आईपीएस पूरन कुमार केस. (फाइल फोटो)
चंडीगढ़ पुलिस ने IPS वाई पूरन कुमार के परिवार की मांग को मानते हुए एफआईआर में SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(वी) को जोड़ दिया है। परिवार ने इस धारा को जोड़ने की लगातार मांग की थी, यह कहते हुए कि एफआईआर में SC/ST एक्ट तो शामिल है, लेकिन इसके सख्त प्रावधान नहीं हैं।
SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(वी) तब लागू होती है जब किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति को उसकी जाति के आधार पर गंभीर चोट या मृत्यु का सामना करना पड़ता है। इस नई धारा के तहत, यदि किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति के साथ ऐसा अपराध किया जाता है जिससे उसकी गंभीर चोट या मृत्यु हो जाती है, तो दोषी को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।
पहले दर्ज की गई धाराओं में सजा की सीमा
पहले दर्ज की गई धाराओं में अधिकतम सजा 5 साल थी, जबकि नई धारा में आजीवन कारावास का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि वाई पूरन कुमार के निधन के 6 दिन बाद भी उनका पोस्टमार्टम नहीं हुआ है।
वाई पूरन कुमार की पत्नी IAS अमनीत पी कुमार और परिवार ने अंतिम संस्कार और पोस्टमार्टम के लिए कोई निर्णय नहीं लिया है। हरियाणा सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के साथ शनिवार रात को हुई बातचीत में भी कोई सहमति नहीं बनी।
परिवार की प्रमुख मांगें
परिवार की एक प्रमुख मांग यह है कि हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी पद से हटाए गए IPS नरेंद्र बिजराणिया को सस्पेंड कर तुरंत गिरफ्तार किया जाए। इस मामले में बने शहीद वाई पूरन कुमार न्याय मोर्चा ने चंडीगढ़ के सेक्टर 20 में महापंचायत बुलाई है।
महापंचायत में निर्णय की संभावना
मोर्चा के पदाधिकारियों के अनुसार, वाई पूरन कुमार के परिवार को न्याय दिलाने के लिए महापंचायत में निर्णय लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, चंडीगढ़ पुलिस प्रशासन ने महापंचायत करने की अनुमति नहीं दी है।
फिलहाल, वाई पूरन कुमार के पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार पर स्थिति स्पष्ट नहीं है, और सभी की नजर इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस-प्रशासन और हरियाणा सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर है।
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