कई लोगों के मन में यह सवाल भी होता है कि बच्चों के पहले दाँतों को ब्रश करना कब शुरू करें, उनके दाँतों के लिए कौन सा टूथपेस्ट चुनें। बच्चे का पहला दाँत निकलते ही ब्रश करना शुरू कर देना चाहिए। अगर शुरुआती दिनों से ही इस आदत को दिनचर्या में शामिल कर लिया जाए, तो बच्चों के दाँत और मसूड़े लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं और इससे आगे चलकर दंत रोगों का खतरा भी कम होता है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता यह सोचते हैं कि दूध के दांतों की देखभाल उतनी ज़रूरी नहीं है, क्योंकि वे बाद में बदल जाएँगे, लेकिन यह सोच गलत है। दूध के दांत स्थायी दांतों की नींव होते हैं। अगर उनकी ठीक से देखभाल न की जाए, तो बच्चे को कम उम्र में ही दांतों में सड़न, कैविटी और मसूड़ों की समस्या हो सकती है।विशेषज्ञों का कहना है कि सुबह और रात दोनों समय ब्रश करना बहुत ज़रूरी है। बच्चे दिन में जो कुछ भी खाते हैं, उसका सबसे पहला असर उनके दांतों पर दिखता है। खासकर अगर वे रात में ब्रश नहीं करते, तो खाने के कण दांतों में फंस जाते हैं, जिससे बैक्टीरिया तेज़ी से पनपते हैं और दांत कमज़ोर होने लगते हैं। इसलिए, सोने से पहले ब्रश करना उतना ही ज़रूरी है जितना सुबह।ब्रश चुनते समय सावधानी बरतना ज़रूरी है। बच्चों को हमेशा उनकी उम्र के हिसाब से बने छोटे टूथब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके ब्रिसल्स बहुत मुलायम होने चाहिए, ताकि बच्चे के नाज़ुक मसूड़ों को नुकसान न पहुँचे। अगर ब्रश सख़्त होगा, तो मसूड़ों में चोट लग सकती है और बच्चा ब्रश करने से हिचकिचाएगा। उन्होंने टूथपेस्ट के चुनाव पर भी विशेष ज़ोर दिया। छोटे बच्चों के लिए कम फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। बहुत छोटे बच्चों के मामले में, ब्रश करते समय हल्का पेस्ट ही लगाना चाहिए, ताकि निगलने पर भी कोई नुकसान न हो।विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के लिए ब्रश करना मज़ेदार बनाना माता-पिता की ज़िम्मेदारी है। अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ खड़े होकर ब्रश करेंगे, तो बच्चे इसे खेल-खेल में स्वीकार करने लगेंगे। इस आदत को मज़बूत करने के लिए गाने, कहानियाँ या टाइमर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि बच्चे को ब्रश करने में बोरियत महसूस न हो।बच्चों के लिए अपने दांतों की देखभाल का सबसे महत्वपूर्ण समय 6 महीने से 6 साल की उम्र के बीच का होता है। इस दौरान, बच्चे अच्छी मौखिक स्वच्छता की आदतें विकसित कर सकते हैं। अगर माता-पिता इस बारे में गंभीर हों, तो बच्चे बड़े होने पर भी नियमित रूप से अपने दाँत ब्रश करेंगे और दंत रोगों से बचेंगे।विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बच्चों को हर 6 महीने में डॉक्टर के पास दांतों की जांच के लिए ले जाना चाहिए। इससे दांतों से जुड़ी किसी भी शुरुआती समस्या की पहचान करके समय पर उसका इलाज किया जा सकता है।
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