MBBS Uzbekistan Reality: भारत से हर साल हजारों की संख्या में भारतीय छात्र विदेश में MBBS करने जाते हैं। विदेश में मेडिकल एजुकेशन भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की तुलना में किफायती है, जो भारतीयों को वहां जाने के लिए प्रेरित करती है। हालांकि, विदेश में MBBS के लिए सही यूनिवर्सिटी चुनना जरूरी होता है, क्योंकि ये फैसला ही तय करता है कि आपको कितनी अच्छी पढ़ाई मिलेगी। कई बार देखने को मिला है कि छात्र गलत संस्थान में एडमिशन ले लेते हैं और फिर उन्हें पछताना पड़ता है।
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ऐसा ही कुछ एक भारतीय के साथ भी हुआ है। उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक पोस्ट में अपना दुख बयां किया है। भारतीय छात्र उज्बेकिस्तान के ताशकंद मेडिकल अकेडमी में MBBS कर रहा है। उसने बताया कि अन्य भारतीयों को यहां पढ़ने नहीं आना चाहिए। उसने इसके पीछे एक दो नहीं, बल्कि आठ वजहें बताई हैं, जिसमें खराब क्वालिटी की पढ़ाई से लेकर फर्जी इवेंट तक का जिक्र किया गया है। उसकी पोस्ट का टाइटल- 'ताशकंद मेडिकल अकेडमिक सबसे बुरा सपना- यहां मत आओ।'
हालात बहुत खराब हो गए: भारतीय छात्र
भारतीय छात्र ने लिखा, 'मैं ताशकंद स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (TSMU) का स्टूडेंट है। पहले इसे ताशकंद मेडिकल अकेडमी (TMA) के तौर पर जाना जाता था। 2025 में दो अन्य मेडिकल कॉलेजों को भी इसमें शामिल कर दिया गया। अधिकारियों ने वादा किया कि हालात सुधर जाएंगे, लेकिन वो तो बहुत ज्यादा खराब हो गए।' छात्र ने आगे यहां नहीं आने की चेतावनी दी और उसके पीछे की वजहें बताईं। उसने बताया, 'अगर आप यहां आने की सोच रहे हैं, तो फिर मैं आपको यहां के हालात भी बता देता हूं।'
टूटी-फूटी अंग्रेजी में पढ़ा रहे प्रोफेसर्स
अपनी पोस्ट में छात्र ने पहली वजह बताते हुए कहा, 'सबसे बड़ी समस्या वीजा है। हमें कहा गया कि साल में 10 महीने क्लास मिलेगी। 4 महीने घर पर फंसे रहने के बाद नया वीजा मिला। जॉर्जिया जैसे देशों में स्टूडेंट्स को तुरंत वीजा मिल जाता है। यहां पर आप पागलों की तरह घर पर बैठे रहते हैं, क्योंकि सब कुछ आपको आपकी एजेंसी से पूछना है। सिर्फ समय बर्बाद होता है।'
भारतीय छात्र ने ये भी बताया कि इस मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर्स को अंग्रेजी भी नहीं आती है। उसने कहा, 'आप सोचिए कि एक प्रोफेसर टूटी-फूटी अंग्रेजी में लेक्चर दे रहा है। ये सिर्फ एक टीचर की बात नहीं है, बल्कि ज्यादातर टीचर्स ही ऐसे हैं। यहां पर बायोफिजिक्स और आईटी जैसे गैर-जरूरी सब्जेक्ट्स करिकुलम में जोड़ दिए जाते हैं। आपको लगेगा कि आप MBBS नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग कर रहे हैं।'
