Patna, 28 अक्टूबर . मुजफ्फरपुर जिले की पारू उत्तर बिहार की राजनीति में एक प्रमुख विधानसभा सीट मानी जाती है. यह वैशाली Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आती है और सामान्य वर्ग की सीट है.
अशोक कुमार सिंह इस क्षेत्र में पिछले दो दशकों से प्रभावी चेहरा रहे हैं. उन्होंने अक्टूबर 2005, 2010, 2015 और 2020 में भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार जीत दर्ज की. 2020 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी शंकर प्रसाद को हराया था, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे.
इस बार समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं. भाजपा ने अपने चार बार के विधायक अशोक कुमार सिंह को टिकट नहीं दिया है, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोंक दी है. भाजपा ने यह सीट अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा) के खाते में दे दी है, जिसने मदन चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.
वहीं राजद ने शंकर प्रसाद पर एक बार फिर भरोसा जताया है, जबकि जन सुराज पार्टी ने रंजना कुमारी को मैदान में उतारा है. कुल 10 उम्मीदवार इस बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
जातिगत समीकरण की बात करें तो पारू विधानसभा में भूमिहार, यादव और राजपूत जाति का दबदबा है. 1969 के बाद से अब तक यही जातियां इस क्षेत्र से विधायक चुनती रही हैं.
इस क्षेत्र में सरैया और पारू प्रखंड शामिल हैं, जिनमें मणिकपुर भगवानपुर सिमरा, चिंतामनपुर, जगदीशपुर बाया, कमलपुरा, कोरिया निजामत, लालू छपरा, पारू उत्तर, पारू दक्षिण, रघुनाथपुर, रामपुर केशो उर्फ मलाही, बजितपुर और मंगुरहियां जैसी ग्राम पंचायतें आती हैं.
यह इलाका पूरी तरह ग्रामीण है है. पारू धार्मिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है. यहां बाबा फुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. इसके अलावा यहां आसपास आस्था के कई केंद्र हैं. यह क्षेत्र राज्य राजमार्गों से जुड़ा है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर जंक्शन है.
पारू की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है. यहां धान, गेहूं, मक्का और दलहन प्रमुख फसलें हैं. कुछ इलाकों में गन्ना और सब्जियों की खेती भी होती है. बड़े उद्योगों की अनुपस्थिति में यहां चावल मिल, ईंट भट्ठे और कृषि व्यापार केंद्र ही रोजगार के प्रमुख स्रोत हैं. पारू बाजार का साप्ताहिक हाट इस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है.
1957 में स्थापित इस विधानसभा क्षेत्र में अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं. शुरुआती वर्षों में पारू कांग्रेस का गढ़ रहा, जिसने पहले पांच में से चार चुनाव जीते. हालांकि उसे इस सीट पर आखिरी बार 1972 में जीत मिली थी. इसके बाद Political समीकरण बदले और पिछले दो दशकों में यह सीट भाजपा का मजबूत किला बन गई. भाजपा नेता अशोक कुमार सिंह ने लगातार चार बार (2005, 2010, 2015, 2020) इस सीट से चुनाव जीता.
इस सीट पर जनता पार्टी और राजद ने दो-दो बार, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोक दल, जनता दल और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी एक-एक बार जीत हासिल की.
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डीसीएच/वीसी
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