योग, एक प्राचीन भारतीय जीवन-दर्शन है, जो शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन और सामंजस्य स्थापित करता है। यह केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवन जीने की कला है।
🧘♀️ निरोगी काया ही सच्चा सुखसच्चा सुख तभी संभव है जब मनुष्य शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो। धन, वैभव या भौतिक संसाधनों से परे, यदि मन और शरीर अस्वस्थ हों, तो जीवन में आनंद संभव नहीं। एक स्वस्थ व्यक्ति ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है। अतः योग केवल विकल्प नहीं, आवश्यकता है।
योगाभ्यास और योग-शिक्षा न केवल रोगों से मुक्ति दिलाती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में स्थिरता और ऊर्जा प्रदान करती है।
🧘♂️ योग: जीवन का आधारमहर्षि पतंजलि ने कहा है:
“योगश्चित्तवृत्ति निरोधः”
अर्थात, मन की चंचलता को रोकना ही योग है।
योग के नियमित अभ्यास से:
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शरीर लचीला और सुदृढ़ बनता है
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मन शांत और स्थिर होता है
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नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है
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ऊर्जा और आत्मबल में वृद्धि होती है
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आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की दिशा मिलती है
योग हमें सिखाता है कि:
– कैसे मानसिक शांति प्राप्त करें,
– कैसे रिश्तों में सुधार लाएँ,
– और कैसे अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानें।
वास्तव में, योग ही वह सेतु है जो व्यक्ति को भौतिकता से अध्यात्म की ओर ले जाता है।
✍🏻 ज्योति किरण
योग प्रशिक्षक एवं शोधकर्ता
गुरु: हृदय नारायण झा एवं यामिनी शर्मा
चेतना: भारतीय योग एवं नृत्य शोध संस्थान, बिहार
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