Top News
Next Story
Newszop

सैमसंग प्रबंधन भारत में कर्मचारी यूनियन क्यों नहीं शुरू करने दे रहा है?

Send Push
BBC सैमसंग इंडिया कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष मुथुकुमार का कहना है कि सैमसंग इंडिया देश के क़ानूनों का सम्मान नहीं करता

तमिलनाडु के चेन्नई से सटे उपनगर कांचीपुरम स्थित सैमसंग के प्लांट में बीते 28 दिनों से 900 से ज़्यादा कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं.

कर्मचारियों का कहना है कि सैमसंग इंडिया भारत सरकार के क़ानूनों का सम्मान नहीं कर रही है और इसके चलते ही समस्या बनी हुई है.

सैमसंग के प्रवक्ता ने यूनियन बनाने का विरोध करने का कोई कारण तो नहीं बताया लेकिन कहा है कि कंपनी श्रमिकों के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से वेतन, लाभ और कामकाज़ी परिस्थितियों सहित सभी मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है.

सैमसंग इंडिया कर्मचारी यूनियन (सीटू) के अध्यक्ष मुथुकुमार ने सैमसंग इंडिया के स्पष्टीकरण पर सवाल उठाए हैं. इन सबके बीच सैमसंग इंडिया प्रबंधन और राज्य सरकार के बीच अब तक हुई छह बैठकों में कोई नतीजा नहीं निकला है और कर्मचारियों की हड़ताल जारी है.

हालांकि छठे दौर की बातचीत के बाद सैमसंग इंडिया प्रबंधन मज़दूरों के यूनियन गठन की मांग को छोड़कर बाक़ी मांगें मानने को तैयार हो गई हैं.

छठे दौर की बातचीत में राज्य सरकार के श्रम कल्याण मंत्री सीवी गणेशन और उद्योग मंत्री टीआरबी राजा भी शामिल हुए थे.

दोनों मंत्रियों का कहना है कि सैमसंग इंडिया मज़दूरों की मांगों को मानने के लिए तैयार हो गया है लेकिन दूसरे मज़दूरों के यूनियन का कहना है कि राज्य सरकार भी सैमसंग प्रबंधन का साथ दे रही है.

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए ये भी पढ़ें-
क्या है सैमसंग के कर्मचारियों की समस्या image BBC सैमसंग के कर्मचारियों की हड़ताल

दरअसल, यह पूरा मुद्दा सैमसंग इंडिया के चेन्नई से सटे कांचीपुरम के चुंगवार चतरा प्लांट से जुड़ा है. कंपनी के भारत में नोएडा और कांचीपुरम में प्लांट हैं.

कांचीपुरम में सैमसंग इंडिया में 1800 से अधिक स्थायी कर्मचारी काम कर रहे हैं.

सैमसंग इंडिया अपने इन प्लांटों में वॉशिंग मशीन, रेफ्रिज़रेटर और टेलीविजन सहित घरेलू उपकरण बनाती है.

बीते जुलाई महीने में, श्रमिकों ने सीटू (सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स) के तहत कंपनी में एक यूनियन शुरू करने का फ़ैसला किया.

सैमसंग इंडिया प्रबंधन ने इसकी इजाज़त नहीं दी है. इसके विरोध में मज़दूर फैक्ट्री से दो किमी दूर एचुर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

यह दावा किया जा रहा है कि नौ सितंबर से चल रही हड़ताल के कारण सैमसंग इंडिया का यह प्लांट अपनी क्षमता का करीब 60 फ़ीसदी उत्पादन ही कर पा रहा है.

बातचीत में नहीं निकल रहा है हल

तमिलनाडु सरकार के श्रम कल्याण विभाग ने श्रमिकों की हड़ताल समाप्त करने के लिए सैमसंग इंडिया और यूनियन अधिकारियों के साथ बातचीत की लेकिन कोई समझौता नहीं हुआ है.

राज्य सरकार श्रम कल्याण मंत्री सीवी गणेशन और विभाग के शीर्ष अधिकारियों के बीच पांच बार बातचीत हो चुकी है लेकिन यह मामला अब तक सुलझता नहीं दिख रहा है.

