मुंबई: पवई बंधक कांड के आरोपी रोहित आर्य की मौत के बाद नई जानकारी सामने आई है। रोहित शिक्षा विभाग से जुड़े एक प्रोजेक्ट 'स्वच्छ मॉनिटर' के ठेकेदार थे। आरोप है कि उन्हें इस प्रोजेक्ट के करीब 2 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं मिला था, जिसके चलते उन्होंने कथित तौर पर बच्चों को बंधक बनाया था। पुलिस की गोली का शिकार होकर गुरुवार को उनकी मौत हो गई। रोहित आर्य मूल रूप से नागपुर के रहने वाले थे और वहां एक प्रोफेसर के तौर पर काम करते थे। वर्तमान में वे चेंबूर इलाके में रह रहे थे।   
   
साल 2023 में रोहित को शिक्षा विभाग से 'स्वच्छ मॉनिटर' नाम की एक योजना का ठेका मिला था। रोहित का दावा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें लगभग 2 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया था।
     
पूर्व मंत्री ने इस दावे का खंडन किया
हालांकि, तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने इस दावे का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने रोहित आर्य को चेक के माध्यम से भुगतान कर दिया था। इस घटना को लेकर विपक्ष ने शिंदे सरकार के मंत्रियों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। सूत्रों के अनुसार, रोहित आर्य ने मंत्री के बंगले के बाहर भूख हड़ताल भी की थी। ऐसा माना जा रहा है कि इसी उपेक्षा और मानसिक तनाव के कारण उन्होंने 'सिस्टम से सीधी बातचीत' करने के लिए बच्चों को अगवा करने की योजना बनाई। इस दौरान वे पुलिस की गोली का शिकार हो गए और उनकी मौत हो गई।
     
   
रोहित पर आरोप- कुछ बच्चों से सीधे फीस वसूली थी
घटना के बाद एक न्यूज चैनल से फोन पर बात करते हुए दीपक केसरकर ने कहा, ‘रोहित आर्य स्वच्छ मॉनिटर नाम की योजना चला रहे थे। उन्होंने सरकारी अभियान में हिस्सा लिया था। विभाग का कहना था कि उन्होंने कुछ बच्चों से सीधे फीस वसूली थी, जबकि रोहित का कहना था कि उन्होंने ऐसी कोई फीस नहीं ली। उन्हें विभाग से बातचीत कर मामला सुलझाना चाहिए था। बच्चों को इस तरह बंधक बनाना गलत है।’
   
  
साल 2023 में रोहित को शिक्षा विभाग से 'स्वच्छ मॉनिटर' नाम की एक योजना का ठेका मिला था। रोहित का दावा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें लगभग 2 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया था।
पूर्व मंत्री ने इस दावे का खंडन किया
हालांकि, तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने इस दावे का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने रोहित आर्य को चेक के माध्यम से भुगतान कर दिया था। इस घटना को लेकर विपक्ष ने शिंदे सरकार के मंत्रियों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। सूत्रों के अनुसार, रोहित आर्य ने मंत्री के बंगले के बाहर भूख हड़ताल भी की थी। ऐसा माना जा रहा है कि इसी उपेक्षा और मानसिक तनाव के कारण उन्होंने 'सिस्टम से सीधी बातचीत' करने के लिए बच्चों को अगवा करने की योजना बनाई। इस दौरान वे पुलिस की गोली का शिकार हो गए और उनकी मौत हो गई।
रोहित पर आरोप- कुछ बच्चों से सीधे फीस वसूली थी
घटना के बाद एक न्यूज चैनल से फोन पर बात करते हुए दीपक केसरकर ने कहा, ‘रोहित आर्य स्वच्छ मॉनिटर नाम की योजना चला रहे थे। उन्होंने सरकारी अभियान में हिस्सा लिया था। विभाग का कहना था कि उन्होंने कुछ बच्चों से सीधे फीस वसूली थी, जबकि रोहित का कहना था कि उन्होंने ऐसी कोई फीस नहीं ली। उन्हें विभाग से बातचीत कर मामला सुलझाना चाहिए था। बच्चों को इस तरह बंधक बनाना गलत है।’
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