भारतीय रेलवे ने बुज़ुर्ग यात्रियों (सीनियर सिटिज़न) का सफर आसान और आरामदायक बनाने के लिए कई अच्छी सुविधाएं शुरू की हैं। इनमें निचली बर्थ (लोअर बर्थ) का आरक्षण और अलग टिकट काउंटर जैसी चीज़ें शामिल हैं। इन कदमों से बुज़ुर्गों को यात्रा करने में काफी सुविधा हो रही है। रेलवे का कहना है कि पिछले कुछ सालों में करोड़ों लोगों ने ट्रेन से सफर किया है, जिनमें बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं।
लोअर बर्थ का खास इंतज़ाम
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है कि अब बुज़ुर्गों और 45 साल या उससे ज़्यादा उम्र की महिलाओं के लिए ट्रेनों में अपने आप निचली बर्थ (लोअर बर्थ) आरक्षित करने का इंतज़ाम किया गया है। हालांकि, यह सीट खाली होने (उपलब्धता) पर ही निर्भर करता है। इसका मकसद उन्हें सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव देना है।
किस क्लास में कितनी निचली बर्थ का कोटा?
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स्लीपर क्लास: हर कोच में 6 से 7 निचली बर्थ
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3AC (एसी 3-टियर): हर कोच में 4 से 5 निचली बर्थ
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2AC (एसी 2-टियर): हर कोच में 3 से 4 निचली बर्थ
(यह कोटा ट्रेन में उस क्लास के कितने डिब्बे हैं, इस पर भी निर्भर करता है)
इतना ही नहीं, अगर यात्रा के दौरान कोई निचली बर्थ खाली होती है, तो उसे भी प्राथमिकता के आधार पर किसी ज़रूरतमंद बुज़ुर्ग, दिव्यांग या गर्भवती महिला को देने का नियम है। लोकल ट्रेनों (उपनगरीय खंड) के सेकंड क्लास डिब्बों में भी बुज़ुर्गों के लिए जगह का प्रावधान किया गया है।
रेलवे की सब्सिडी
रेलवे का कहना है कि वह समाज के सभी लोगों को सस्ती यात्रा सुविधा देने की कोशिश करती है। साल 2022-23 में रेलवे ने यात्री टिकटों पर करीब 57,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी (छूट) दी थी। यानी, रेलवे में सफर करने वाले हर व्यक्ति को औसतन 46% की रियायत मिलती है।
अन्य सुविधाएं:
अलग टिकट काउंटर: रेलवे स्टेशनों पर टिकट बुकिंग (यात्री आरक्षण प्रणाली – PRS) के लिए अलग काउंटर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि बुज़ुर्गों को लाइन में ज़्यादा इंतज़ार न करना पड़े। ये काउंटर मांग और जगह की उपलब्धता के हिसाब से खोले जाते हैं।
बैटरी वाली गाड़ियां: कुछ खास और बड़े स्टेशनों पर बुज़ुर्गों, दिव्यांगों, बीमार यात्रियों और गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए बैटरी से चलने वाली गाड़ियों (Battery Operated Vehicles – BOVs) की सुविधा भी शुरू की गई है।
व्हीलचेयर और अन्य मदद: स्टेशनों पर व्हीलचेयर भी उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा, रैंप, लिफ्ट, एस्केलेटर (स्वचालित सीढ़ियां) और मदद के लिए ‘आई हेल्प बूथ’ जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं।
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