चेन्नै: आम लोगों के लिए परीक्षा एक चुनौती होती है, लेकिन प्रोफेसर वी.एन. पार्थिबन के लिए यह जीवन का एक हिस्सा है। जहां लोग करियर बनाने की योजना बनाते हैं, वहीं पार्थिबन ने शिक्षा को ही अपना करियर बना लिया। आज उनके पास 150 से अधिक डिग्रियां हैं और सीखने की भूख अब भी बरकरार है। पार्थिबन ने 1981 से अब तक पढ़ाई को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। वे रोज सुबह 5 बजे उठते हैं और रात करीब 11:30 बजे तक पढ़ते हैं। बीच में कॉलेज में पढ़ाने और पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी निभाते हैं। रविवार को भी उनका दिन रिसर्च, क्लास या परीक्षा में बीतता है। केवल शाम को वे कन्नदासन के गीत सुनकर थोड़ा विश्राम करते हैं।
मां से किया था वादा
पार्थिबन चेन्नै के आरकेएम विवेकानंद कॉलेज में वाणिज्य विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वे 1982 से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। उनकी जिंदगी की यह असाधारण यात्रा एक वादा निभाने से शुरू हुई। उन्होंने अपनी पहली डिग्री मुश्किल से पास की, तो उन्होंने अपनी मां से वादा किया कि वे कभी पढ़ाई नहीं छोड़ेंगे। यही वादा आज उन्हें दुनिया के सबसे अधिक शिक्षित व्यक्तियों में शामिल करता है। उनका कहना है कि मुझे पढ़ाई में मज़ा आता है। मेरे लिए यह मुश्किल नहीं है। मैं लगातार परीक्षा की तैयारी करता हूं और नए कोर्स में दाखिला लेता रहता हूं।
एक चलता-फिरता विश्वविद्यालय हैं पार्थिबन
प्रोफेसर पार्थिबन के पास डिग्रियों का ऐसा संग्रह है जो किसी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम सूची जैसा लगता है। उनके पास 13 मास्टर ऑफ आर्ट्स, 8 मास्टर ऑफ कॉमर्स, 4 मास्टर ऑफ साइंस, 13 मास्टर ऑफ लॉ विभिन्न विषयों में, 12 मास्टर ऑफ फिलॉसफी, 14 एमबीए, 20 प्रोफेशनल कोर्स, 11 सर्टिफिकेट कोर्स, 9 पीजी डिप्लोमा कोर्स और कई अन्य डिप्लोमा व प्रमाणपत्र हैं। वर्तमान में वे प्रबंधन में पीएचडी (PhD) और कॉरपोरेट लॉ में मास्टर्स कर रहे हैं। इतनी पढ़ाई का आर्थिक और व्यक्तिगत असर भी रहा है।
पत्नी के पास भी 9 डिग्रियां
पार्थिबन अपनी आय का लगभग 90% हिस्सा फीस, किताबों और परीक्षा शुल्क पर खर्च करते हैं। फिर भी, वे कहते हैं कि मेरे लिए पढ़ाई ही जीवन का उद्देश्य है। जब तक सांस है, मैं सीखता रहूंगा। उन्होंने कभी किसी से आर्थिक मदद नहीं ली। उनकी पत्नी एम. सेल्वाकुमारी भी शिक्षा के प्रति उतनी ही समर्पित हैं। उनके पास खुद की 9 डिग्रियां हैं और उन्होंने अपने पति का हर कदम पर साथ दिया है।
मां से किया था वादा
पार्थिबन चेन्नै के आरकेएम विवेकानंद कॉलेज में वाणिज्य विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वे 1982 से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। उनकी जिंदगी की यह असाधारण यात्रा एक वादा निभाने से शुरू हुई। उन्होंने अपनी पहली डिग्री मुश्किल से पास की, तो उन्होंने अपनी मां से वादा किया कि वे कभी पढ़ाई नहीं छोड़ेंगे। यही वादा आज उन्हें दुनिया के सबसे अधिक शिक्षित व्यक्तियों में शामिल करता है। उनका कहना है कि मुझे पढ़ाई में मज़ा आता है। मेरे लिए यह मुश्किल नहीं है। मैं लगातार परीक्षा की तैयारी करता हूं और नए कोर्स में दाखिला लेता रहता हूं।
एक चलता-फिरता विश्वविद्यालय हैं पार्थिबन
प्रोफेसर पार्थिबन के पास डिग्रियों का ऐसा संग्रह है जो किसी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम सूची जैसा लगता है। उनके पास 13 मास्टर ऑफ आर्ट्स, 8 मास्टर ऑफ कॉमर्स, 4 मास्टर ऑफ साइंस, 13 मास्टर ऑफ लॉ विभिन्न विषयों में, 12 मास्टर ऑफ फिलॉसफी, 14 एमबीए, 20 प्रोफेशनल कोर्स, 11 सर्टिफिकेट कोर्स, 9 पीजी डिप्लोमा कोर्स और कई अन्य डिप्लोमा व प्रमाणपत्र हैं। वर्तमान में वे प्रबंधन में पीएचडी (PhD) और कॉरपोरेट लॉ में मास्टर्स कर रहे हैं। इतनी पढ़ाई का आर्थिक और व्यक्तिगत असर भी रहा है।
पत्नी के पास भी 9 डिग्रियां
पार्थिबन अपनी आय का लगभग 90% हिस्सा फीस, किताबों और परीक्षा शुल्क पर खर्च करते हैं। फिर भी, वे कहते हैं कि मेरे लिए पढ़ाई ही जीवन का उद्देश्य है। जब तक सांस है, मैं सीखता रहूंगा। उन्होंने कभी किसी से आर्थिक मदद नहीं ली। उनकी पत्नी एम. सेल्वाकुमारी भी शिक्षा के प्रति उतनी ही समर्पित हैं। उनके पास खुद की 9 डिग्रियां हैं और उन्होंने अपने पति का हर कदम पर साथ दिया है।
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