अब के ट्रैफिक सिगल से कैसे अलग हैं ये

AI से चलने वाले सिग्नल ट्रैफिक की स्थिति के हिसाब से चलते हैं। मसलन ट्रैफिक कम है तो यह हरी बत्ती जल्दी दिखा देगा। जबकि ट्रैफिक ज्यादा है तो यह थोड़ा टाइम ले सकता है। फिलहाल के ट्रैफिक सिग्नलस में हरी बत्ती आने में 60 से 90 सेकंड तक का टाइम लगता है। जबकि ये सिग्नल गाड़ियों की संख्या के आधार पर चेंज होगा। इसका टाइम 30 सेकंड से लेकर 120 सेकंड के बीच हो सकता है।
सफल रहा इनका ट्रायल

चेन्नई शहर में पहले फेज में ये ट्रैफिक सिग्नल मुख्य सड़कों जैसे अन्ना सलाई, जवाहरलाल नेहरू सलाई, सरदार पटेल रोड, कमराजर सलाई, राजाजी सलाई और टेलर्स रोड पर लगाए जाएंगे। फिलहाल EVR सलाई कर 6 चौराहों पर इस सिस्टम का ट्रायल चल रहा है। इसके शुरुआती नतीजे पॉजिटिव रहे हैं। लोगों का मानना है कि ट्रैफिक जाम में भी पहले के मुकाबले कमी आई है। मुमकिन है ये ट्रैफिक सिग्नल लगने के बाद लोग जल्दी अपने दफ्तर या घर पहुंच सकें। अमेरिका में लगे AI सिग्नलस ने भी जाम को कम किया है, लोग समय पर अपनी डेस्टिनेशन पर पहुंच पा रहे हैं।
AI ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम के 3 हिस्से
चेन्नई में लगने जा रहे नए ट्रैफिक सिग्नल 3 हिस्सों पर काम करेंगे। पहला, सड़क पर लगे सेंसर, जो गाड़ियों की स्पीड और चौराहे से गुजरने में लगने वाले टाइम को मापने का काम करेंगे। दूसरा, AI से लैस कैमरे गाड़ियों की गिनती करेंगे, ये देखेंगे कि गाड़ियां कौनसी डायरेक्शन में जा रही हैं। ये भी पहचान लेंगे कि व्हीकल कार है या बाइक। तीसरा हिस्सा एक कंट्रोल यूनिट है, जो इस सारी जानकारी को प्रोसेस कर सिग्नल का समय बदलेगी। वैसे तो यह सिस्टम ऑटोमेटिक है, लेकिन इमरजेंसी के टाइम जैसे- एंबुलेंस या VIP गाड़ियों के काफिले को निकालने लिए पुलिस इसे मैन्युअली चेंज कर सकती है।
ग्रीन कॉरिडोर बनाने का लक्ष्य
चेन्नई में हर चौराहे से मिलने वाली जानकारी को चेन्नई ट्रैफिक पुलिस के मुख्यालय में भेजा जाएगा। वहां से पूरे शहर की सड़कों के सिग्नल को कॉर्डिनेट किया जाएगा। दावा है कि इससे 'ग्रीन कॉरिडोर' बनाया जाएगा। मतलब शहर की प्रमुख सड़कों पर लगातार हरी बत्ती होगी, जिससे गाड़ियां बिना रुके चल सकेंगी। बता दें कि यह सिस्टम रियल टाइम वीडियो और पुराने ट्रैफिक डेटा का इस्तेमाल करके ट्रैफिक जाम का अनुमान लगाएगा और पहले से ही सिग्नल का समय तय करेगा।
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