रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल के नेता बिहार के सासाराम में चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हुए एक रैली को संबोधित कर रहे थे.
इसके कुछ ही मिनटों के बाद सासाराम से क़रीब 900 किलोमीटर दूर देश की राजधानी दिल्ली में चुनाव आयोग की तरफ़ से इन आरोपों पर जवाब देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की गई.
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर 'वोट चोरी' कर रहे हैं और 'बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (एसआईआर) वोट चोरी करने की कोशिश' है.
रविवार को ही चुनाव आयोग की तरफ़ से प्रेस कॉन्फ़्रेंस की गई और विपक्षी राजनीतिक दलों के 'वोट चोरी' से जुड़े आरोपों के जवाब दिए गए.
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मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "कानून के तहत हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन से ही होता है, तो फिर चुनाव आयोग उन्हीं राजनीतिक दलों में भेदभाव कैसे कर सकता है."
ज्ञानेश कुमार का कहना है कि चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति की जा रही है और राहुल गांधी को हलफ़नामा देना होगा या देश से माफ़ी मांगनी होगी.
आयोग की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद कांग्रेस ने कहा कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष के उठाए सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया गया.
1. बिहार चुनाव से ठीक पहले एसआईआर क्यों?रविवार को सासाराम में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार चुनाव से ठीक पहले बीजेपी चुनाव आयोग के साथ मिलकर वोट देने का अधिकार छीन रही है.
राहुल गांधी ने कहा, "इनकी आख़िरी साजिश ये है कि बिहार में एसआईआर करके नए वोटरों को जोड़कर, वोटरों को काटकर ये (बीजेपी-आरएसएस) बिहार का चुनाव चोरी करें. हम इन्हें यह चुनाव चोरी नहीं करने देंगे."
चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया को चोरी या हड़बड़ी में कराने जैसी बातें कहकर भ्रम फैलाया जा रहा है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "मतदाता सूची चुनाव से पहले सही करनी चाहिए या चुनाव के बाद सही करनी चाहिए? ज़ाहिर सी बात है- चुनाव से पहले. यह बात चुनाव आयोग नहीं कह रहा है, यह लोकप्रतिनिधित्व क़ानून कह रहा है कि हर चुनाव से पहले आपको मतदाता सूची शुद्ध करनी होगी. यह चुनाव आयोग का क़ानूनी दायित्व है."
आरजेडी की तरफ़ से यह सवाल उठाया गया था कि एसआईआर की प्रक्रिया ऐसे समय में क्यों की जा रही है जब बिहार में बाढ़ आई हुई है. इसके अलावा रविवार को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी पत्रकारों ने चुनाव आयोग से यह सवाल पूछा था.
इस पर आयोग ने कहा, "बिहार में 2003 में भी एसआईआर हुआ था और उसकी तारीख़ थी 14 जुलाई से 14 अगस्त. तब भी सफलतापूर्वक हुआ था और इस बार भी सफलतापूर्वक हुआ है."
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एपिक को लेकर चुनाव आयोग ने दो तरह की 'समस्याएं' बताई हैं-
चुनाव आयोग का दावा है कि देश में लगभग तीन लाख लोग ऐसे हैं जिनकी एपिक संख्या मिलती-जुलती थी. इसके बाद उनकी एपिक संख्या में बदलाव किया गया ताकि एपिक संख्या एक न हो.
ज्ञानेश कुमार कहते हैं, "दूसरी तरह की डुप्लिकेसी ऐसे आती है जब एक ही व्यक्ति का एक से ज़्यादा जगहों की मतदाता सूची में नाम हो और उसका एपिक नंबर अलग हो. अर्थात व्यक्ति एक, एपिक अनेक."
चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसी स्थिति इसलिए हुई क्योंकि व्यक्ति ने अपनी जगह बदल ली लेकिन पुरानी लिस्ट से अपना नाम नहीं हटवाया.
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कुछ उदाहरण देते हुए सवाल उठाया था कि ऐसे मतदाताओं का नाम चुनाव आयोग दूसरी जगहों से क्यों नहीं हटाता है?
इस पर चुनाव आयोग ने कहा, "चुनाव आयोग किसी के कहने से किसी का नाम नहीं काट सकता क्योंकि एक ही नाम के कई लोग होते हैं. इसलिए इसे जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता है. व्यक्ति चाहे तो ख़ुद नाम हटा सकता है या एसआईआर के ज़रिए इसे सही किया जा सकता है."
राहुल गांधी ने दावा किया था कि 2024 के लोकसभा और महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर हुआ, जिससे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को फ़ायदा हुआ.
