पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा और इसके चरणों (फेज) को लेकर जल्द ही फैसला लिया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आगामी चुनाव में लागू की जाने वाली 17 नई पहल न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगी। पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव को छठ महापर्व की तरह लोकतंत्र के महापर्व के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने भोजपुरी और मैथिली में मतदाताओं को संबोधित करते हुए आभार व्यक्त किया और लोकतंत्र के प्रति सहयोग के लिए बधाई दी।
बिहार चुनाव में 17 बड़े बदलावEVM में प्रत्याशियों की रंगीन फोटो होगी बूथ लेवल ऑफिसर को फोटो आईडी कार्ड दिया जाएगा पहली बार बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) की ट्रेनिंग दिल्ली में कराई गई एक पोलिंग बूथ पर ज्यादा से ज्यादा 1200 वोटर अब वोटिंग के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा बिहार की सभी बूथों पर वोटिंग प्रक्रिया लाइव होगी पहले 50-60 प्रतिशत बूथ पर ही वोटिंग वेब कास्ट होती थी बैलेट पेपर पर सीरियल नंबर पहले से बड़ा होगा मतदाताओं को दी जाने वाली वोटर स्लिप बड़े अक्षरों में होगी अब बूथ तक अपना मोबाइल फोन वोटर ले जा सकेंगे बूथ के बाहर मोबाइल जमा करने का सेंटर बनाया जाएगा सभी 90 हजार पोलिंग बूथ पर मोबाइल रखने की सुविधा होगी मतदान केंद्र से 100 मीटर की दूरी से हर प्रत्याशी अपने एजेंट को लगा सकते हैं बिहार में वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म भी लागू होगा पोस्टल बैलेट की गिनती EVM के आखिरी दो राउंड से पहले होगी चुनाव खत्म होने के बाद वोटिंग की पूरी जानकारी दी जाएगी चुनाव खत्म होने के कुछ ही दिन में सबको डिजिटल इंडेक्स कार्ड मिलेगा
अब भी जुड़वा सकते हैं वोटर लिस्ट में नामसीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार ने वैशाली से लोकतंत्र को जन्म दिया है और अब बिहार से ही चुनाव सुधार की नई दिशा देश को मिलेगी। उन्होंने बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत अपात्र मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जबकि योग्य मतदाता नामांकन की समाप्ति से दस दिन पहले तक फॉर्म-6 या फॉर्म-7 भरकर अपना नाम दर्ज करा सकते हैं।
'मतदाता सूची का 'शुद्धीकरण' हुआ'मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद पूरी होने पर संतोष व्यक्त करते हुए दावा किया कि इस कवायद से राज्य में 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का 'शुद्धीकरण' हुआ है। ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'हमारे पास 243 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) है। इस काम को पूरा करने में 90207 बीएलओ ने उनकी मदद की, जिससे 22 वर्षों के बाद मतदाता सूचियों का शुद्धीकरण किया जा सका।' इससे पहले, बिहार में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था।
'आधार को पहचान के रूप में स्वीकार'उन्होंने बताया कि नई पहल का कुछ हिस्सा चुनाव पूर्व लागू होगा और कुछ उपाय मतदान के दौरान प्रभावी रहेंगे। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे हर मतदान केंद्र पर एजेंट की नियुक्ति सुनिश्चित करें और मतदान प्रक्रिया के दौरान फॉर्म 17C तक उनकी उपस्थिति बनी रहे।
हर बूथ पर 1200 से कम मतदाता होंगेज्ञानेश कुमार ने बताया कि मतदाताओं की सुविधा के लिए एक बूथ पर मतदाताओं की संख्या घटाकर 1200 कर दी गई है ताकि लंबी कतारें न लगें और उन्हें मोबाइल रखने की अनुमति दी जाएगी। दो दिवसीय बिहार दौरे के दौरान निर्वाचन आयोग की टीम ने पहले दिन राजनीतिक दलों, जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की, जबकि दूसरे दिन प्रवर्तन एजेंसियों, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तीन सत्रों में चर्चा की। संवाददाता सम्मेलन में निर्वाचन आयोग की पूरी टीम मौजूद थी।
इनपुट- भाषा
बिहार चुनाव में 17 बड़े बदलाव
अब भी जुड़वा सकते हैं वोटर लिस्ट में नामसीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार ने वैशाली से लोकतंत्र को जन्म दिया है और अब बिहार से ही चुनाव सुधार की नई दिशा देश को मिलेगी। उन्होंने बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत अपात्र मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जबकि योग्य मतदाता नामांकन की समाप्ति से दस दिन पहले तक फॉर्म-6 या फॉर्म-7 भरकर अपना नाम दर्ज करा सकते हैं।
'मतदाता सूची का 'शुद्धीकरण' हुआ'मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद पूरी होने पर संतोष व्यक्त करते हुए दावा किया कि इस कवायद से राज्य में 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची का 'शुद्धीकरण' हुआ है। ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'हमारे पास 243 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) है। इस काम को पूरा करने में 90207 बीएलओ ने उनकी मदद की, जिससे 22 वर्षों के बाद मतदाता सूचियों का शुद्धीकरण किया जा सका।' इससे पहले, बिहार में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था।
'आधार को पहचान के रूप में स्वीकार'उन्होंने बताया कि नई पहल का कुछ हिस्सा चुनाव पूर्व लागू होगा और कुछ उपाय मतदान के दौरान प्रभावी रहेंगे। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे हर मतदान केंद्र पर एजेंट की नियुक्ति सुनिश्चित करें और मतदान प्रक्रिया के दौरान फॉर्म 17C तक उनकी उपस्थिति बनी रहे।
हर बूथ पर 1200 से कम मतदाता होंगेज्ञानेश कुमार ने बताया कि मतदाताओं की सुविधा के लिए एक बूथ पर मतदाताओं की संख्या घटाकर 1200 कर दी गई है ताकि लंबी कतारें न लगें और उन्हें मोबाइल रखने की अनुमति दी जाएगी। दो दिवसीय बिहार दौरे के दौरान निर्वाचन आयोग की टीम ने पहले दिन राजनीतिक दलों, जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की, जबकि दूसरे दिन प्रवर्तन एजेंसियों, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तीन सत्रों में चर्चा की। संवाददाता सम्मेलन में निर्वाचन आयोग की पूरी टीम मौजूद थी।
इनपुट- भाषा
You may also like
भगवान परशुराम का जीवन ज्ञान, साहस और मर्यादा का अद्भुत संगम : रेखा गुप्ता
खादी उत्सव 2025 में कॉलेज के छात्रों ने पेश किया फैशन शो
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में घुमंतू और विमुक्त जातियों का राज्य स्तरीय महासम्मेलन
राष्ट्र सेविका समिति की स्वयंसेविकाओं ने निकाला पथ संचलन, शस्त्र पूजन
स्वयंसेवकों को बताई डा. हेडगेवार की जीवन यात्रा