भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को एक विवादित बयान देते हुए कहा कि अगर कानून केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए जाएंगे, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। दुबे ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर बिना किसी अतिरिक्त व्याख्या के पोस्ट की, जिससे राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई। उनकी यह टिप्पणी वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिकता पर चल रही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान सामने आई, जिसे इस महीने की शुरुआत में संसद ने पारित किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद केंद्र सरकार ने अगली सुनवाई तक इन प्रावधानों को लागू न करने पर सहमति व्यक्त की। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति को भेजे गए विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक समयसीमा निर्धारित की, जिससे विवाद बढ़ गया है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस निर्णय पर असहमति जताई है।
वहीं, विपक्षी दलों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की सराहना की है। हालांकि, भाजपा सांसद दुबे के बयान पर भाजपा ने तुरंत अपने पल्ले झाड़ते हुए कहा कि यह बयान पार्टी का नहीं, बल्कि दुबे का व्यक्तिगत विचार है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक ट्वीट के माध्यम से स्पष्ट किया कि भाजपा न्यायपालिका और देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयानों से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने इन दोनों नेताओं को और सभी को ऐसे बयान देने से बचने के लिए निर्देशित किया है।”
ध्यान देने योग्य बात यह है कि झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे अक्सर अपने तीखे बयान और भाजपा की राजनीतिक स्थिति को स्पष्ट करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। वे लोकसभा में भाजपा के रुख को स्पष्ट रूप से रखते हैं और प्रतिद्वंद्वियों पर हमले करने में भी प्रमुख रहते हैं।
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