बीजापुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान को और तेज किया जाएगा। नक्सलियों के खिलाफ अब फोर्स आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों के खिलाफ फोर्स ने अहम रणनीति बनाई है। सुरक्षाबल के जवानों का टारगेट अब नक्सल प्रभावित 50 गांवों में ऑपरेशन चलाने का है। इसके लिए 10 स्पेशल टीमें बनाई गई हैं। इसके साथ ही जवानों की छुट्टियों को भी रद्द कर दिया गया है। जवानों से कहा गया है कि अगले आदेश तक मोर्चा संभाले रहें।
चार जिलों में बड़े ऑपरेशन की तैयारी
सूत्रों का दावा है कि सुरक्षाबल के जवान बस्तर में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर के आलावा कांकेर जिले में बड़ा ऑपरेशन चला सकते हैं। मिशन की शुरुआत बीजापुर जिले से हो सकती है। इसके लिए 50 नक्सल प्रभावित गांवों की लिस्ट तैयार की गई है। इसके साथ ही डीआरजी के जवानों की 10 टीमों की गठन किया गया है। नक्सल विरोधी अभियान के लिए इन्हीं 10 टीमों को जंगल में उतारा जाएगा।
बैकफुट पर हैं नक्सली
छत्तीसगढ़ में इस समय नक्सली संगठन बैकफुट पर हैं। फोर्स की लगातार एक्शन के कारण माओवादी संगठन के कई टॉप लीडर मारे गए हैं। वहीं, एनकाउंटर के खौफ से बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। ऐसे में सुरक्षाबल के जवान पर पूरी तरह से माओवादी संगठन को खत्म करने के लिए प्लान बना रहे हैं। सरेंडर को लेकर माओवादी संगठन में मतभेद की भी खबरें आ रही हैं।
नेतृत्व संकट से जूझ रहा माओवादी संगठन
छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन इन दिनों नेतृत्व संकट से जूझ रहा है। अभी हाल ही में दावा किया गया था कि दिवाली के मौके पर नक्सलियों की सीक्रेट मीटिंग की गई है। जिसमें देवजी, हिडमा और देवा जैसे दुर्दांत नक्सली शामिल हुए थे और उन्हें संगठन की कमान सौंपने का फैसला किया गया था।
5 महीने का समय बचा
छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर देश के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल हैं। केंद्र सरकार ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए 31 मार्च 2026 की डेडलाइन तय की है। इस दौरान बड़े ऑपरेशन हुए हैं। डेडलाइन में अब सिर्फ 5 महीने की समय बाकी हैं। ऐसे में फोर्स निर्णायक लड़ाई को तैयार है।
चार जिलों में बड़े ऑपरेशन की तैयारी
सूत्रों का दावा है कि सुरक्षाबल के जवान बस्तर में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर के आलावा कांकेर जिले में बड़ा ऑपरेशन चला सकते हैं। मिशन की शुरुआत बीजापुर जिले से हो सकती है। इसके लिए 50 नक्सल प्रभावित गांवों की लिस्ट तैयार की गई है। इसके साथ ही डीआरजी के जवानों की 10 टीमों की गठन किया गया है। नक्सल विरोधी अभियान के लिए इन्हीं 10 टीमों को जंगल में उतारा जाएगा।
बैकफुट पर हैं नक्सली
छत्तीसगढ़ में इस समय नक्सली संगठन बैकफुट पर हैं। फोर्स की लगातार एक्शन के कारण माओवादी संगठन के कई टॉप लीडर मारे गए हैं। वहीं, एनकाउंटर के खौफ से बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। ऐसे में सुरक्षाबल के जवान पर पूरी तरह से माओवादी संगठन को खत्म करने के लिए प्लान बना रहे हैं। सरेंडर को लेकर माओवादी संगठन में मतभेद की भी खबरें आ रही हैं।
नेतृत्व संकट से जूझ रहा माओवादी संगठन
छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन इन दिनों नेतृत्व संकट से जूझ रहा है। अभी हाल ही में दावा किया गया था कि दिवाली के मौके पर नक्सलियों की सीक्रेट मीटिंग की गई है। जिसमें देवजी, हिडमा और देवा जैसे दुर्दांत नक्सली शामिल हुए थे और उन्हें संगठन की कमान सौंपने का फैसला किया गया था।
5 महीने का समय बचा
छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर देश के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल हैं। केंद्र सरकार ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए 31 मार्च 2026 की डेडलाइन तय की है। इस दौरान बड़े ऑपरेशन हुए हैं। डेडलाइन में अब सिर्फ 5 महीने की समय बाकी हैं। ऐसे में फोर्स निर्णायक लड़ाई को तैयार है।
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