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ग्रेटर नोएडा औद्योगिक प्राधिकरण के फैसलों से 32800 करोड़ से ज्यादा का नुकसान! CAG रिपोर्ट में खुलासा

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लखनऊ: ग्रेटर नोएडा औद्योगिक प्राधिकरण (जीनीडा) में नियोजन से लेकर किसानों की जमीन लेने, उन्हें मुआवजा बांटने, विकास कार्य के बाद संपत्तियों की कीमतें तय करने और आवंटन से लेकर बकाया रकम वसूलने तक में भारी लापरवाही के चलते हजारों करोड़ रुपये की राजस्व क्षति और ओवरड्यू हुआ। यह खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ है।



जीनीडा में साल 2005-06 से लेकर 2017-18 तक हुए कामकाज और लिए गए फैसलों की सीएजी ऑडिट रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई। रिपोर्ट के मुताबिक कम वसूली, आवंटियों को अनुचित लाभ दिए जाने और गैर जरूरी कामों में खर्चों से करीब ₹13,300 करोड़ से ज्यादा की राजस्व क्षति का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा भूमि प्रीमियम, पट्टा किराया और ब्याज में चूक के कारण जीनीडा का ओवरड्यू करीब ₹19,500 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया था। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक जीनीडा के कामकाज में पारदर्शिता की कमी और आवंटन के तौर तरीकों में भारी कमियां मिलीं। इसके लिए तत्कालीन अधिकारी और बोर्ड के प्रबंधन को विफल करार दिया गया है। इसके अलावा एफएआर और ग्राउंड कवरेज के साथ एफएआर में छूट देने से लेकर किसानों के प्रतिकर भुगतान में गड़बड़ी, ग्रुप आउसिंग प्रॉजेक्ट्स में लेटलतीफी समेत कई बिंदुओं पर सैकड़ों करोड़ की वित्तीय अनियमितताएं सामने आई है।



आवंटियों की जमा रकम का मिलान तक नही

ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक आंवटियों द्वारा जमा करायी गई रकम का बैंकों के दस्तावेजों से मिलान तक नहीं कराया गया था। ऐसे में धोखाधड़ी की आशंका बनी हुई थी। यही नहीं विभाग के भीतर आंतरिक लेखा परीक्षा (ऑडिट) की कोई व्यवस्था नहीं थी। ऑडिट टीम ने तमाम कमियों का जिक्र करते हुए जीनीडा को उसके उद्देश्यों को पूरा करने में विफल करार देत हुए इसकी योजनाओं में निवेश करने वालों के हितों को खतरे में डालने का भी जिक्र किया है। इसके साथ ही विभागीय कमियों के चलते हजारों करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही है।



सीएजी रिपोर्ट : इन अनियमितताओं की ओर इशारा

  • आवंटियों के खिलाफ लैड प्रीमियम, पट्टा किराया और ब्याज की करीब ₹630 करोड़ की रकम ओवरड्यू मिली
  • ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स के पूरा होने में देरी और करीब 85% प्रॉजेक्ट्स तय समय के बाद भी पूरे नहीं हुए। इससे ₹10,732 करोड़ की रकम फंस गई। पर्याप्त दस्तावेज न होने पर भी फाइनेंशियल बिड खोलकर ₹272 करोड़ के चार प्लॉटो के आवंटन को मंजूरी दे दी गई।
  • आवंटन के दौरान 30% के बजाय 20% रकम जमा कराने का फैसला किया गया जबकि सीईओ को ऐसा करने का अधिकार नहीं था। बिल्डरों को दी गई इस सुविधा से प्रीमियम का ओवरड्यू 8060 करोड़ हो गया।
  • स्पोर्ट्स सिटी में अपात्रों को भूखंड दिए गए। योजना पूरी नहीं हुई। आवंटियो ने ₹2,329 करोड़ का बकाया भुगतान करने में चूक की।
  • भू-उपयोग के उलट वाणिज्यिक गतिविधि के बजाय संस्थागत गतिविधि की मंजूरी देने से ₹519 करोड़ के राजस्व का नुकसान।
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