भारत में अक्सर अपने बड़ों से दादा-दादी, नाना नानी या माता-पिता से विरासत में संपत्ति मिलती है। कई बार यह राशि इतनी बड़ी होती है कि विरासत प्राप्त करने वाले व्यक्ति ही सवाल करने लगते हैं कि क्या उन्हें इस राशि पर टैक्स देना होगा? या विरासत में मिली राशि को निवेश करेंगे तो उन्हें पहले टैक्स देना होगा? चलिए आपके सवालों के जवाब हम देते हैं। आपको सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि यदि विरासत में प्रॉपर्टी मिलती है तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आता है। ऐसे व्यक्ति की इनकम नहीं समझा जाता है। यानी आपको विरासत में अगर कुछ भी प्राप्त होता है तो उसे पर टैक्स नहीं लगेगा।
टैक्स का नियम?अब अगला सवाल यह उठता है कि क्या यदि विरासत में मिली संपत्ति को कहीं निवेश करना है तो उसके पहले उस पर टैक्स का भुगतान करना होगा? इसका जवाब यह है कि विरासत में मिली संपत्ति का आप जब इस्तेमाल करते हैं उसके बाद उससे जो इनकम होती है वह टैक्स के दायरे में आएगी लेकिन उसे निवेश करने से पहले उस राशि पर कोई टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। भले ही वह राशि एक करोड रुपए ही क्यों ना हो।
मान लेते हैं यदि आप उस राशि को एफडी में या निवेश के अन्य विकल्पों में लगाते हैं। तो उस पर मिलने वाले ब्याज की राशि कर योग्य श्रेणी में आएगी। लेकिन निवेश करने से पहले एक करोड रुपए पर कोई टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
संपत्ति विवाद से निपटाराभारत में विरासत को लेकर हमेशा से ही विवाद चलता आया है। संपत्ति कानून होने के बावजूद कई लोग अपनी वसीयत नहीं बना पाते हैं। परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद अन्य परिवार वाले उसकी संपत्ति को लेकर आपस में झगड़ते हैं। कई बार यह मामला कानून तक पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वसीयत का निर्माण किया जाना चाहिए। ताकि जिसकी संपत्ति है उसके अनुसार वह अपने जानने वालों को इसका विभाजन कर सकें।
पहले लगता था टैक्सभारत में भी पहले उत्तराधिकार टैक्स लगाया जाता था। साल 1985 में तत्कालिक सरकार ने इस टैक्स को हटा दिया। इसके बाद से यदि किसी व्यक्ति को दादा-दादी, नाना-नानी या माता-पिता से वसीयत के माध्यम से कोई संपत्ति प्राप्त होती है तो उस पर उसे टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। अब केवल विरासत में मिली संपत्ति से कमाई करते हैं तो कमाई गई राशि पर आपको टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। जैसे यदि आपको विरासत में घर मिला है और उस पर आप किराए से कमाई कर रहे हैं तो किराए से होने वाली आय पर टैक्स देना पड़ेगा।
कैपिटल गैन टैक्स का भुगतानअब यह भी समझ ले कि यदि आप विरासत में मिली संपत्ति को बेचते हैं, तो इस मामले में आपको टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। यह टेक्स कैपिटल गैन के अंतर्गत आए लगाया जाएगा।
टैक्स का नियम?अब अगला सवाल यह उठता है कि क्या यदि विरासत में मिली संपत्ति को कहीं निवेश करना है तो उसके पहले उस पर टैक्स का भुगतान करना होगा? इसका जवाब यह है कि विरासत में मिली संपत्ति का आप जब इस्तेमाल करते हैं उसके बाद उससे जो इनकम होती है वह टैक्स के दायरे में आएगी लेकिन उसे निवेश करने से पहले उस राशि पर कोई टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। भले ही वह राशि एक करोड रुपए ही क्यों ना हो।
मान लेते हैं यदि आप उस राशि को एफडी में या निवेश के अन्य विकल्पों में लगाते हैं। तो उस पर मिलने वाले ब्याज की राशि कर योग्य श्रेणी में आएगी। लेकिन निवेश करने से पहले एक करोड रुपए पर कोई टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
संपत्ति विवाद से निपटाराभारत में विरासत को लेकर हमेशा से ही विवाद चलता आया है। संपत्ति कानून होने के बावजूद कई लोग अपनी वसीयत नहीं बना पाते हैं। परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद अन्य परिवार वाले उसकी संपत्ति को लेकर आपस में झगड़ते हैं। कई बार यह मामला कानून तक पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वसीयत का निर्माण किया जाना चाहिए। ताकि जिसकी संपत्ति है उसके अनुसार वह अपने जानने वालों को इसका विभाजन कर सकें।
पहले लगता था टैक्सभारत में भी पहले उत्तराधिकार टैक्स लगाया जाता था। साल 1985 में तत्कालिक सरकार ने इस टैक्स को हटा दिया। इसके बाद से यदि किसी व्यक्ति को दादा-दादी, नाना-नानी या माता-पिता से वसीयत के माध्यम से कोई संपत्ति प्राप्त होती है तो उस पर उसे टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। अब केवल विरासत में मिली संपत्ति से कमाई करते हैं तो कमाई गई राशि पर आपको टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। जैसे यदि आपको विरासत में घर मिला है और उस पर आप किराए से कमाई कर रहे हैं तो किराए से होने वाली आय पर टैक्स देना पड़ेगा।
कैपिटल गैन टैक्स का भुगतानअब यह भी समझ ले कि यदि आप विरासत में मिली संपत्ति को बेचते हैं, तो इस मामले में आपको टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। यह टेक्स कैपिटल गैन के अंतर्गत आए लगाया जाएगा।
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