सैमसंग इंडिया कर्मचारी यूनियन (सीटू) के अध्यक्ष मुथुकुमार ने कहा, "हड़ताल इसलिए जारी है क्योंकि सैमसंग इंडिया भारत के क़ानूनों का सम्मान नहीं करती है. राज्य सरकार भी उनका समर्थन कर रही है."

यूनियन शब्द पर आपत्ति image BBC सैमसंग कंपनी का कहना है कि बातचीत में यूनियन' शब्द को कभी स्वीकार नहीं करेंगे

मुथुकुमार कहते हैं, "दोनों पक्षों के लिए एक सहज समझौते पर पहुंचने के लिए बातचीत महत्वपूर्ण है. सैमसंग इंडिया इस पर सहमत होने से इनकार करता रहा है."

सैमसंग इंडिया के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन को लेकर कोर्ट में तीन मामले दायर किए गए हैं.

इसमें सैमसंग इंडिया ने दो मामले दायर किए हैं. एक मामला मद्रास उच्च न्यायालय में और दूसरा कांचीपुरम अतिरिक्त न्यायालय में लंबित है.

वहीं ट्रेड यूनियन के रजिस्ट्रेशन को लेकर सीटू की ओर से मद्रास हाई कोर्ट में केस दायर किया गया है.

इस बारे में बीबीसी तमिल से बात करते हुए मुथुकुमार ने कहा, ''पहले दो मामलों में कंपनी ने सैमसंग इंडिया लेबर यूनियन को अपना प्रतिद्वंद्वी बताया है. हम भी इसे यूनियन कह रहे हैं. लेकिन कंपनी प्रबंधन का कहना है कि बातचीत में 'यूनियन' शब्द को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.''

मुथुकुमार का आरोप है कि "सैमसंग इंडिया सरकारी विभाग की मौजूदगी में भारत सरकार के श्रम कल्याण क़ानूनों को नकार रही है. इससे इलाक़े का औद्योगिक माहौल प्रभावित हो रहा है."

image BBC कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हुए हैं 'आठ दिन का वेतन देने से इनकार'

मुथुकुमार कहते हैं कि कंपनी ने सूचित किया है कि वर्तमान में प्लांट अपनी क्षमता का 60 प्रतिशत उत्पादन कर रहा है. इस पर सवाल उठाते हुए वे कहते हैं, "75 प्रतिशत कर्मचारी प्लांट से बाहर हैं. ऐसे में इतना अधिक उत्पादन करना भी अवैध है."

उन्होंने कहा, "कोरिया में सैमसंग ने ऐसा ही किया है. उन्हें अपने देश में क़ानून तोड़ना पसंद है. भारत जैसे देश में क़ानून तोड़ना सही नहीं है."

सैमसंग इंडिया के ख़िलाफ़ हड़ताल नौ सितंबर को तब शुरू हुई, जब कंपनी प्रबंधन ने कर्मचारियों को एक से आठ सितंबर के आठ दिनों का वेतन देन से इनकार कर दिया था.

इस बीच सैमसंग इंडिया के कर्मचारियों ने पहली अक्टूबर को कांचीपुरम ज़िला कलेक्टरेट वाली सड़क पर रैली निकाली. इस रैली के दौरान स्थानीय विष्णुकांजी पुलिस ने 900 से अधिक कर्मचारियों को गिरफ़्तार कर मामला दर्ज किया.

इसके बाद सैमसंग इंडिया के कर्मचारियों ने दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर भूख हड़ताल भी की.

ट्रेड यूनियन एक्ट क्या कहता है? image Facebook सीटू के राज्य उप महासचिव एस कन्नन ने कहा कि फैक्ट्रियों में यूनियन शुरू करने की अनुमति आसानी से नहीं मिलती

बीबीसी तमिल ने वरिष्ठ वकील सत्यचंद्रन से बात करके यह जानने की कोशिश की है कि क्या विदेशी कंपनियां भारत सरकार के क़ानूनों का उल्लंघन कर सकती हैं, तो उन्होंने कहा, "किसी कारखाने में यूनियन का गठन संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत मौलिक अधिकारों में से एक है."

सत्यचंद्रन ने समझाते हुए कहा, "भारतीय ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 के अनुसार, एक फैक्ट्री एक यूनियन को पंजीकृत कर सकती है, अगर उसमें सात सदस्य हों.

इन सदस्यों के बीच में अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष, कार्यकारी समिति के सदस्यों के पद सृजित हों और यूनियन के लिए उपनियम भी तैयार हों."

