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परमाणु समझौता 2015 के दस साल पूरे, अब हम पर कोई प्रतिबंध नहीं: ईरान

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तेहरान, 18 अक्टूबर . ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अब उसके परमाणु कार्यक्रमों पर प्रतिबंध की समय सीमा समाप्त हो चुकी है लेकिन तेहरान कूटनीति को लेकर प्रतिबद्ध है. 18 अक्टूबर को संयुक्त व्यापक कार्य योजना आयोग (जेसीपीओए) के 10 साल पूरे होने पर उन्होंने ये बातें कहीं.

ईरान का कहना है कि वह अब प्रतिबंधों से बंधा नहीं है क्योंकि उसके और विश्व शक्तियों के बीच ऐतिहासिक 10-वर्षीय समझौता समाप्त हो गया है.

ईरान के विदेश मंत्रालय ने समझौते की समाप्ति के दिन एक बयान में कहा, “अब से, ईरानी परमाणु कार्यक्रम और संबंधित तंत्रों पर प्रतिबंधों सहित (2015 के समझौते के सभी प्रावधान) समाप्त माने जाएंगे.” इसमें आगे कहा गया, “ईरान कूटनीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर है.”

मेहर न्यूज एजेंसी ने इस बयान के हवाले से बताया कि ईरान के परमाणु मुद्दे को सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शामिल करने का मूल उद्देश्य, यानी उसके संबंधित कार्यक्रम की शांतिपूर्ण प्रकृति की पुष्टि, पूरी तरह से हासिल हो चुका है.

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की किसी भी रिपोर्ट में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के Political दबाव के बावजूद, देश की परमाणु गतिविधियों को सैन्य उद्देश्यों की ओर मोड़ने का कोई संकेत नहीं दिया गया है.

बयान में इस बात पर भी जोर दिया गया कि ईरान ने कठोर प्रतिबंधों का सामना करने के बावजूद, संयुक्त व्यापक कार्य योजना 2015 के परमाणु समझौते (जिसे प्रस्ताव 2231 द्वारा अनुमोदित किया गया था) के तहत अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं का लगातार पालन किया है, जबकि पश्चिमी देशों ने बार-बार अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है.

मंत्रालय ने कहा, “ईरान ने पारदर्शिता और अनुपालन का पालन किया, लेकिन 2018 में अमेरिका के गैर-जिम्मेदाराना तरीके से पीछे हटने और यूरोपीय तिकड़ी (यूके, फ्रांस और जर्मनी) के अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाने में विफलता ने बहुपक्षीय कूटनीति को एक बड़ा झटका दिया.”

इसके अतिरिक्त, बयान में “स्नैपबैक” मैकेनिज्म को सक्रिय करने की निंदा की गई है, जिसके तहत पश्चिमी सहयोगियों और सुरक्षा परिषद ने ईरान पर परमाणु- प्रतिबंधों को फिर से लागू करना अनिवार्य माना.

वहीं, ईरान का मानना है कि अपनी गैर-प्रतिबद्धता के कारण, तीनों देशों ने यह कदम उठाने का अपना सारा कानूनी और नैतिक अधिकार खो दिया है.

बता दें कि जून 2025 में, अमेरिका ने तेहरान के साथ पांच दौर की अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ता के बाद (जो परमाणु संवर्धन सहित अन्य मुद्दों पर रुकी हुई थी) ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला किया. यूएस ने इजरायल का इसमें पूरा साथ दिया था.

इजरायल ने हमले को लेकर कहा कि ईरान के शीर्ष सैन्य नेताओं, परमाणु वैज्ञानिकों, यूरेनियम संवर्धन स्थलों और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर हमला इस्लामिक गणराज्य की इजरायल को तबाह करने की घोषित योजना का परिणाम था.

केआर/

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