विशेष रूप से, उन्होंने बेंगलुरु की महादेवपुरा विधानसभा में एक लाख से ज़्यादा फ़र्ज़ी वोटर और कई अमान्य पतों का आरोप लगाया था.राहुल गांधी ने डुप्लिकेट वोटरों (जैसे, एक ही व्यक्ति का कई राज्यों में वोटर के रूप में रजिस्ट्रेशन) और गलत पतों (जैसे, एक छोटे कमरे में सैकड़ों वोटर) के उदाहरण दिए थे.
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को 'निराधार' और 'ग़ैर-ज़िम्मेदाराना' बताते हुए ख़ारिज किया है. आयोग ने कहा कि 'वोट चोरी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करोड़ों मतदाताओं और लाखों चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर हमला है.
महाराष्ट्र को लेकर चुनाव आयोग ने कहा कि समय रहते जब ड्राफ़्ट सूची थी तो आपत्ति दर्ज क्यों नहीं कराई और नतीजों के बाद ही गड़बड़ी की बात सामने आ गई.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जीरो हाउस नंबर वाले आरोप पर चुनाव आयोग ने कहा, "जिन लोगों के पास घर नहीं होता लेकिन उसका नाम मतदाता सूची में होता है. तो उसका पता वह होता है जहां वह रात को सोने के लिए आता है. कई बार सड़क के किनारे या कई बार पुल के नीचे. अगर उन्हें फ़र्ज़ी मतदाता कहा जाए तो यह उन ग़रीब भाइयों, बहनों और बुजुर्ग मतदाताओं के साथ एक खिलवाड़ है."
"करोड़ों लोगों के घरों के आगे जीरो नंबर हैं क्योंकि पंचायत, नगर निगम ने उनके घर का नंबर नहीं लिया है. शहरों में अनधिकृत कॉलोनियां हैं जहां उन्हें नंबर नहीं मिला है. तो वो अपने फ़ॉर्म में क्या पता भरें? इस पर चुनाव आयोग के निर्देश कहते हैं कि अगर ऐसा कोई भी मतदाता है तो चुनाव आयोग उसके साथ खड़ा है और उसे नोशनल नंबर देगा. इसे कंप्यूटर में जब भरते हैं तो यह ज़ीरो दिखता है."
आयोग का कहना है कि वोटर बनने के लिए पते से ज़्यादा 18 वर्ष की आयु और नागरिकता आवश्यक है.
4. मुझसे ही एफ़िडेविट क्यों मांगा: राहुल गांधीराहुल गांधी बार-बार यह कह रहे हैं कि चुनाव आयोग सिर्फ़ उनसे शपथ पत्र मांग रहा है.
रविवार को बिहार में भी उन्होंने यह बात उठाई. राहुल गांधी ने कहा, "चुनाव आयोग ने मुझसे एफ़िडेविट मांगा है और किसी से एफ़िडेविट नहीं मांगा. कुछ समय पहले बीजेपी के लोग प्रेस कॉन्फ़्रेंस करते हैं तो उनसे कोई एफ़िडेविट नहीं मांगा है. मुझसे कहते हैं कि आप एफ़िडेविट दो कि आपने जो डेटा रखा है वो सही है. उन्हीं (चुनाव आयोग) का डेटा है और मुझसे एफ़िडेविट मांग रहे हैं."
चुनाव आयोग का इस पर कहना है कि अगर आप संबंधित इलाक़े के वोटर नहीं तो आपको शपथ पत्र देना होगा.
ज्ञानेश कुमार ने कहा, "जहां आप गड़बड़ी की बात कर रहे हैं और आप उस विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक नहीं है तो क़ानून के मुताबिक़ आपको शपथ पत्र देना होगा. आप गवाह के तौर पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफ़िसर को आपको एक शपथ देनी होगी और वह शपथ जिस व्यक्ति के ख़िलाफ़ आपने शिकायत की है, उसके सामने दर्ज करानी होगी. यह क़ानून कई साल पुराना है और सबके लिए समान तरह से लागू है."
मुख्य चुनाव आयोग का कहना है, "हलफनामा देना होगा या देश से माफ़ी मांगनी होगी. कोई तीसरा विकल्प नहीं है. अगर सात दिनों के अंदर हलफ़नामा नहीं मिलता है तो इसका मतलब है कि ये सभी आरोप निराधार हैं."
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि चुनाव आयोग ने विपक्ष के सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया है.
पवन खेड़ा ने कहा, "क्या ज्ञानेश गुप्ता (मुख्य चुनाव आयुक्त) ने उन एक लाख वोटर्स के बारे में कोई जवाब दिया जिन्हें हमने महादेवपुरा में बेनकाब किया था? नहीं दिया."