सत्यचंद्रन कहते हैं, "कारखानों में यूनियन शुरू करना कोई समस्या नहीं है. लेकिन नियम कहता है कि नवीनीकरण के समय कुल कार्यबल का 10 प्रतिशत उपस्थित होना चाहिए.

देश के क़ानून भारत की सभी कंपनियों पर लागू होते हैं. सैमसंग इंडिया के साथ बातचीत इसलिए लंबी जा रही है क्योंकि क़ानून स्पष्ट है."

वहीं सीटू के राज्य उप महासचिव एस कन्नन का कहना है कि फैक्ट्रियों में यूनियन शुरू करने की अनुमति आसानी से नहीं मिलती है.

कन्नन ने कहा, "किसी फैक्ट्री में यूनियन शुरू करने के लिए आपको सरकार के ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को एक पत्र देना होगा. नियम यह है कि अनुमति 45 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. हालांकि, अनुमति प्राप्त करना इतना आसान नहीं है."

एस. कन्नन का कहना है कि कंपनी यूनियन के नाम के साथ 'सैमसंग' नाम रखने का विरोध कर रही है लेकिन कोरिया में कर्मचारियों के यूनियन 'नेशनल सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स एम्प्लॉइज यूनियन' के नाम से काम करती है.

एस कन्नन कहते हैं, "दिवाली और क्रिसमस जैसे त्योहार आ रहे हैं. घरेलू उपकरणों की बिक्री भी बढ़ेगी. ऐसे माहौल में सैमसंग के लिए कर्मचारियों की मांगें मानने से इनकार करना ठीक नहीं है."

क्या कांचीपुरम में 'सैमसंग' के अंदर ही समस्या है?

एस कन्नन कहते हैं, "सैमसंग इंडिया की तरह, कांचीपुरम में कुछ कंपनियों को यूनियन शुरू करने में परेशानी हुई है. वैसे अब यामाहा, जेके टायर्स, अपोलो टायर्स समेत 30 से अधिक निगमों ने सीटू यूनियन को मान्यता दी है."

उन्होंने यह भी बताया, "यामाहा में 55 दिनों की हड़ताल के बाद ही यूनियन को शुरू करने की अनुमति मिल पाई थी. लेकिन अब वहाँ कोई समस्या नहीं है. यूनियन सुचारू रूप से काम कर रही है."

श्रम कल्याण मंत्री का जवाब image Facebook श्रम कल्याण मंत्री सीवी गणेशन ने कहा कि कोई भी कंपनी क़ानून का सम्मान किए बिना अस्तित्व में नहीं रह सकती

बीबीसी तमिल से राज्य के श्रम कल्याण मंत्री सीवी गणेशन ने इस पूरे मामले पर कहा, "कोई भी कंपनी क़ानून का सम्मान किए बिना अस्तित्व में नहीं रह सकती. सभी को क़ानून का सम्मान करना चाहिए. हमने श्रमिकों और कंपनी के बीच एक सहज समझौते के प्रयास शुरू किए हैं."

सीवी गणेशन ने सरकार पर सैमसंग के पक्ष में काम करने के आरोप को ख़ारिज करते हुए कहा, 'जब विभाग का नाम श्रम कल्याण विभाग है तो यह प्रबंधन के पक्ष में कैसे काम कर सकता है?"

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री स्टालिन विदेशी कंपनियों को लाने के प्रयासों पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं.

सीवी गणेशन ने कहा, "हमें कंपनियों को बढ़ाना है और साथ ही, हम श्रमिकों को बचाने के लिए दृढ़ हैं. हम एक सुचारू समाधान स्थापित करेंगे, जिससे दोनों पक्षों को कोई नुकसान नहीं होगा."

कांचीपुरम में सैमसंग इंडिया के महाप्रबंधक पार्थिबन कहते हैं, ''हड़ताल ख़त्म करना कर्मचारियों पर निर्भर है.''

पार्थिबन ने कहा, "इस संबंध में आप सैमसंग इंडिया मुख्यालय को अपने सवाल भेज सकते हैं और वहाँ से जवाब मिल जाएंगे."

इसके बाद बीबीसी तमिल ने कर्मचारियों की ओर से लगाए जाने वाले आरोपों के संबंध में सैमसंग इंडिया के ईमेल पते पर सवाल भेजे.

