नई दिल्ली: नोबेल शांति पुरस्कार (2025) जीतने वालीं वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थित नेता मारिया कोरिना मचाडो ने भारत की जमकर तारीफ की है। मचाडो ने कहा कि वह महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि शांति कोई कमजोरी नहीं है। महात्मा गांधी ने मानवता को इसका अर्थ सिखाया है। बता दें कि राजनेता और कार्यकर्ता मचाडो ने वेनेजुएला में लोकतंत्र की बहाली के लिए दो दशक से भी ज्यादा समय तक अभियान चलाया है।
मारिया कोरिना मचाडो ने कहा कि निश्चित रूप से, शांति पाने के लिए आपको आजादी की जरूरत होती है, और आजादी पाने के लिए आपको ताकत की जरूरत होती है। मचाडो ने भारत को एक महान लोकतंत्र और अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि वह भारत को एक महान सहयोगी के रूप में देखती हैं, जिसके साथ वेनेजुएला लोकतंत्र में शांतिपूर्ण परिवर्तन के बाद कई मोर्चों पर संबंधों को मजबूत कर सकता है।
भारत कई देशों और पीढ़ियों के लिए मिसाल
विश्व में भारत के स्थान और उसके लोकतांत्रिक रिकॉर्ड के बारे में बोलते हुए मचाडो ने कहा कि भारत कई देशों और पीढ़ियों के लिए एक मिसाल रहा है। यह बहुत बड़ी बात है। आपकी भी जिम्मेदारी है कि आप इसका ध्यान रखें, क्योंकि इतने सारे देश आपकी ओर देखते हैं। लोकतंत्र को हमेशा मजबूत किया जा सकता है और इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
भारत आ चुकी हैं नोबेल विजेता मचाडो की बेटीमचाडो ने कहा कि मैं पूरे दिल से भारत की प्रशंसा करती हूं। मेरी बेटी कुछ महीने पहले ही वहां गई थी, लेकिन मैं कभी भारत नहीं गई, उसे आपका देश बहुत पसंद है। मेरे कई वेनेजुएला के दोस्त वहां रहते हैं। बेशक, मैं भारतीय राजनीति पर नजर रखती हूं, और मुझे उम्मीद है कि मुझे प्रधानमंत्री मोदी से बात करने का मौका मिलेगा और एक दिन आजाद वेनेजुएला में उनकी मेजबानी करने का मौका मिलेगा ताकी हम दोनों देशों की भलाई के लिए अपने संबंधों को मजबूत कर सकें।
सम्मान के साथ जीना चाहती है वेनेजुएला की जनता
उन्होंने कहा कि वेनेजुएला शायद दुनिया के सबसे एकजुट समाजों में से एक है। हमारे यहां कोई धार्मिक मतभेद, नस्लीय तनाव, क्षेत्रीय या राजनीतिक विभाजन नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारी नब्बे प्रतिशत आबादी एक ही चीज चाहती है। सम्मान के साथ, न्याय के साथ, एकजुटता के साथ, और निश्चित रूप से स्वतंत्रता के साथ जीना।
मचाडो ने की लोकतांत्रिक सुधारों की वकालतबता दें कि राष्ट्रपति निकोलस मादुरो मोरोस के खिलाफ उनके निरंतर अभियान के लिए, मचाडो को नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया है। विपक्षी नेता ने लंबे समय से गोलियों की बजाय मतपत्रों का समर्थन किया है और व्यक्तिगत जोखिम के बावजूद लोकतांत्रिक सुधारों की वकालत की है।
मारिया कोरिना मचाडो ने कहा कि निश्चित रूप से, शांति पाने के लिए आपको आजादी की जरूरत होती है, और आजादी पाने के लिए आपको ताकत की जरूरत होती है। मचाडो ने भारत को एक महान लोकतंत्र और अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि वह भारत को एक महान सहयोगी के रूप में देखती हैं, जिसके साथ वेनेजुएला लोकतंत्र में शांतिपूर्ण परिवर्तन के बाद कई मोर्चों पर संबंधों को मजबूत कर सकता है।
भारत कई देशों और पीढ़ियों के लिए मिसाल
विश्व में भारत के स्थान और उसके लोकतांत्रिक रिकॉर्ड के बारे में बोलते हुए मचाडो ने कहा कि भारत कई देशों और पीढ़ियों के लिए एक मिसाल रहा है। यह बहुत बड़ी बात है। आपकी भी जिम्मेदारी है कि आप इसका ध्यान रखें, क्योंकि इतने सारे देश आपकी ओर देखते हैं। लोकतंत्र को हमेशा मजबूत किया जा सकता है और इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
भारत आ चुकी हैं नोबेल विजेता मचाडो की बेटीमचाडो ने कहा कि मैं पूरे दिल से भारत की प्रशंसा करती हूं। मेरी बेटी कुछ महीने पहले ही वहां गई थी, लेकिन मैं कभी भारत नहीं गई, उसे आपका देश बहुत पसंद है। मेरे कई वेनेजुएला के दोस्त वहां रहते हैं। बेशक, मैं भारतीय राजनीति पर नजर रखती हूं, और मुझे उम्मीद है कि मुझे प्रधानमंत्री मोदी से बात करने का मौका मिलेगा और एक दिन आजाद वेनेजुएला में उनकी मेजबानी करने का मौका मिलेगा ताकी हम दोनों देशों की भलाई के लिए अपने संबंधों को मजबूत कर सकें।
सम्मान के साथ जीना चाहती है वेनेजुएला की जनता
उन्होंने कहा कि वेनेजुएला शायद दुनिया के सबसे एकजुट समाजों में से एक है। हमारे यहां कोई धार्मिक मतभेद, नस्लीय तनाव, क्षेत्रीय या राजनीतिक विभाजन नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारी नब्बे प्रतिशत आबादी एक ही चीज चाहती है। सम्मान के साथ, न्याय के साथ, एकजुटता के साथ, और निश्चित रूप से स्वतंत्रता के साथ जीना।
मचाडो ने की लोकतांत्रिक सुधारों की वकालतबता दें कि राष्ट्रपति निकोलस मादुरो मोरोस के खिलाफ उनके निरंतर अभियान के लिए, मचाडो को नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया है। विपक्षी नेता ने लंबे समय से गोलियों की बजाय मतपत्रों का समर्थन किया है और व्यक्तिगत जोखिम के बावजूद लोकतांत्रिक सुधारों की वकालत की है।
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