आखिर सुबह-सुबह ही बांग क्यों देता है मुर्गा , जानें यहाँ | GK in Hindi General Knowledge : अगर आप ग्रामीण क्षेत्र या अर्ध-शहरी क्षेत्र में रहते हैं, तो आपने सुबह-सुबह मुर्गे की बांग जरूर सुनी होगी ! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मुर्गा सुबह के समय ही क्यों बांग देता है यह बात बहुत कम लोग जानते हैं ! इसके अलावा कई लोग यह भी जानना चाहते हैं कि मुर्गा ही क्यों बांग देता है और मुर्गी क्यों नहीं तो चलिए आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब बताते हैं !
आखिर सुबह-सुबह ही बांग क्यों देता है मुर्गा मुर्गे को सर्कडियन क्लॉक भी कहा जाता हैदरअसल, मुर्गा सुबह के समय को बहुत सटीक तरीके से भांप लेता है ! यह सब उसके शरीर की संरचना और उसकी आंतरिक विशेषताओं के कारण होता है ! यही वजह है कि मुर्गे को सर्कडियन क्लॉक यानी जैविक घड़ी का नाम भी दिया गया है !
मुर्गियाँ क्यों नहीं बांग देतींलेकिन सवाल यहीं खत्म नहीं होता ! अब सवाल यह उठता है कि मुर्गा सुबह के समय ही क्यों बांग देता है, शाम के समय क्यों नहीं आपको बता दें कि इसके पीछे विज्ञान है ! दरअसल मुर्गे में सुबह के समय हॉरमोनल एक्टिविटी सबसे ज्यादा होती है ! यही वजह है कि मुर्गा सुबह के समय ही बांग देता है ! अगर मुर्गियों की बात करें तो उनके हॉरमोन मुर्गों से अलग होते हैं ! इसी अंतर की वजह से मुर्गियां बांग देने की बजाय कुड़कुड़ाती रहती हैं !
वैज्ञानिकों ने मुर्गों की बांग पर एक शोध किया थागौरतलब है कि जापानी वैज्ञानिकों ने मुर्गों की बांग पर एक शोध किया था ! जिसमें पाया गया कि मुर्गे भोर से पहले मध्यम रोशनी में सुबह के आगमन का सही अनुमान लगा लेते हैं और अपनी बांग से यह बता देते हैं कि आसमान में सूरज की किरणें आ चुकी हैं ! वैज्ञानिकों का मानना है कि मुर्गों का व्यवहार उनकी आंतरिक घड़ी और सर्कैडियन लय के अनुसार नियंत्रित होता है, जो एक जैविक प्रक्रिया है और जानवरों के साथ-साथ पौधों में भी होती है !
आखिर सुबह-सुबह ही बांग क्यों देता है मुर्गा , शोध में वैज्ञानिकों ने क्या कियाइस प्रयोग के लिए वैज्ञानिकों ने मुर्गों के दो समूह बनाए, पहले समूह को दिन के उजाले में और दूसरे समूह को 12 घंटे तक कम रोशनी में रखा गया और उनके व्यवहार को समझा गया ! प्रयोग में पाया गया कि जैसे ही मंद प्रकाश को तेज किया गया, उस समूह के मुर्गे बांग देने लगे ! यानी यह स्पष्ट हो गया कि सुबह होते ही वे सूर्य के प्रकाश को समझकर बांग देने लगते हैं
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