जिले का सूरतगढ़ क्षेत्र पाकिस्तान सीमा के निकट सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां एयरफोर्स स्टेशन व सैन्य छावनी के साथ ही बिरधवाल हेड पर सेना का आयुध डिपो भी है। 24 मई 2001 को इस डिपो में भीषण आग लगने से 8 किलोमीटर के दायरे में खेतों, नहरों व रेत के टीलों में बम व रॉकेट बिखर गए थे। पिछले एक दशक में 80 से अधिक जिंदा बम व रॉकेट मिल चुके हैं, जो क्षेत्र के लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। इसी वर्ष 25 जनवरी को इंदिरा गांधी नहर की आरडी 236 के पास बम मिला था।
बिना फटे खेतों में दबा दिए गए बम
2001 में लगी आग में बिना फटे खेतों में दबा दिए गए बम व रॉकेट। सेना ने तलाशी अभियान चलाया, लेकिन कई बम अभी भी रेत में छिपे हुए हैं। किसानों को खेती के दौरान ये बम मिलते रहते हैं, जो जान-माल के लिए खतरा बने हुए हैं। 2023 में इंदिरा गांधी नहर की री-लाइनिंग के दौरान एक साथ 15 रॉकेटनुमा बम मिले थे। सेना की टीम ने बमों को महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में ले जाकर निष्क्रिय कर दिया।
किस वर्ष कितने बम और रॉकेट मिले
2008- 03
2009- 03
2011- 04
2013- 04
2014- 02
2015- 07
2016- 04
2017- 07
2018- 09
2019- 05
2020- 03
2021- 13
2022- 03
2023- 19
2024-25- 05
हादसों ने बढ़ाई चिंता
12 सितंबर 2013 को 5 एलएल का एक बालक बकरियां चराते समय खेत में मिले जिंदा मोर्टार बम को सूरतगढ़ के गोदाम में ले आया। बम तोड़ते समय विस्फोट होने से बालक और एक बकरी की मौत हो गई।इन मुद्दों पर सूरतगढ़ के डीएसपी प्रतीक मील का कहना है कि क्षेत्र में कभी-कभार सेना के बम मिल जाते हैं। क्षेत्र में जमीन में दफनाए गए बमों को हटाने के लिए सेना को सूचित कर दिया गया है।
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