पुस्तकों और पुस्तकालय के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध जनकवि व लेखक डॉ. अतुल शर्मा ने कहा कि हर घर में निजी लाइब्रेरी होनी चाहिए जो कि बहुत अति आवश्यक होती है।लेखक होने के नाते शब्द का घर पुस्तकें है और पुस्तकों का घर है लाइब्रेरी।
गाेष्ठी में मीनाक्षी कुकरेती ने कृत्रिम बुद्धिमता व पुस्तकालय के महत्व पर विचार रखे। जय भगवान गोयल ने अतिथि का स्वागत किया और डाॅ रंगनाथन के बारे में जानकारी दी। गाेष्ठी में मेघा विल्सन ने बाल अनुभाग की गतिविधियों पर एक वीडियो भी दिखाया गया।
इस कार्यक्रम मे डाॅ. लालता प्रसाद, रिषभ बडोनी, उत्सव बडोनी, लक्ष्य सिह महर ने भी अपने विचार रखे। वैदेही भट्ट ने भरतनाट्यम कर सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने किया। इस माैके पर पीताम्बर जोशी, डॉ. लालता प्रसाद, हरिचंद निमेश, एसपी रतूड़ी, रमेश गोयल सहित दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के कर्मी और सदस्याें के अलावा अन्य लाेग उपस्थित रहे ।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
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