नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बेंगलुरु और इस्कॉन मुंबई के बीच मंदिर के हक को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद का निपटारा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए फैसला सुनाया कि बेंगलुरु में स्थित हरे कृष्ण हिल मंदिर पर इस्कॉन बेंगलुरु का हक होगा। इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस्कॉन मुंबई को हरे कृष्ण हिल मंदिर का मालिकाना हक दिया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए. एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने पिछले साल 24 जुलाई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में मई 2011 में अपना फैसला सुनाया था। कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को इस्कॉन बेंगलुरु ने जून 2011 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। यह दूसरी बार है जब इस मामले में निचली अदालत का फैसला पलटा गया है। सबसे पहले बेंगलुरु की निचली अदालत ने इस मामले में साल 2009 में बेंगलुरु इस्कॉन के पक्ष में निर्णय दिया था। तब इस्कॉन मुंबई ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए इस्कॉन मुंबई को मंदिर का नियत्रंण दिया। फिर इस्कॉन बेंगलुरु ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की। इस तरह से लगभग 16 साल पुराने मामले में शीर्ष अदालत ने आज अपना फैसला सुनाया है।
एक ही संस्था के बीच मंदिर के मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के कारण यह मामला खासा चर्चा में रहा था। दरअसल, इस्कॉन मुंबई का कहना था कि इस्कॉन बेंगलुरु उसकी ही एक शाखा है। इस कारण से इस्कॉन बेंगलुरु से जुड़ी सभी मंदिर और संपत्ति पर इस्कॉन मुंबई का ही अधिकार है। इसके विपरीत इस्कॉन बेंगलुरु ने दावा किया था कि वह लंबे समय से स्वतंत्र रूप से काम करते हुए बेंगलुरु के मंदिर का मैनेजमेंट संभाल रही है इसलिए उस पर अधिकार भी उसी का है।
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