आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल युग ने जहां जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है, वहीं शिक्षा जगत भी इससे अछूता नहीं रहा। कोविड काल के बाद ऑनलाइन शिक्षा ने तकनीक को पढ़ाई का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। लेकिन इस बढ़ते तकनीकी इस्तेमाल को लेकर शिक्षकों की चिंता भी सामने आने लगी है।
शिक्षकों का मानना है कि तकनीक ने अध्ययन और अध्यापन को आसान बना दिया है। विद्यार्थी कहीं भी बैठकर जानकारी हासिल कर सकते हैं और शिक्षक भी डिजिटल टूल्स के माध्यम से पढ़ाई को रोचक बना सकते हैं। मगर साथ ही, तकनीक पर अति-निर्भरता नई समस्याओं को जन्म दे रही है।
कई शिक्षक मानते हैं कि गूगल और अन्य ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर हर सवाल का जवाब तलाशने की आदत ने विद्यार्थियों को किताबों से दूर कर दिया है। यह प्रवृत्ति चिंताजनक है क्योंकि किताबें केवल जानकारी का स्रोत नहीं, बल्कि गहन अध्ययन और आलोचनात्मक सोच का माध्यम भी होती हैं। शिक्षक कहते हैं कि जब विद्यार्थी तुरंत जवाब पा लेते हैं, तो वे गहराई में जाने से बचते हैं।
शिक्षाविदों का कहना है कि कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन क्लासेज ने शिक्षा को बचाने का काम किया। लेकिन इसके साथ ही विद्यार्थियों की तकनीक पर निर्भरता भी बढ़ी। अब स्थिति यह है कि कई बार छात्र बिना पढ़े ही ‘कॉपी-पेस्ट’ तरीके से असाइनमेंट पूरा कर लेते हैं। इस प्रवृत्ति से उनकी सृजनात्मकता और मौलिकता प्रभावित हो रही है।
एक शिक्षक ने कहा, “तकनीक सहायक सामग्री के रूप में तो बेहद कारगर है, लेकिन यदि विद्यार्थी और शिक्षक इस पर पूरी तरह आश्रित हो जाएं तो यह शिक्षा की गुणवत्ता पर असर डालेगा।” उनका मानना है कि तकनीक का इस्तेमाल सीमित और संतुलित तरीके से होना चाहिए।
दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञ इसे सकारात्मक भी मानते हैं। उनका कहना है कि तकनीक से विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर संसाधन और ज्ञान तक पहुंच मिल रही है। आज के दौर में छात्र केवल किताबों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे नए शोध और आधुनिक जानकारी तक पहुंच बना रहे हैं। यह शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने में सहायक हो सकता है।
फिर भी, अधिकांश शिक्षकों का मानना है कि पारंपरिक अध्ययन पद्धति और तकनीक के बीच संतुलन जरूरी है। किताबों से दूर होना या तकनीक पर पूर्ण विश्वास कर लेना दोनों ही नुकसानदेह हैं। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य विद्यार्थियों में तर्कशक्ति, जिज्ञासा और गहन अध्ययन की आदत डालना है। अभी जरूरत है कि विद्यार्थी और शिक्षक तकनीक को सहायक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करें, लेकिन इसकी छाया में किताबों और पारंपरिक पढ़ाई को भुला न दें। तभी शिक्षा का संतुलित और सार्थक स्वरूप सामने आएगा।
You may also like
सुरसंड विधानसभा पर जदयू का दबदबा, तीन चुनावों में दो बार जीत हासिल की
सीटों के बंटवारे पर जल्द होगी घोषणा: मुकेश सहनी
निफ्टी 50 के इस ऑटो स्टॉक में तूफानी तेज़ी, आरएसआई कह रहा है ओवर बॉट है स्टॉक, क्या प्रॉफिट बुकिंग आएगी, देखें लेवल
इंस्पेक्टर झेंडे: चार्ल्स शोभराज को दो बार पकड़ने वाले अधिकारी, जिनके लिए राजीव गांधी ने रुकवाई अपनी गाड़ी
जमात-ए-इस्लामी ने अमरीकी टैरिफ को अन्यायपूर्ण और संरक्षणवादी बताया