नई दिल्ली: इस समय दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। वहीं सिंगापुर ने प्रदूषण से बचने के लिए ऐसा कदम उठा लिया है जिसके बारे में भारत ने शायद सोचा तक नहीं होगा। सिंगापुर अगले साल से हर यात्री पर 41.60 सिंगापुर डॉलर (करीब 2832 रुपये) तक का सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) लेवी यानी टैक्स लगाएगा। ऐसा करने वाला सिंगापुर दुनिया का पहला देश होगा। यह कदम हवाई जहाज से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सिंगापुर के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (CAAS) ने बताया कि यह टैक्स 1 अप्रैल 2026 से बेचे जाने वाले टिकटों पर लागू होगा। ये टिकट 1 अक्टूबर 2026 से सिंगापुर से उड़ान भरने वाली उड़ानों के लिए होंगे। जो यात्री सिंगापुर से होकर गुजरेंगे उनसे कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। यह टैक्स सिर्फ उन्हीं यात्रियों से लिया जाएगा जो सिंगापुर से उड़ान भरेंगे। वहीं बात अगर दिल्ली-एनसीआर की करें तो यहां अभी दो एयरपोर्ट हैं। पहला दिल्ली का आईजीआई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और दूसरा गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरपोर्ट। वहीं नोएडा एयरपोर्ट का काम तेजी से चल रहा है और इसके जल्द शुरू होने की संभावना है। भारत सरकार प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसा कोई शुल्क नहीं लगाती।
दूरी और क्लास पर निर्भर करेगा टैक्सइस नई व्यवस्था के तहत टैक्स की रकम यात्रा की दूरी और क्लास पर निर्भर करेगी। इकोनॉमी और प्रीमियम इकोनॉमी क्लास के यात्रियों को दक्षिण पूर्व एशिया की उड़ानों के लिए 1 सिंगापुर डॉलर और अमेरिका की उड़ानों के लिए 10.40 सिंगापुर डॉलर देने होंगे। बिजनेस और फर्स्ट क्लास के यात्रियों को इससे चार गुना ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। मालवाहक विमानों पर भी वजन के हिसाब से लेवी लगाई जाएगी।
क्या होगा इस रकम का?इस टैक्स से इकट्ठा होने वाले पैसे का इस्तेमाल सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) खरीदने के लिए किया जाएगा। यह फ्यूल आमतौर पर बेकार तेल या खेती से मिले कचरे से बनाया जाता है। सिंगापुर का लक्ष्य है कि साल 2030 तक 3% से 5% तक SAF का इस्तेमाल होने लगे। CAAS के मुताबिक, फ्यूल की कीमतों में आई कमी की वजह से सरकार इस टैक्स को पहले बताई गई 3 से 16 सिंगापुर डॉलर की सीमा से कम रख पाई है।
सिंगापुर पहला देश होगासिंगापुर का यह फैसला काफी अहम है क्योंकि यह पहला देश है जिसने ग्रीन फ्यूल के लिए यात्री-आधारित लेवी लगाई है। चांगी एयरपोर्ट इस साल रिकॉर्ड तोड़ यात्री संख्या देखने की उम्मीद कर रहा है। यात्रियों की संख्या 2019 के प्री-पेंडमिक स्तर 68.3 मिलियन को पार कर सकती है।
प्लेन का धुआं कितना खतरनाक?हवाई जहाज से निकलने वाला धुआं दुनिया के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 1.2% है, फिर भी इस क्षेत्र को प्रदूषण कम करने में कई दिक्कतें आ रही हैं। इनमें फ्यूल की कम उपलब्धता और उसकी ऊंची कीमत शामिल है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल SAF का उत्पादन दोगुना हुआ, लेकिन यह अभी भी दुनिया भर के जेट फ्यूल का सिर्फ 0.3% ही है।
सिंगापुर के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (CAAS) ने बताया कि यह टैक्स 1 अप्रैल 2026 से बेचे जाने वाले टिकटों पर लागू होगा। ये टिकट 1 अक्टूबर 2026 से सिंगापुर से उड़ान भरने वाली उड़ानों के लिए होंगे। जो यात्री सिंगापुर से होकर गुजरेंगे उनसे कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। यह टैक्स सिर्फ उन्हीं यात्रियों से लिया जाएगा जो सिंगापुर से उड़ान भरेंगे। वहीं बात अगर दिल्ली-एनसीआर की करें तो यहां अभी दो एयरपोर्ट हैं। पहला दिल्ली का आईजीआई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और दूसरा गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरपोर्ट। वहीं नोएडा एयरपोर्ट का काम तेजी से चल रहा है और इसके जल्द शुरू होने की संभावना है। भारत सरकार प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसा कोई शुल्क नहीं लगाती।
दूरी और क्लास पर निर्भर करेगा टैक्सइस नई व्यवस्था के तहत टैक्स की रकम यात्रा की दूरी और क्लास पर निर्भर करेगी। इकोनॉमी और प्रीमियम इकोनॉमी क्लास के यात्रियों को दक्षिण पूर्व एशिया की उड़ानों के लिए 1 सिंगापुर डॉलर और अमेरिका की उड़ानों के लिए 10.40 सिंगापुर डॉलर देने होंगे। बिजनेस और फर्स्ट क्लास के यात्रियों को इससे चार गुना ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। मालवाहक विमानों पर भी वजन के हिसाब से लेवी लगाई जाएगी।
क्या होगा इस रकम का?इस टैक्स से इकट्ठा होने वाले पैसे का इस्तेमाल सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) खरीदने के लिए किया जाएगा। यह फ्यूल आमतौर पर बेकार तेल या खेती से मिले कचरे से बनाया जाता है। सिंगापुर का लक्ष्य है कि साल 2030 तक 3% से 5% तक SAF का इस्तेमाल होने लगे। CAAS के मुताबिक, फ्यूल की कीमतों में आई कमी की वजह से सरकार इस टैक्स को पहले बताई गई 3 से 16 सिंगापुर डॉलर की सीमा से कम रख पाई है।
सिंगापुर पहला देश होगासिंगापुर का यह फैसला काफी अहम है क्योंकि यह पहला देश है जिसने ग्रीन फ्यूल के लिए यात्री-आधारित लेवी लगाई है। चांगी एयरपोर्ट इस साल रिकॉर्ड तोड़ यात्री संख्या देखने की उम्मीद कर रहा है। यात्रियों की संख्या 2019 के प्री-पेंडमिक स्तर 68.3 मिलियन को पार कर सकती है।
प्लेन का धुआं कितना खतरनाक?हवाई जहाज से निकलने वाला धुआं दुनिया के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 1.2% है, फिर भी इस क्षेत्र को प्रदूषण कम करने में कई दिक्कतें आ रही हैं। इनमें फ्यूल की कम उपलब्धता और उसकी ऊंची कीमत शामिल है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल SAF का उत्पादन दोगुना हुआ, लेकिन यह अभी भी दुनिया भर के जेट फ्यूल का सिर्फ 0.3% ही है।
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