उन्होंने कहा, "हमने उम्मीद की थी आज ज्ञानेश कुमार हमारे प्रश्नों के उत्तर देंगे...ऐसा लग रहा था कि (प्रेस कॉन्फ्रेंस में) बीजेपी का एक नेता बोल रहा है."
वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मौजूद थे. उनका मानना है कि फिलहाल जो सफ़ाई चुनाव आयोग ने दी है उससे यह मुद्दा ख़त्म होते नहीं दिखाई दे रहा है.
बीबीसी से बातचीत में परंजॉय गुहा ठाकुरता कहते हैं, "प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कुछ सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं मिले हैं. जैसे- मैंने पूछा कि क्या ये सच है कि महाराष्ट्र में आपने 40 लाख नए लोगों को शामिल किया? इस पर आयोग ने कहा कि उस समय किसी ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी. मैंने एक और सवाल पूछा कि क्यों लोगों से ज़्यादा नाम मतदाता सूची में थे तो इसका जवाब मुझे नहीं मिला."
"इस तरह के कई और सवाल हैं जिनके स्पष्ट जवाब नहीं मिले हैं इसलिए अभी विपक्ष 'वोट चोरी' के मुद्दे से पीछे नहीं हटेगा."
वरिष्ठ पत्रकार स्मिता गुप्ता का मानना है कि कम-से-कम बिहार चुनाव तक विपक्ष की ओर से यह मुद्दा ख़त्म नहीं होगा.
स्मिता गुप्ता कहती हैं, "चुनाव आयोग ने बिहार ड्राफ्ट लिस्ट से क़रीब 65 लाख मतदाता हटाए हैं. यह एक बड़ी संख्या है और विपक्षी दल इसे लगातार मुद्दा बना रहे हैं. आज बिहार में हुई इंडिया गठबंधन की रैली इसका उदाहरण है. महाराष्ट्र को लेकर राहुल गांधी ने सवाल खड़े किए थे जो आज भी बरकरार हैं. इसलिए चुनाव आयोग कुछ भी कहे विपक्ष इसे बिहार चुनाव में मुद्दा ज़रूर बनाएगा."
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी राहुल गांधी के आरोपों को संस्थागत के साथ राजनीतिक प्रश्न भी मानते हैं इसलिए उनका कहना है कि यह मुद्दा इतनी आसानी से नहीं बदलेगा.
बीबीसी से बातचीत में प्रमोद जोशी बताते हैं, "राहुल गांधी के आरोप चुनाव आयोग और सरकार, दोनों पर हैं. लेकिन जवाब सिर्फ़ चुनाव आयोग ने दिए हैं. आयोग का कहना है कि राहुल गांधी सात दिन के अंदर हलफ़नामा दाखिल करें लेकिन मुझे लगता है कि राहुल गांधी ऐसा नहीं करेंगे. ये मामला राजनीतिक ज़मीन पर भी लड़ा जाएगा और इतनी आसानी से इंडिया गठबंधन वाले नहीं मानेंगे."
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सात अगस्त को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे.
उन्होंने दावा किया था कि लोकसभा चुनावों, महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में 'वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर धांधली' की गई.
इसके लगभग एक हफ़्ते बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो उन 65 लाख मतदाताओं की लिस्ट जारी करे, जो ड्राफ़्ट लिस्ट में शामिल नहीं किए गए हैं.
राहुल गांधी के आरोपों के लगभग दो हफ़्ते बाद चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की है. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय पर हुई जब बिहार में इंडिया गठबंधन के दल 'वोट चोरी' के ख़िलाफ़ रैली कर रहे थे.
परंजॉय गुहा ठाकुरता कहते हैं, "चुनाव आयोग आज से पहले इस तरह कभी प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने सामने नहीं आया था. आज ही बिहार में इंडिया गठबंधन की रैली हो रही है. इससे भी अहम है जब इस महीने की 14 तारीख़ को सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से निर्वाचन आयोग को डांटते हुए कहा कि लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख लोगों के नाम सार्वजनिक कीजिए. इस तरह से दीजिए कि लोग मशीन से रीडेबल सर्च कर सकें."
वहीं प्रमोद जोशी का मानना है कि चुनाव आयोग के जवाब को राजनीतिक संदर्भ में देखने की ज़रूरत है.
प्रमोद जोशी बताते हैं, "टाइमिंग की बात करें तो निश्चित रूप से चुनाव आयोग का जवाब भी राजनीतिक है. जैसे राहुल गांधी या उनकी पार्टी इसे बिहार में राजनीतिक बना रही है तो ठीक उसी तारीख़ को सरकार की ओर से चुनाव आयोग ने अपना पक्ष सामने रखा है."
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