प्रसिद्ध गायक जुबिन गर्ग की मृत्यु के मामले में जांच जारी है। इस मामले में फेस्टिवल के आयोजक, उनके प्रबंधक सिद्धार्थ शर्मा और बैंड के दो सदस्य शेखर ज्योति गोस्वामी और अमृतप्रभा महंत को गिरफ्तार कर 14 दिन की पुलिस हिरासत में रखा गया है। इस दौरान, शेखर ज्योति गोस्वामी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि जुबिन को सिंगापुर में जहर दिया गया था, जिससे उनकी मृत्यु हुई।
19 सितंबर, 2025 को स्कूबा डाइविंग के दौरान जुबिन गर्ग घायल हो गए थे, और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में, आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, ज्योति ने आरोप लगाया कि जुबिन को उनके प्रबंधक और नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के आयोजक ने जहर दिया था।
सांस लेने में कठिनाई का सामना कर रहे थे जुबिन
जुबिन की सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हुई थी। वह श्यामकानु महंत और उनकी कंपनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सिंगापुर गए थे। दस्तावेज में उल्लेख है कि जब जुबिन गर्ग सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय सिद्धार्थ शर्मा को ‘जाबो दे, जाबो दे’ चिल्लाते हुए सुना गया।
जुबिन गर्ग के तैराकी कौशल पर सवाल
गवाहों का कहना है कि जुबिन गर्ग एक कुशल तैराक थे, इसलिए उनकी मृत्यु डूबने से नहीं हो सकती। शेखर ज्योति गोस्वामी ने आरोप लगाया कि सिद्धार्थ और श्यामकानु ने जुबिन को जहर दिया और अपनी साजिश को छिपाने के लिए विदेश में स्थान चुना। सिद्धार्थ ने उन्हें नाव के वीडियो साझा न करने का भी निर्देश दिया था। सीआईडी का विशेष जांच दल इस मामले की जांच कर रहा है।
एक्सीडेंट दिखाने की योजना
सीआईडी के सूत्रों ने दस्तावेज की सत्यता की पुष्टि की है। नोट में कहा गया है कि गवाह शेखर ज्योति गोस्वामी के बयान से पता चला है कि जुबिन की मृत्यु को एक्सीडेंट के रूप में दिखाने की योजना बनाई गई थी। सिद्धार्थ का व्यवहार संदिग्ध था, और उन्होंने नाव के नियंत्रण को जबरदस्ती छीन लिया था, जिससे नाव खतरनाक स्थिति में आ गई थी।
एसिड रिफ्लक्स का बहाना
जब जुबिन डूबने लगे, तो उनके मुंह और नाक से झाग निकल रहा था, लेकिन सिद्धार्थ ने इसे एसिड रिफ्लक्स बताकर टाल दिया। असम सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है।
न्यायिक आयोग का गठन
असम सरकार ने जुबिन गर्ग की मृत्यु की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया है। यह आयोग गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सैकिया की अध्यक्षता में कार्य करेगा और छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
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