भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के भारत के लड़ाकू विमान गिराने के दावे से जुड़े एक सवाल पर भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल अनिल चौहान के बयान को लेकर काफ़ी चर्चा हो रही है.
कुछ विशेषज्ञ सीडीएस के बयान की आलोचना कर रहे हैं जबकि, कुछ विशेषज्ञ अंतरराष्ट्रीय मीडिया और विदेश नीति जानकारों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं और उन पर 'पाकिस्तान के पक्ष में एक तरह का नैरेटिव गढ़ने' का आरोप लगा रहे हैं.
इसके अलावा उनके बयान पर राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रियाएं आई हैं. विपक्षी दल कांग्रेस ने सीडीएस के बयान को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की है और कुछ सवाल उठाए हैं.
सीडीएस अनिल चौहान शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लेने के लिए सिंगापुर में हैं और यहीं उन्होंने शनिवार को ब्लूमबर्ग टीवी और रॉयटर्स को दो अलग-अलग इंटरव्यू दिए.
से उन्होंने कहा था, "ये ज़रूरी नहीं कि विमान गिराया गया, ज़रूरी ये बात है कि ऐसा क्यों हुआ."
हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान की ओर से छह विमानों को नुक़सान पहुंचाए जाने के दावे को सिरे से ख़ारिज कर दिया था.
सीडीएस ने क्या कहा?
सीडीएस अनिल चौहान से ये पूछा गया था कि मई महीने में पाकिस्तान के साथ चार दिनों तक चले सैन्य संघर्ष में क्या भारत का कोई लड़ाकू विमान गिराया गया था.
ने इस इंटरव्यू का एक मिनट पांच सेकंड का एक हिस्सा अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया है.
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि ब्लूमबर्ग टीवी की पत्रकार ने जनरल अनिल चौहान से सवाल किया कि पाकिस्तान का दावा है कि उन्होंने भारतीय वायुसेना के एक से अधिक विमान को गिराया था, क्या वो इसकी पुष्टि कर सकते हैं.
इसका जवाब देते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहा, "ये ज़रूरी नहीं कि जेट गिराया गया, ज़रूरी ये बात है कि ऐसा क्यों हुआ."
इस पर पत्रकार ने उनसे एक बार फिर पूछा, "कम से कम एक जेट गिराया गया था, क्या ये सही है."
जनरल अनिल चौहान ने इस पर कहा, "अच्छी बात ये है कि हम अपनी टैक्टिकल ग़लतियां जान पाए, हमने उसे सुधारा और फिर उसके दो दिन बाद उसे लागू किया. इसके बाद हमने अपने सभी जेट उड़ाए और लंबी दूरी के ठिकानों को निशाना बनाया."
पत्रकार ने एक बार फिर कहा, "पाकिस्तान का ये दावा है कि भारत के छह लड़ाकू विमानों को गिराने में वो कामयाब रहा था, क्या उसका ये आकलन सही है?"
इसके जवाब में जनरल अनिल चौहान ने कहा, "ये बिल्कुल ग़लत है. लेकिन जैसा मैंने कहा ये जानकारी बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है. जो महत्वपूर्ण है वो ये है कि जेट क्यों गिरे और इसके बाद हमने क्या किया. ये हमारे लिए ज़्यादा ज़रूरी है."
सीडीएस जनरल अनिल चौहान के बयान पर रक्षा विशेषज्ञ सी उदय भास्कर ने कहा कि सीडीएस ने बहुत ही उचित जवाब दिया है.
उन्होंने , "सीडीएस जनरल चौहान ने जो कहा वह बहुत उचित है. क्योंकि भारत के लिए यह नुक़सान से ज़्यादा एक सामरिक नुक़सान था. हम इसका सामना कैसे करते हैं यह महत्व रखता है. अगर आप उनके बयान को देखेंगे तो उन्होंने कहा है कि हमने किस तरह उन ग़लतियों और खामियों पर क़ाबू पाया जिनके कारण यह नुक़सान हुआ."
उदय भास्कर ने कहा कि भारत ने इससे पहले भी प्रेस ब्रीफ़िंग में नुक़सान के बारे में बताया है. उन्होंने कहा, "अगर आप सेना के ब्रीफ़िंग को याद करें तो एयर मार्शल एके भारती ने कहा था कि नुक़सान होगा लेकिन हमें अपने उद्देश्य देखने होंगे."
