संत कबीरनगर: यूपी के संत कबीरनगर में मदरसा शिक्षक मौलाना शमशुल हुदा खान के कारनामों का भंडोफोड़ हुआ है। मौलाना के पास ब्रिटेन की नागरिकता है। वह 2007 में लेकर 2017 तक वहां रहा। ब्रिटेन में रहते हुए मौलाना ने इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए कई विदेश यात्राएं कीं। वह पाकिस्तान के कई इलाकों में जाकर वहां के मौलवियों और लोगों से संपर्क बनाता था। भारत लौटकर उसने अपने करीबियों के जरिए जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं और संदिग्ध व्यक्तियों से जुड़ा रहा। यूपी एटीएस का मानना है कि यह नेटवर्क इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का प्रयास था। वह इंग्लैंड और अन्य देशों से फंड इकट्ठा कर पूर्वांचल के मदरसों तक भेजता था। इसमें अपना कमीशन भी काटता था।
एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर संत कबीरनगर में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। उसका संत कबीरनगर स्थित मदरसा सील कर दिया गया है। आजमगढ़ और संतकबीरनगर के दोनों मदरसों की मान्यता रद्द कर दी गई है। साथ ही, रजा फाउंडेशन नामक एनजीओ का पंजीकरण भी रद्द हो गया है।
2013 में मिल गई ब्रिटिश नागरिकता शमशुल हुदा खान 12 जुलाई 1984 को आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित मदरसा में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त हुआ था। 2007 में वह ब्रिटेन चला गया और 2017 तक वहां रहा। 2013 को उसे ब्रिटिश नागरिकता मिल गई। वह मदरसे में बगैर पढ़ाए हर साल वेतन लेता रहा। आरोप है कि उसने सरकारी कोष से 16 लाख से ज्यादा रुपये सैलरी अवैध रूप से ले ली। 2017 में उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई, जो पूरी तरह अनियमित पाई गई।
2007 से संदिग्ध थीं गतिविधियांएटीएस को जांच में पता चला कि शमशुल हुदा खान मदरसा में नौकरी के दौरान बार-बार विदेश यात्राएं करता रहा। मौलाना की गतिविधियां 2007 से ही संदिग्ध थीं। वह ब्रिटेन में रहते हुए भी भारत में अपने नेटवर्क को सक्रिय रखे हुए था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती थीं। एटीएस ने इन खुलासों को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद को रिपोर्ट सौंपी, जिसके निर्देश पर एसआईटी गठित की गई।
संत कबीरनगर वाला मदरसा सीलएटीएस रिपोर्ट के आधार पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 2 नवंबर को कोतवाली खलीलाबाद थाने में शमशुल हुदा खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। एफआईआर में धोखाधड़ी, फेमा उल्लंघन और संदिग्ध गतिविधियों के आरोप शामिल हैं। जांच जारी है और पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है। संत कबीरनगर स्थित उसका मदरसा सील कर दिया गया है।
मौलाना पर दो मुकदमे पहले से दर्जयह पहला मामला नहीं है। शमशुल के खिलाफ संतकबीरनगर और आजमगढ़ में पहले से दो अन्य अभियोग दर्ज हैं, जिनमें आरोप-पत्र कोर्ट में जमा किया जा चुका है। इनमें भी विदेशी फंडिंग और संदिग्ध संपर्कों के आरोप प्रमुख हैं।
एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर संत कबीरनगर में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। उसका संत कबीरनगर स्थित मदरसा सील कर दिया गया है। आजमगढ़ और संतकबीरनगर के दोनों मदरसों की मान्यता रद्द कर दी गई है। साथ ही, रजा फाउंडेशन नामक एनजीओ का पंजीकरण भी रद्द हो गया है।
2013 में मिल गई ब्रिटिश नागरिकता शमशुल हुदा खान 12 जुलाई 1984 को आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित मदरसा में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त हुआ था। 2007 में वह ब्रिटेन चला गया और 2017 तक वहां रहा। 2013 को उसे ब्रिटिश नागरिकता मिल गई। वह मदरसे में बगैर पढ़ाए हर साल वेतन लेता रहा। आरोप है कि उसने सरकारी कोष से 16 लाख से ज्यादा रुपये सैलरी अवैध रूप से ले ली। 2017 में उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई, जो पूरी तरह अनियमित पाई गई।
2007 से संदिग्ध थीं गतिविधियांएटीएस को जांच में पता चला कि शमशुल हुदा खान मदरसा में नौकरी के दौरान बार-बार विदेश यात्राएं करता रहा। मौलाना की गतिविधियां 2007 से ही संदिग्ध थीं। वह ब्रिटेन में रहते हुए भी भारत में अपने नेटवर्क को सक्रिय रखे हुए था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती थीं। एटीएस ने इन खुलासों को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद को रिपोर्ट सौंपी, जिसके निर्देश पर एसआईटी गठित की गई।
संत कबीरनगर वाला मदरसा सीलएटीएस रिपोर्ट के आधार पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 2 नवंबर को कोतवाली खलीलाबाद थाने में शमशुल हुदा खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। एफआईआर में धोखाधड़ी, फेमा उल्लंघन और संदिग्ध गतिविधियों के आरोप शामिल हैं। जांच जारी है और पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है। संत कबीरनगर स्थित उसका मदरसा सील कर दिया गया है।
मौलाना पर दो मुकदमे पहले से दर्जयह पहला मामला नहीं है। शमशुल के खिलाफ संतकबीरनगर और आजमगढ़ में पहले से दो अन्य अभियोग दर्ज हैं, जिनमें आरोप-पत्र कोर्ट में जमा किया जा चुका है। इनमें भी विदेशी फंडिंग और संदिग्ध संपर्कों के आरोप प्रमुख हैं।
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