एक राजा अपने पुत्र को भाग्य और कर्म के रहस्य सिद्धांत को समझाने का निर्णय लिया, इसलिए उन्होंने राजकुमार को तीन ऋषियों के पास भेजा। प्रत्येक ऋषि ने राजकुमार को उनके कर्म और प्रारब्ध के बारे में जो बताया, उसे जानकर हम भी कर्म और भाग्य के सिद्धांत को भली-भांति समझ जाऐंगे।पहले ऋषि ने राजकुमार को बताया कि ‘कुछ कर्म अटल हैं, जैसे कि एक तीर जो धनुष से छूट गया है, तुम्हारे पिछले कर्मों में से कुछ ऐसे हैं जिनका फल तुम्हें इस जीवन में भोगना ही होगा। यह तुम्हारे प्रारब्ध का वह भाग है जिसे कोई भी प्रयास बदल नहीं सकता।’ राजकुमार ने पूछा, ‘तो क्या इसका कोई उपाय नहीं है?’ ऋषि ने कहा, ‘इसका कोई उपाय नहीं है, तुम्हें इसे धैर्य और समझ के साथ स्वीकार करना होगा।’दूसरे ऋषि ने राजकुमार को बताया कि, ‘सभी कर्म अटल नहीं होते। उन्होंने एक बीज का उदाहरण दिया और कहा, कुछ कर्म एक बीज की तरह होते हैं। यदि उन्हें उचित वातावरण और पोषण मिले, तो वे फल देते हैं, लेकिन यदि उनकी देखभाल न की जाए, तो वे नष्ट भी हो सकते हैं। तुम्हारे वर्तमान कर्मों में इतनी शक्ति है कि वे तुम्हारे भविष्य को बदल सकते हैं। यदि तुमने अतीत में कुछ बुरे कर्म किए हैं, तो तुम उन्हें अच्छे कर्मों, दान, तपस्या और ईश्वर के प्रति समर्पण से बदल सकते हो।’ राजकुमार ने पूछा, ‘तो क्या मैं पूरी तरह से अपना भविष्य बदल सकता हूं?’ ऋषि ने कहा, ‘यह तुम्हारे प्रयासों पर निर्भर करता है। तुम अपने संकल्प से अपने भविष्य की दिशा बदल सकते हो।’तीसरे ऋषि ने राजकुमार को एक नदी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ‘कुछ कर्म नदी की तरह होते हैं, नदी का कुछ भाग सीधा और निश्चित होता है, जबकि कुछ भाग में मोड़ और धाराएं होती हैं जिन्हें बदला जा सकता है। तुम्हारे कुछ कर्म ऐसे हैं जिनका फल तुम्हें अवश्य मिलेगा, लेकिन तुम अपनी प्रतिक्रिया से उनकी तीव्रता को कम कर सकते हो। जैसे यदि तुमने अतीत में किसी को धोखा दिया है, तो तुम्हें इस जन्म में विश्वासघात का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यदि तुम ईमानदार और सच्चे हो, तो तुम इन कष्टों को कम कर सकते हो।’ राजकुमार ने पूछा, ‘तो क्या मेरा भविष्य पूरी तरह से मेरे हाथ में है?’ ऋषि ने कहा, ‘तुम्हारा भविष्य तुम्हारे भूतकाल के कर्म और वर्तमान कर्मों का परिणाम है। तुम पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हो, लेकिन तुम्हारे पास अपने मार्ग को प्रभावित करने की शक्ति है।’ कर्मफल एक जटिल जाल है जिसमें नियति और स्वतंत्र इच्छाशक्ति दोनों शामिल हैं। कुछ कर्मफल अटल हैं, जिन्हें नहीं बदला जा सकता, कुछ को बदला जा सकता है, और कुछ को प्रयासों से ही बदला जा सकता है। इसलिए, हमें अपने कर्मों के प्रति सचेत रहना चाहिए और हमेशा अच्छे कर्म करने का प्रयास करना चाहिए।
You may also like
आज का वृषभ राशिफल, 13 मई 2025 : कार्यक्षेत्र पर विवाद से रहें दूर, नारायण कवच का करें पाठ
मजेदार चुटकुले जो आपके चेहरे पर मुस्कान लाएंगे
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ सांडों की लड़ाई का अनोखा वीडियो
संभल जामा मस्जिद में बिना लाउडस्पीकर के अजान देने का वीडियो वायरल
आज का मेष राशिफल, 13 मई 2025 : पैसों की लेन-देन में बरतें सावधानी, ओम हं हनुमते नमः मंत्र का करें जाप