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जुबीन गर्ग केस: आरोपियों को लाते ही बक्सा जेल के बाहर हिंसक हुई भीड़, आगजनी तोड़फोड़ के बाद निषेधाज्ञा लागू

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असम के बक्सा जिले की जेल के बाहर उस समय हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जब जुबीन गर्ग मौत मामले के पांच आरोपियों को भारी पुलिस सुरक्षा में जेल लाया गया। जैसे ही जुबीन के फैंस को इस बात की खबर लगी तो वहां पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। बक्सा डिस्ट्रिक्ट जेल के बाहर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों समेत सात गाड़ियों को आग लगा दी, और पत्थरबाजी में कई लोग जख्मी हो गए। बढ़ते तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने शांति बहाल करने के इरादे से निषेधाज्ञा लागू करते हुए जिले में दूरसंचार सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।

बताया जा रहा है कि स्थिति तब और बिगड़ गई जब बक्सा जिला जेल परिसर के बाहर उत्तेजित भीड़ जमा हो गई और दो आरोपियों श्यामकानु महंत और जुबीन गर्ग के मैनेजर सिद्धार्थ सरमा को जनता के सामने पेश करने की मांग करने लगी। भीड़ ने पथराव किया, जिसमें एक महिला पुलिस अधिकारी घायल हो गई और पुलिस काफिले के कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठियां चलाईं और कई लोगों को गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के आरोप में हिरासत में लिया गया।

जिला मजिस्ट्रेट गौतम दास ने तुरंत एक आदेश जारी कर बक्सा जेल के 500 मीटर के दायरे में सभी प्रकार की रैलियों, प्रदर्शनों और जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस आदेश में लाठी, खंजर, भाले और तलवार जैसे हथियार ले जाने के साथ-साथ पत्थर या पटाखों सहित किसी भी ज्वलनशील पदार्थ ले जाने या इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह चेतावनी भी जारी की गई है कि अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह निषेधाज्ञा तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है और अगली सूचना तक लागू रहेगी।

इससे पहले कामरूप जिले की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अदालत ने सभी पांचों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। अदालत ने पुलिस को सुरक्षा कारणों से आरोपियों को गुवाहाटी सेंट्रल जेल में न रखने का भी आदेश दिया। अदालत के निर्देश के बाद पुलिस ने जुबीन गर्ग मौत मामले के पांचों आरोपियों को रखने के लिए बक्सा सेंट्रल जेल को चुना।

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