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BJP सांसद निशिकांत दुबे का एसवाई कुरैशी पर तीखा हमला: वक्फ अधिनियम को बताया मुस्लिमों की जमीन हड़पने की साजिश

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निशिकांत दुबे का कुरैशी पर हमला

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी पर कड़ी आलोचना की। दुबे ने कुरैशी के वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को 'मुस्लिमों की जमीन हड़पने की साजिश' कहने पर तीखा जवाब दिया। उन्होंने कुरैशी पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और धार्मिक आधार पर देश को बांटने का आरोप लगाया।


कुरैशी को मुस्लिम आयुक्त बताया

दुबे ने एक्स (X) पर एक पोस्ट में लिखा कि एसवाई कुरैशी भारत के चुनाव आयुक्त नहीं, बल्कि मुस्लिमों के चुनाव आयुक्त थे। उन्होंने यह भी कहा कि कुरैशी के कार्यकाल के दौरान झारखंड के संथाल परगना में सबसे अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर बनाया गया।


कुरैशी को इतिहास पढ़ने की सलाह

दुबे ने अपनी पोस्ट में कुरैशी को सलाह दी कि उन्हें इतिहास का अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस देश को पहले ही धर्म के आधार पर विभाजित किया जा चुका है और अब और विभाजन नहीं होना चाहिए।


वक्फ अधिनियम पर विवाद

17 अप्रैल को, जब सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम की कई धाराओं पर रोक लगाई, तब एसवाई कुरैशी ने ट्वीट किया कि यह अधिनियम मुस्लिमों की जमीन हड़पने की एक भयावह साजिश है। दुबे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान का निर्माण भी धर्म के आधार पर हुआ था और हमें देश को एकजुट करना चाहिए।


विक्रमशिला विश्वविद्यालय का उल्लेख

दुबे ने अपने गांव विक्रमशिला का जिक्र करते हुए कहा कि इसे 1189 में बख्तियार खिलजी ने जलाया था। उन्होंने कहा कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को पहला कुलपति आतिश दीपंकर दिया।


सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए

शनिवार को, दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट को ही बनाना है, तो संसद को बंद कर देना चाहिए।


सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को एक सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि 5 मई तक कोई नई नियुक्ति नहीं होगी और संपत्ति की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।


संसद में हंगामा

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को संसद में तीखी बहस के बाद पारित किया गया था। राज्यसभा में 128 सदस्य इसके पक्ष में थे, जबकि 95 ने इसका विरोध किया। लोकसभा में 288 सदस्यों ने पक्ष में और 232 ने विरोध में मतदान किया।


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