News India Live, Digital Desk: बॉलीवुड और बंगाली सिनेमा की मशहूर अदाकारा सुचित्रा सेन की कहानी ऐसी है जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। सुचित्रा, जो एक दौर में सुपरस्टार थीं और अपने समय के अभिनेताओं से भी ज्यादा फीस लिया करती थीं, उन्होंने जिंदगी के आखिरी 36 साल एक कमरे में खुद को कैद करके बिताए। न वे किसी से मिलती थीं, न ही बाहर निकलती थीं। अगर मजबूरी में कभी बाहर आना भी पड़ता था, तो अपना चेहरा कपड़े से ढक लेती थीं।
कम उम्र में शादी, परिवार ने किया सपोर्ट
सुचित्रा सेन की शादी महज 15 साल की उम्र में हो गई थी। पति और ससुराल को उनके एक्टिंग के शौक के बारे में पता चला तो उन्होंने सुचित्रा का पूरा साथ दिया। सुचित्रा ने 1952 में फिल्म ‘शेष कोठाई’ से अपने करियर की शुरुआत की, हालांकि ये फिल्म कभी रिलीज नहीं हुई। उनकी पहली रिलीज फिल्म थी 1953 की ‘साड़े चुयात्तर’, जो सफल रही। धीरे-धीरे सुचित्रा बंगाली सिनेमा की सबसे बड़ी स्टार बन गईं।
पति की मौत और जिंदगी में आए बदलाव
सुचित्रा सेन के पति को उनका फिल्मों में व्यस्त रहना पसंद नहीं आया, जिससे परिवार में दूरियां आने लगीं। वे अमेरिका जाकर बस गए और शराब के आदी हो गए। साल 1970 में उनके निधन से सुचित्रा को गहरा सदमा लगा। फिर भी वे मजबूती से फिल्मों में काम करती रहीं।
1978 में आई फिल्म ‘प्रनोय पाशा’ की असफलता ने सुचित्रा को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अचानक फिल्म इंडस्ट्री से संन्यास ले लिया। यही नहीं, उन्होंने बाहरी दुनिया से भी नाता तोड़ लिया और एक कमरे में खुद को पूरी तरह बंद कर लिया। इसके बाद के 36 साल उन्होंने एकांत में बिताए।
अंतिम समय तक नहीं दिखाया चेहरा
कमरे में बंद रहते हुए सुचित्रा सेन ने आध्यात्मिक जीवन को अपना लिया। 2013 में जब उनकी तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल में भी उनकी पहचान और प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखा गया। 17 जनवरी 2014 को उनके निधन के बाद भी उनका चेहरा किसी को नहीं दिखाया गया और उनका अंतिम संस्कार बेहद गोपनीय तरीके से हुआ।
सुचित्रा सेन की कहानी फिल्म जगत की सबसे रहस्यमयी और मार्मिक कहानियों में से एक मानी जाती है।
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