काबुल: तालिबान भारत की तरफ उम्मीदों से देख रहा है, उसके पीछे की एक बड़ी वजह अफगान नागरिकों का भारत के लिए प्यार भी है। भारत पहले से ही अफगानों के दिल में रहा है, लेकिन भूकंप प्रभावित देश में राहत सामग्री भेजकर भारत अपने लिए और ज्यादा प्यार बटोर रहा है। अफगानिस्तान में आए एक के बाद एक भूकंप के बाद भारत ने तेजी से राहत और मदद का हाथ बढ़ाया है। भारत ऐसा करते दक्षिण एशिया में खुद को 'फर्स्ट रिस्पांउडर' की तरह प्रोजेक्ट कर रहा है।
सोमवार को आए भयानक भूकंप में अफगानिस्तान के उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ के पास कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 900 से ज्यादा घायल हुए हैं। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तुरंत तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बात कर मदद का आश्वासन दिया। भारत पहले ही 15 टन खाद्य सामग्री अफगानिस्तान भेज चुका है और अब मेडिकल सहायता भी भेजा जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पोस्ट पर खास तौर पर 'इंडिया फर्स्ट रिस्पाउंडर' लिखा है, जो चीन और पाकिस्तान के लिए खास तौर पर एक संदेश है।
अफगानिस्तान की मदद करता भारत
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की कोशिश अफगान नागरिकों से और करीबी रिश्ता बनाना है और ये चीन के बढ़ते प्रभाव का जबरदस्त जवाब है। चीन, अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों की वापसी के बाद तेजी से अपनी पैठ बना रहा है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के विदेश नीति विशेषज्ञ हर्ष पंत के मुताबिक, "भारत की यह कोशिश अफगान जनता में सद्भाव और विश्वास अर्जित करने की कोशिश है। अगर भारत सक्रिय नहीं हुआ, तो यह खाली जगह चीन भर देगा।" भारत की सहायता की चर्चा अफगानों में काफी हो रही है। अफगानिस्तान के कई पत्रकार और कार्यकर्ताओं ने भारतीय मदद की तारीफ की है और शुक्रिया कहा है। वहीं, एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि "भारतीय दूतावास का फिर से खुलना, भारत द्वारा तालिबान को मान्यता दिए जाने के अलावा, जमीनी स्तर पर भारत की मजबूत उपस्थिति का एक राजनीतिक संकेत देता है।" उन्होंने आगे कहा कि आगे और सहायता दी जाएगी।
आपको बता दें कि पिछले महीने तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने दिल्ली का दौरा किया था। इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक भी हुई थी। इस दौरान नई दिल्ली ने काबुल में अपने दूतावास को फिर से खोलने और जलविद्युत, स्वास्थ्य तथा बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की घोषणा की। यह कदम भारत की तालिबान सरकार के प्रति राजनीतिक मान्यता नहीं, बल्कि व्यावहारिक संलग्नता का संकेत माना जा रहा है।
चीन-पाकिस्तान को काउंटर करने की नीति
पाकिस्तान, पहले से ही अफगानों के नजर में गिरा हुआ है। पाकिस्तान के पास औकात भी नहीं है कि वो अफगानिस्तान में राहत कार्य भेजे। वहीं, चीन, जो पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध रखता है, उसने अगस्त में अफगानिस्तान से कहा था कि वह खनन और खनिज के अवसरों का पता लगाने के लिए उत्सुक है और काबुल से औपचारिक रूप से अपने बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल होने का आग्रह किया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन और भारत का समर्थन तालिबान के लिए महत्वपूर्ण है।
सोमवार को आए भयानक भूकंप में अफगानिस्तान के उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ के पास कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 900 से ज्यादा घायल हुए हैं। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तुरंत तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बात कर मदद का आश्वासन दिया। भारत पहले ही 15 टन खाद्य सामग्री अफगानिस्तान भेज चुका है और अब मेडिकल सहायता भी भेजा जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पोस्ट पर खास तौर पर 'इंडिया फर्स्ट रिस्पाउंडर' लिखा है, जो चीन और पाकिस्तान के लिए खास तौर पर एक संदेश है।
अफगानिस्तान की मदद करता भारत
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की कोशिश अफगान नागरिकों से और करीबी रिश्ता बनाना है और ये चीन के बढ़ते प्रभाव का जबरदस्त जवाब है। चीन, अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों की वापसी के बाद तेजी से अपनी पैठ बना रहा है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के विदेश नीति विशेषज्ञ हर्ष पंत के मुताबिक, "भारत की यह कोशिश अफगान जनता में सद्भाव और विश्वास अर्जित करने की कोशिश है। अगर भारत सक्रिय नहीं हुआ, तो यह खाली जगह चीन भर देगा।" भारत की सहायता की चर्चा अफगानों में काफी हो रही है। अफगानिस्तान के कई पत्रकार और कार्यकर्ताओं ने भारतीय मदद की तारीफ की है और शुक्रिया कहा है। वहीं, एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि "भारतीय दूतावास का फिर से खुलना, भारत द्वारा तालिबान को मान्यता दिए जाने के अलावा, जमीनी स्तर पर भारत की मजबूत उपस्थिति का एक राजनीतिक संकेत देता है।" उन्होंने आगे कहा कि आगे और सहायता दी जाएगी।
आपको बता दें कि पिछले महीने तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने दिल्ली का दौरा किया था। इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक भी हुई थी। इस दौरान नई दिल्ली ने काबुल में अपने दूतावास को फिर से खोलने और जलविद्युत, स्वास्थ्य तथा बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की घोषणा की। यह कदम भारत की तालिबान सरकार के प्रति राजनीतिक मान्यता नहीं, बल्कि व्यावहारिक संलग्नता का संकेत माना जा रहा है।
There has been another earthquake in #Afghanistan , it is a very sorrowful time for us. We sincerely thank the people and the #government of #India, who once again were the first to help the people of Afghanistan in this difficult time. Thank you, India. We pray for Afghanistan… pic.twitter.com/FPIyfIpOJ6
— Pathan Bhai (@PathanBhaiii) November 4, 2025
चीन-पाकिस्तान को काउंटर करने की नीति
पाकिस्तान, पहले से ही अफगानों के नजर में गिरा हुआ है। पाकिस्तान के पास औकात भी नहीं है कि वो अफगानिस्तान में राहत कार्य भेजे। वहीं, चीन, जो पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध रखता है, उसने अगस्त में अफगानिस्तान से कहा था कि वह खनन और खनिज के अवसरों का पता लगाने के लिए उत्सुक है और काबुल से औपचारिक रूप से अपने बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल होने का आग्रह किया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन और भारत का समर्थन तालिबान के लिए महत्वपूर्ण है।
You may also like

'जब सत्ता में रहे, दलित-पिछड़ों को भूल गए', तेजस्वी पर भड़के संजय निषाद

इन 7ˈ रोगों को चुटकी में छूमंतर कर देगा लहसुन हल्दी और लौंग का यह घरेलु मिश्रण पोस्ट को शेयर करना ना भूले﹒

पुरानी पेंशन योजना फिर से होगी लागू? 8वें वेतन आयोग की शर्तों से हो गया साफ!

चुनाव परिणाम आने के बाद सबकी हेकड़ी बंद हो जाएगी : तेजप्रताप यादव

एसआईआर से दहशत और मौतों पर विधानसभा में प्रस्ताव ला सकती है तृणमूल कांग्रेस