उदय भास्कर ने कहा, "मुझे लगता है कि सीडीएस ने इसे सही दृष्टिकोण से रखा है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बात वो सिंगापुर में कह रहे हैं. शांगरी-ला डायलॉग एक बहुत ही महत्वपूर्ण सम्मेलन है जो क्षेत्र के सभी रक्षा मंत्रियों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को एक साथ लाता है."
वहीं सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने सीडीएस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह ख़राब कूटनीति है.
उन्होंने , "ख़राब सार्वजनिक कूटनीति. मोदी सरकार ने गैर-ज़रूरी तरीक़े से भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ को सिंगापुर भेजा, जहां उन्होंने रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में भारतीय लड़ाकू विमानों के नुक़सान को स्वीकार करके पाकिस्तान को प्रोपगेंडा विक्ट्री सौंप दी."
ब्रह्मा चेलानी ने लिखा कि "ऐसी स्वीकारोक्ति भारत की ज़मीन में की जानी चाहिए थी. साथ ही इस संघर्ष में पाकिस्तान को हुए नुक़सान के बारे में भारत को अपना आकलन बताना चाहिए."
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने समय से पहले सैन्य अभियान रोके जाने वाले नैरेटिव को रोकने के लिए रोड शो किए. लेकिन सीडीएस के बयान ने मोदी की कोशिशों को जटिल बना दिया है.
उन्होंने , "मोदी ने पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक जीत की कहानी को पुख्ता करने और सैन्य अभियान को समय से पहले ही रोकने की धारणा का खंडन करने के लिए रोड शो किए हैं. हालांकि, ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत पर व्यापार प्रतिबंध लगाने की धमकी देकर सैन्य संघर्ष को रोक दिया है. उनके इस दावे ने मोदी के प्रयासों को कमज़ोर कर दिया है."
उन्होंने आगे कहा, "अब भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ ने सिंगापुर में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू के ज़रिए संघर्ष के बाद की कहानी को कंट्रोल करने के मोदी के प्रयास को और जटिल बना दिया है."
वहीं, अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत रहे हुसैन हक़्क़ानी ने कहा कि एक सैनिक के तौर पर जनरल चौहान ने भारत को हुए नुक़सान को स्वीकार किया है.
हक़्क़ानी ने एक्स पर , "हार को स्वीकार ना करना संभवतः एक राजनीतिक निर्णय है. लेकिन एक सैनिक के तौर पर भारत के सीडीएस जनरल चौहान भारत को हुए नुक़सान को स्वीकार कर रहे हैं. वो कह रहे हैं कि उनका ध्यान इस बात पर है कि ऐसा क्यों हुआ. इसके अलावा एक अन्य मुद्दे के बारे में भी बात करते हैं कि उनकी हवाई सुरक्षा में सेंध लगाई गई थी."
हुसैन हक़्क़ानी के इस पोस्ट पर भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया और विदेश नीति समुदाय पाकिस्तानी प्रतिरोध और सफलता के नैरेटिव को गढ़ने में लगा है.
कंवल सिब्बल ने , "क्या पाकिस्तान ने उसके हवाई ठिकानों पर भारतीय वायु सेना के हमलों से हुए नुक़सान को स्वीकार किया, जिसके भारत ने सबूत भी दिए थे? क्या पाकिस्तान के फ़ील्ड मार्शल सैनिक नहीं हैं? क्या उन्हें सैनिक के तौर पर हुए नुक़सान को स्वीकार नहीं करना चाहिए?"
उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय मीडिया और विदेश नीति समुदाय का ध्यान सिर्फ़ भारत को हुए नुक़सान पर ही क्यों है? पूरा मुद्दा भारत की सफलता के दायरे को कमतर कर आंकने और पाकिस्तानी प्रतिरोध और सफलता के नैरेटिव को बनाने का है."
इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र के विशेषज्ञ डेरेक जे ग्रोसमैन ने 'अलजज़ीरा' की एक रिपोर्ट शेयर करते हुए , "चीन आज मुस्कुरा रहा है, क्योंकि भारत ने आख़िरकार स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान ने चीन के बनाए मिलिट्री सिस्टम का इस्तेमाल कर कम से कम एक भारतीय लड़ाकू विमान को गिराया था."