सैमसंग इंडिया का पक्ष image BBC सैमसंग इंडिया ने कहा कि सैमसंग इंडिया में कर्मचारियों का औसत कार्यकाल 10 साल है

सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता ने इन सवालों के जवाब में कंपनी की ओर से विस्तृत स्पष्टीकरण भेजा है.

भारतीय क़ानूनों के उल्लंघन के आरोप पर सफ़ाई देते हुए सैमसंग इंडिया ने कहा, "हमारे कर्मचारियों का कल्याण सर्वोपरि है. हम दोहराते हैं कि हम सभी भारतीय क़ानूनों और प्रावधानों का पालन करते हुए काम कर रहे हैं."

सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता का कहना है, "सैमसंग इंडिया के चेन्नई प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों का मासिक वेतन अन्य कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन से क़रीब 1.8 गुना अधिक है."

बीबीसी तमिल को भेजे गए स्पष्टीकरण में सैमसंग इंडिया ने कहा कि कंपनी भारत में ओवरटाइम वेतन, रात्रि बस सुविधा, भोजन, स्वच्छता, कार्यस्थल सुरक्षा और कर्मचारी कल्याण के मामले में उच्च मानकों का पालन करता है.

सैमसंग इंडिया का दावा है कि उनका कांचीपुरम प्लांट इलाके के अन्य निर्माताओं की तुलना में बेहतर गुणवत्ता वाला है.

सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, "सैमसंग इंडिया में कर्मचारियों का औसत कार्यकाल 10 साल है और यह उनकी नौकरी से संतुष्टि का प्रमाण है."

'समाधान ढूंढने के लिए प्रतिबद्ध' - सैमसंग इंडिया

सितंबर महीने में आठ दिनों के वेतन का भुगतान करने से इनकार करने के बारे में पूछे जाने पर, सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, "हमने श्रमिकों को सूचित किया है कि काम नहीं तो वेतन नहीं की नीति के तहत अवैध हड़ताल अवधि के दौरान उन्हें भुगतान नहीं किया जाएगा."

कर्मचारियों की हड़ताल से उत्पादन पर असर के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "चेन्नई कारखाने में उत्पादन सुचारू रूप से चल रहा है. त्योहारों के सीजन को देखते हुए हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उपभोक्ताओं को कोई परेशानी न हो."

सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि वे श्रमिकों के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से वेतन, लाभ और कामकाज़ी परिस्थितियों सहित सभी मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

हालाँकि सैमसंग इंडिया ने किसी भी स्थान पर यूनियन की शुरुआत का विरोध करने का कोई कारण नहीं बताया.

सैमसंग इंडिया कर्मचारी यूनियन (सीटू) के अध्यक्ष मुथुकुमार सैमसंग इंडिया के स्पष्टीकरण पर सवाल उठाते हैं.

मुथुकुमार कहते हैं, "यह कहना सही नहीं है कि वे दूसरी कंपनी से अधिक वेतन देते हैं. कांचीपुरम में 1800 कर्मचारियों का औसत वेतन 32 हज़ार रुपये है. यहाँ की अन्य कंपनियों की तुलना में यह बहुत कम है. सैमसंग इंडिया प्रबंधन जो दावा कर रहा है, क्या वह इसे सही साबित करने के लिए साामग्री उत्पादन के कर्मचारियों के वेतन की जानकारी सार्वजनिक करेंगे."

मुथुकुमार कहते हैं, "कांचीपुरम सैमसंग इंडिया में कर्मचारियों को सालाना वेतन वृद्धि 10% भी नहीं है. कोरिया में एक कर्मचारी का वेतन लाखों में है. सैमसंग भारत में सस्ते कर्मचारियों का फ़ायदा उठा रहा है."

इस मुद्दे पर अब तक कोई सौहार्दपूर्ण समझौता नहीं होने के कारण हड़ताल जारी है. मुथुकुमार कहते हैं, "इसके बाद, हमने अन्य फ़ैक्ट्री श्रमिकों को हड़ताल में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है."

वह कहते हैं, "हम जिन अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, वह सभी कर्मचारियों के लिए एक समान है. अगर हमने अभी आवाज़ नहीं उठाई तो कल भी उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें ,, और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

image

You may also like

Loving Newspoint? Download the app now