–पुस्तकें विनय, योग्यता और ज्ञान की कुंजी हैं : कुलसचिव राकेश कुमार
वाराणसी, 24 अप्रैल (हि.स.)। पुस्तकें ज्ञान का वह अथाह सागर हैं, जो हमें जीवन के सत्य पथ की ओर उन्मुख करती हैं। शास्त्रों में कहा गया है:
“विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनाद्धर्मं ततः सुखम्।।“
इस श्लोक की व्याख्या करते हुए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव राकेश कुमार ने कहा कि पुस्तकें ही वह साधन हैं, जो व्यक्ति को विनम्रता, योग्यता और आत्मिक समृद्धि प्रदान करती हैं।
विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में गुरुवार को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कुलसचिव राकेश कुमार ने कहा, “पुस्तकें जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन देती हैं। वे केवल ज्ञान की वाहक नहीं, बल्कि हमारे व्यक्तित्व निर्माण की आधारशिला भी हैं।”
–पढ़ने की आदत को बनाएं जीवन का हिस्सा
कुलसचिव ने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों से आह्वान किया कि वे पढ़ने की आदत को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। उन्होंने कहा, “पुस्तकें हमें सोचने की नई दिशा देती हैं और जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों तक ले जाती हैं। संस्कृत विश्वविद्यालय में हम निरंतर प्रयासरत हैं कि छात्र पुस्तकों की ओर आकर्षित हों और उन्हें जीवन का अभिन्न अंग बनाएं।”
–ग्रंथों का लोकार्पण एवं भेंट
इस अवसर पर प्रकाशन संस्थान की ओर से कुलसचिव राकेश कुमार को दो महत्वपूर्ण ग्रंथों की भेंट दी गई। कार्यक्रम में प्रो. गिरिजेश दीक्षित द्वारा संपादित दुर्गा सप्तशती ग्रंथ का लोकार्पण कुलसचिव ने किया। प्रकाशन संस्थान के निदेशक डॉ. पद्माकर मिश्र ने शास्त्रीय संदर्भों के माध्यम से पुस्तकों के महत्व को रेखांकित किया और छात्रों को नियमित अध्ययन की प्रेरणा दी।
—————
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
The post appeared first on .
You may also like
Only Google Can Operate Chrome at Its Current Level, Company Tells Court Amid Antitrust Battle
घर में रखी इन चीजों को कभी न छोड़ें खाली. बन सकती हैं वास्तु दोष का कारण ⤙
अगर कुत्ता करने लगी ऐसी हरकतें तो समझिये होने वाला है कोई बड़ा अपशगुन ⤙
दिल की बहुत अच्छी होती है ये नाम वाली महिलाएं ⤙
पहलगाम हमला: तीन ऐसे सवाल जिनके जवाब अब तक नहीं मिले