समस्याएं सुलझाने वाला कोई नहीं
तीसरी वजह बताते हुए छात्र ने कहा कि यूनिवर्सिटी का डीन सर्कस के रिंगमास्टर की तरह है। उसने लिखा, 'इस आदमी को इस बात की ज्यादा परवाह है कि आपने दाढ़ी कटवाई है या नहीं, बजाय इसके कि आपकी क्लास चल रही है या नहीं। किसी भी समस्या को लेकर उनके ऑफिस जाओ, तो वो या उसके साथी बस यही कहते हैं: अपनी एजेंसी से पूछ लो। इस बीच, असली समस्याएं (वीजा, देरी, प्रशासनिक गड़बड़ियां) कभी सुलझती नहीं हैं। जो अच्छे लोग हैं, उनके पास कोई ताकत नहीं है।'
हॉस्टल में सफाई नहीं, एजेंसी करा रहीं एडमिशन
भारतीय छात्र ने चौथी वजह बताते हुए कहा कि जब से कॉलेजों को मिलाया गया है, तब से हालात खराब हैं। उसने कहा, '2025 में मेडिकल कॉलेजों के मिलने के बाद मेडिकल एजुकेशन सुधरना था। लेकिन इसके उलट यहां तीन गुना कंफ्यूजन हो गया, देरी बढ़ गई है और खराब प्रशासन है। एजेंसी के पास ज्यादा ताकत है और वे स्टूडेंट्स को यहां ला रही हैं।' उसने दावा किया कि पैसा होने पर यहां आसानी से एडमिशन मिल जा रहा है।
छात्र ने पाचंवीं वजह बताते हुए कहा, 'यहां होने वाले एडमिशन पर एजेंसी का पूरा कंट्रोल होता है। यहां होने वाले इंटरव्यू बस फॉर्मेल्टी हैं। मैं ऐसे लोगों को भी जानता हूं, जिन्हें बेसिक नहीं मालूम, लेकिन फिर भी उन्हें एडमिशन मिल गया।' भारतीय ने छठी वजह हॉस्टल में सफाई नहीं होने को बताया। उसने कहा, 'हॉस्टल रविवार को छोड़कर रोज साफ होते हैं। लेकिन फिर भी फफूंद, टपकती छतें, टूटे पाइप यहां मौजूद हैं। सफाई का पूरा ध्यान आपको खुद रखा है।'
फर्जी इवेंट और रट्टा मारकर पढ़ाने पर जोर
भारतीय छात्र ने आगे यूनिवर्सिटी में होने वाले फर्जी इवेंट के बारे में भी बात की। उसने सातवीं वजह बताते हुए कहा, 'इंटरनेशनल स्टूडेंट प्रोग्राम के लिए फर्जी इवेंट की फोटो ली जाती है, ताकि टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर उन्हें अपलोड किया जा सके। अगर आप अच्छी एजेंसी के जरिए यहां पढ़ने नहीं आए हैं, तो फिर इन इवेंट्स में आपको बुलाया भी नहीं जाएगा।'
छात्र ने आगे आठवीं वजह बताते हुए कहा, 'यहां पर पढ़ाने का तरीका बिल्कुल सिंपल है- ये लिस्ट ले लो, इसे याद कर लो और गुड लक। ना कोई प्रैक्टिकल और ना कोई समझ। कुछ ऐसे भी स्टूडेंट्स हैं, जिन्हें अच्छे टीचर मिले हैं, लेकिन ज्यादातर लोग खुद के हिसाब से ही चल रहे हैं। एग्जाम के दौरान सिर्फ पीडीएफ याद कर लोग और उसके आधार पर पेपर दे दो।'
MBBS एडमिशन को लेकर छात्र ने चेताया
भारतीय छात्र ने आगे कहा, 'उज्बेकिस्तान के लोग अच्छे हैं। वे स्वागत करने वाले हैं। लेकिन ये यूनिवर्सिटी खराब प्रशासन और एजेंसी के जरिए चलाया जाने वाला एक सर्कस है। जब तक यहां से एजेंसी की दखलअंदाजी खत्म नहीं होती है, तब तक कुछ नहीं बदलेगा।' उसने आगे कहा, 'इसलिए अगर आप TSMU में MBBS करने की सोच रहे हैं, तो फिर खुद से पूछे कि क्या आप ऐसी शिक्षा के लिए यहां आना चाहते हैं, क्योंकि एक बार जब आप यहां फंस गए तो फिर ये एक लंबा और खराब सफर होने वाला है।'
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ऐसा ही कुछ एक भारतीय के साथ भी हुआ है। उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक पोस्ट में अपना दुख बयां किया है। भारतीय छात्र उज्बेकिस्तान के ताशकंद मेडिकल अकेडमी में MBBS कर रहा है। उसने बताया कि अन्य भारतीयों को यहां पढ़ने नहीं आना चाहिए। उसने इसके पीछे एक दो नहीं, बल्कि आठ वजहें बताई हैं, जिसमें खराब क्वालिटी की पढ़ाई से लेकर फर्जी इवेंट तक का जिक्र किया गया है। उसकी पोस्ट का टाइटल- 'ताशकंद मेडिकल अकेडमिक सबसे बुरा सपना- यहां मत आओ।'
हालात बहुत खराब हो गए: भारतीय छात्र
भारतीय छात्र ने लिखा, 'मैं ताशकंद स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (TSMU) का स्टूडेंट है। पहले इसे ताशकंद मेडिकल अकेडमी (TMA) के तौर पर जाना जाता था। 2025 में दो अन्य मेडिकल कॉलेजों को भी इसमें शामिल कर दिया गया। अधिकारियों ने वादा किया कि हालात सुधर जाएंगे, लेकिन वो तो बहुत ज्यादा खराब हो गए।' छात्र ने आगे यहां नहीं आने की चेतावनी दी और उसके पीछे की वजहें बताईं। उसने बताया, 'अगर आप यहां आने की सोच रहे हैं, तो फिर मैं आपको यहां के हालात भी बता देता हूं।'
टूटी-फूटी अंग्रेजी में पढ़ा रहे प्रोफेसर्स
अपनी पोस्ट में छात्र ने पहली वजह बताते हुए कहा, 'सबसे बड़ी समस्या वीजा है। हमें कहा गया कि साल में 10 महीने क्लास मिलेगी। 4 महीने घर पर फंसे रहने के बाद नया वीजा मिला। जॉर्जिया जैसे देशों में स्टूडेंट्स को तुरंत वीजा मिल जाता है। यहां पर आप पागलों की तरह घर पर बैठे रहते हैं, क्योंकि सब कुछ आपको आपकी एजेंसी से पूछना है। सिर्फ समय बर्बाद होता है।'
भारतीय छात्र ने ये भी बताया कि इस मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर्स को अंग्रेजी भी नहीं आती है। उसने कहा, 'आप सोचिए कि एक प्रोफेसर टूटी-फूटी अंग्रेजी में लेक्चर दे रहा है। ये सिर्फ एक टीचर की बात नहीं है, बल्कि ज्यादातर टीचर्स ही ऐसे हैं। यहां पर बायोफिजिक्स और आईटी जैसे गैर-जरूरी सब्जेक्ट्स करिकुलम में जोड़ दिए जाते हैं। आपको लगेगा कि आप MBBS नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग कर रहे हैं।'
समस्याएं सुलझाने वाला कोई नहीं
तीसरी वजह बताते हुए छात्र ने कहा कि यूनिवर्सिटी का डीन सर्कस के रिंगमास्टर की तरह है। उसने लिखा, 'इस आदमी को इस बात की ज्यादा परवाह है कि आपने दाढ़ी कटवाई है या नहीं, बजाय इसके कि आपकी क्लास चल रही है या नहीं। किसी भी समस्या को लेकर उनके ऑफिस जाओ, तो वो या उसके साथी बस यही कहते हैं: अपनी एजेंसी से पूछ लो। इस बीच, असली समस्याएं (वीजा, देरी, प्रशासनिक गड़बड़ियां) कभी सुलझती नहीं हैं। जो अच्छे लोग हैं, उनके पास कोई ताकत नहीं है।'
हॉस्टल में सफाई नहीं, एजेंसी करा रहीं एडमिशन
भारतीय छात्र ने चौथी वजह बताते हुए कहा कि जब से कॉलेजों को मिलाया गया है, तब से हालात खराब हैं। उसने कहा, '2025 में मेडिकल कॉलेजों के मिलने के बाद मेडिकल एजुकेशन सुधरना था। लेकिन इसके उलट यहां तीन गुना कंफ्यूजन हो गया, देरी बढ़ गई है और खराब प्रशासन है। एजेंसी के पास ज्यादा ताकत है और वे स्टूडेंट्स को यहां ला रही हैं।' उसने दावा किया कि पैसा होने पर यहां आसानी से एडमिशन मिल जा रहा है।
छात्र ने पाचंवीं वजह बताते हुए कहा, 'यहां होने वाले एडमिशन पर एजेंसी का पूरा कंट्रोल होता है। यहां होने वाले इंटरव्यू बस फॉर्मेल्टी हैं। मैं ऐसे लोगों को भी जानता हूं, जिन्हें बेसिक नहीं मालूम, लेकिन फिर भी उन्हें एडमिशन मिल गया।' भारतीय ने छठी वजह हॉस्टल में सफाई नहीं होने को बताया। उसने कहा, 'हॉस्टल रविवार को छोड़कर रोज साफ होते हैं। लेकिन फिर भी फफूंद, टपकती छतें, टूटे पाइप यहां मौजूद हैं। सफाई का पूरा ध्यान आपको खुद रखा है।'
फर्जी इवेंट और रट्टा मारकर पढ़ाने पर जोर
भारतीय छात्र ने आगे यूनिवर्सिटी में होने वाले फर्जी इवेंट के बारे में भी बात की। उसने सातवीं वजह बताते हुए कहा, 'इंटरनेशनल स्टूडेंट प्रोग्राम के लिए फर्जी इवेंट की फोटो ली जाती है, ताकि टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर उन्हें अपलोड किया जा सके। अगर आप अच्छी एजेंसी के जरिए यहां पढ़ने नहीं आए हैं, तो फिर इन इवेंट्स में आपको बुलाया भी नहीं जाएगा।'
छात्र ने आगे आठवीं वजह बताते हुए कहा, 'यहां पर पढ़ाने का तरीका बिल्कुल सिंपल है- ये लिस्ट ले लो, इसे याद कर लो और गुड लक। ना कोई प्रैक्टिकल और ना कोई समझ। कुछ ऐसे भी स्टूडेंट्स हैं, जिन्हें अच्छे टीचर मिले हैं, लेकिन ज्यादातर लोग खुद के हिसाब से ही चल रहे हैं। एग्जाम के दौरान सिर्फ पीडीएफ याद कर लोग और उसके आधार पर पेपर दे दो।'
MBBS एडमिशन को लेकर छात्र ने चेताया
भारतीय छात्र ने आगे कहा, 'उज्बेकिस्तान के लोग अच्छे हैं। वे स्वागत करने वाले हैं। लेकिन ये यूनिवर्सिटी खराब प्रशासन और एजेंसी के जरिए चलाया जाने वाला एक सर्कस है। जब तक यहां से एजेंसी की दखलअंदाजी खत्म नहीं होती है, तब तक कुछ नहीं बदलेगा।' उसने आगे कहा, 'इसलिए अगर आप TSMU में MBBS करने की सोच रहे हैं, तो फिर खुद से पूछे कि क्या आप ऐसी शिक्षा के लिए यहां आना चाहते हैं, क्योंकि एक बार जब आप यहां फंस गए तो फिर ये एक लंबा और खराब सफर होने वाला है।'
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