दोस्तो मानसून का मौसम हमें भीषण गर्मी से राहत प्रदान करता हैं, लेकिन कई प्रकार की स्वास्थ्य और स्कीन से संबंधित परेशानियों को उत्पन्न करता है, ऐसे में ग्लिसरीन एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मॉइस्चराइज़र है जो त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए जाना जाता है, लेकिन मानसून के दौरान इसे लगाने से कभी-कभी फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं इसके नुकसान के बारे में-

चिपचिपी त्वचा: ग्लिसरीन त्वचा पर एक चिपचिपी परत छोड़ सकता है। मानसून के दौरान, यह चिपचिपाहट धूल और गंदगी को आकर्षित कर सकती है।
संक्रमण का बढ़ता जोखिम: मानसून की उमस भरी परिस्थितियाँ पहले से ही फंगल और बैक्टीरियल संक्रमणों की संभावना को बढ़ा देती हैं। ग्लिसरीन का उपयोग त्वचा पर नमी का वातावरण बनाकर इस जोखिम को और बढ़ा सकता है।
प्राकृतिक त्वचा संतुलन में व्यवधान: हाइड्रेट करने के बजाय, ग्लिसरीन कुछ लोगों के लिए त्वचा के प्राकृतिक नमी संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे रूखापन और खुरदुरे धब्बे हो सकते हैं।
एलर्जी और जलन: कुछ व्यक्तियों को ग्लिसरीन से एलर्जी हो सकती है, जिससे लालिमा, चकत्ते और जलन हो सकती है।
त्वचा की संवेदनशीलता में वृद्धि: ग्लिसरीन त्वचा को अधिक संवेदनशील बना सकता है, जिससे प्रदूषण, पसीने या अन्य पर्यावरणीय कारकों के प्रति प्रतिक्रिया बढ़ जाती है।

अत्यधिक पसीना आना: मानसून के मौसम में अक्सर पसीना आता है। इसके ऊपर ग्लिसरीन लगाने से चिपचिपाहट और बेचैनी की भावना और बढ़ सकती है।
त्वचा की सफ़ाई में चुनौतियाँ: ग्लिसरीन द्वारा बनाई गई चिपचिपी परत त्वचा की सफ़ाई को और मुश्किल बना सकती है, क्योंकि यह धूल, गंदगी और प्रदूषकों को आकर्षित करती है।
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