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Snehaa Organics IPO GMP शेयर की लिस्टिंग के पहले क्या दे रहा है संकेत, निवेशकों को कितना हो सकता है मुनाफा

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स्नेहा ऑर्गेनिक्स आईपीओ 29 अगस्त से सब्सक्रिप्शन के लिए खुलकर 2 सितंबर को बंद हुआ। कंपनी ने इस इश्यू के जरिये 32.68 करोड़ रुपये जुटाए। यह 27 लाख शेयरों का पूरी तरह से फ्रेश इश्यू था। कंपनी के शेयर 4 सितंबर को NSE SME पर लिस्ट होने जा रहे हैं।



निवेशकों की ओर से इस इश्यू को शानदार रिस्पॉन्स मिला। पहले दिन यह एसएमई आईपीओ 1.95 गुना और दूसरे दिन 7.79 गुना सब्सक्राइब हुआ। तीसरे दिन तो निवेशक मानो टूट पड़े और यह इश्यू कुल मिलाकर 27.75 गुना सब्सक्राइब हुआ। रिटेल कैटेगरी में 37.75 गुना, एनआईआई कैटेगरी में 16.23 गुना और क्यूआईबी कैटेगरी में 42.19 गुना सब्सक्रिप्शन मिला।



इस आईपीओ के शेयर का प्राइस 122 रुपये प्रति शेयर है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार अनलिस्टेड मार्केट में Snehaa Organics IPO GMP 3 रुपये है जो कैप प्राइस की तुलना में 2.46 प्रतिशत अधिक है। कैप प्राइस और वर्तमान जीएमपी के आधार पर संकेत मिलता है कि स्नेहा ऑर्गेनिक्स आईपीओ के शेयर की अनुमानित लिस्टिंग 125 रुपये हो सकती है और निवेशकों को मामूली मुनाफा हो सकता है।



यहां ध्यान देने वाली बात है कि जीएमपी एक संकेत मात्र है और तेजी से बदलाव के अधीन है। उल्लेखनीय है कि इस इश्यू का उच्चतम जीएमपी 38 रुपये तक पहुंचा था। यह इश्यू खुलने के एक दिन पहले तक था। इश्यू खुलने वाले दिन जीएमपी 32 रुपये और फिर बाद में 35 रुपये हो गया। इसके बाद तेजी से गिरावट आई और इश्यू बंद होने वाले दिन जीएमपी 4 रुपये हो गया।



स्नेहा ऑर्गेनिक्स लिमिटेड सॉल्वेंट रिकवरी में काम करती है और उन उद्योगों को सस्टेनेबल सॉल्यूशन देती है जो सॉल्वेंट्स का उपयोग करते हैं। कंपनी खर्च हो चुके सॉल्वेंट्स को इकट्ठा करती है और उन्हें डिस्टिलेशन और प्यूरिफिकेशन तकनीक के जरिए दोबारा उपयोग करने लायक बनाती है।



स्नेहा ऑर्गेनिक्स सॉल्वेंट्स का डायरेक्ट ट्रेड भी करती है, जिसमें रॉ मैटेरियल की सोर्सिंग, क्वालिटी एसेसमेंट और ओपन मार्केट में सेलिंग शामिल है। 31 मार्च 2024 और 31 मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के बीच स्नेहा ऑर्गेनिक्स लिमिटेड के राजस्व में 10% की वृद्धि हुई और कर के बाद लाभ (पीएटी) में 101% की वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 25 में कंपनी का रेवेन्यू 26.29 करोड़ रुपये और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 7.34 करोड़ रुपये था।



(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)

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