बीजिंग, 24 अगस्त . चीन की राजधानी पेइचिंग में ‘चीन द्वारा नानशा द्वीप समूह की पुनः प्राप्ति का कानूनी और ऐतिहासिक आधार : विश्व फासीवाद-विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ का स्मरणोत्सव’ शीर्षक से एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई.
संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञों और विद्वानों ने कहा कि शीशा और नानशा द्वीपों पर चीन की संप्रभुता की पुनः प्राप्ति, विश्व फासीवाद-विरोधी युद्ध के बाद दक्षिण चीन सागर व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसे दृढ़ता से कायम रखा जाना चाहिए.
संगोष्ठी दो विषयों पर केंद्रित थी: ‘युद्धोत्तर व्यवस्था और पड़ोसी राज्यों के दावे’ और ‘चीन द्वारा नानशा द्वीप समूह की पुनर्प्राप्ति का इतिहास और कानून.’
चीन, मलेशिया, फिलीपींस और अन्य देशों व क्षेत्रों के 40 से अधिक विशेषज्ञों और विद्वानों ने अपनी अंतर्दृष्टि साझा की और विचारों का आदान-प्रदान किया.
इस सीमापार अकादमिक संवाद ने दक्षिण चीन सागर के इतिहास और कानूनी मुद्दों की समझ को और गहरा किया.
फिलीपींस स्थित एशियन सेंचुरी स्ट्रैटेजिक इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता एना मलिंडा-उय ने कहा, “मुझे लगता है कि यह सेमिनार महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें दक्षिण चीन सागर के इतिहास के बारे में अधिक चर्चा की गई है. ऐतिहासिक संदर्भ इसलिए महत्वपूर्ण है, ताकि हम इसे समझ सकें और बेहतर विश्लेषण कर सकें, और फिर इतिहास के आधार पर हम विवादों का समाधान प्रस्तुत कर सकें.”
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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एबीएम/
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