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीडीएस के बयान के बाद सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए सरकार से कुछ सवाल पूछे और कहा कि ये सवाल तभी पूछे जा सकते हैं जब तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए.
खड़गे ने , "मोदी सरकार ने देश को गुमराह किया है. अब धीरे-धीरे तस्वीर साफ़ हो रही है. कांग्रेस पार्टी कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति से हमारी रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग करती है."
समाजवादी पार्टी के सांसद विरेंद्र सिंह ने कि "चीफ़ ऑफ़ डिफे़न्स स्टॉफ़ एक बहुत ही ज़िम्मेदार पद है और हमें सीडीएस के बयान को गंभीरता से लेना चाहिए."
वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वो ये मानकर चल रहे हैं कि जो बातें सिंगापुर में कही गईं उनका विश्लेषण होगा.
जयराम रमेश ने , "हमारे सीडीएस जनरल चौहान ने सिंगापुर में बहुत सारी चीज़ें कही हैं. हम चाहते थे कि यही बात रक्षा मंत्री सर्वदलीय बैठक में कहें. हम चाहते थे कि यही बात प्रधानमंत्री लोकसभा और राज्यसभा में बोलें, लेकिन हमें सिंगापुर से ख़बरें मिलती हैं. हम मानकर चल रहे हैं कि इसका विश्लेषण और गहरा अध्ययन होगा."
उन्होंने कहा, "कारगिल युद्ध के तीन दिन बाद तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने चार सदस्यों की कारगिल रिव्यू समिति का गठन किया. इस समिति ने 15 दिसंबर 1999 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी और 23 फ़रवरी 2000 को ये रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी. 150 पचास पन्नों की इस रिपोर्ट में विश्लेषण हुआ था कि हमने क्या सबक सीखा, वास्तविकता क्या थी और आगे के लिए हमें क्या करना है?"
"हम मानकर चल रहे हैं कि इस पर चर्चा होगी, संसद में बहस होगी. प्रधानमंत्री को विपक्ष को भी विश्वास में लेना चाहिए."

बीजेपी और सरकार में उसके सहयोगी दलों ने विपक्षी नेताओं के सवालों के जवाब में सीडीएस और सरकार का बचाव किया.
बीजेपी नेता अजय आलोक ने , "हमारे सीडीएस ने साफ़-साफ़ पाकिस्तान के दावे को नकार दिया कि हमारे छह जेट्स गिराए गए. लेकिन हमारे विपक्ष को यह सुनकर संतोष नहीं होगा."
"उन्हें इस बात में दिलचस्पी नहीं है कि पाकिस्तान के 11 एयरबेस हमारे जेट्स ने तबाह कर दिए, उनके घर में घुसकर. पहली बार पंजाब में खै़बर पख़्तूनख़्वा तक हमारे जेट्स घुसकर गए, सिंध तक गए और बम और मिसाइल गिराकर आए. हमारे ब्रम्होस वहां तक पहुंच गए. उन्हें ये जानने में दिलचस्पी नहीं है."
अजय आलोक ने कहा, "विपक्ष को दिलचस्पी है कि हमारे कितने विमान गिरे. तो ये पाकिस्तान की भाषा है कि नहीं?"
वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि विपक्ष को अपने रवैये पर विचार करना चाहिए और 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर सवाल नहीं खड़े करना चाहिए.
राजीव रंजन प्रसाद ने , "भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को जमींदोज़ किया और 100 से ज़्यादा आतंकवादियों को मारा. यह भारत की एक बड़ी जीत है."
उन्होंने कहा, "जो लोग भी किसी ना किसी तरीक़े से कुछ ऐसा निकालकर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं और ऐसे समय में जब सभी दलों के सांसद दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में मज़बूती के साथ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की बात कर रहे हैं, उन वजहों की बात कर रहे हैं जिसकी वजह से यह ऑपरेशन करना पड़ा. तो निसंदेह इस पूरे घटनाक्रम पर विपक्ष को अपने रवैये पर विचार करना चाहिए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित