मुंबई। मुंबई में आज से गणेशोत्सव की धूम शुरू हो गई है। गणेश चतुर्थी के दिन शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख और अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के शिवाजी पार्क स्थित घर 'शिवतीर्थ' पहुंचे और गणपति बप्पा के दर्शन किए। इस मौके पर उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे और बेटे आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। यह मुलाकात सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक मायनों से भी बेहद अहम मानी जा रही है।
गौरतलब है कि उद्धव और राज ठाकरे 20 वर्षों से अधिक समय से अलग-अलग राजनीतिक राह पर चल रहे थे। लेकिन एक बार फिर गणेशोत्सव के बहाने दोनों परिवार एक साथ आए हैं। राजनीतिक गलियारों में इसे ठाकरे परिवार की घर वापसी के तौर पर देखा जा रहा है। दशकों बाद दोनों परिवारों के बीच नजदीकियां बढ़ती दिखाई दे रही है।
दोनों परिवारों के बीच हुई ये मुलाकात ऐसे समय पर हुई, जब मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव नजदीक हैं। बीएमसी को महाराष्ट्र की राजनीति का मिनी विधानसभा माना जाता है। जाहिर है, ठाकरे परिवार की नजदीकी से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। विरोधियों की भी इस मुलाकात पर नजरें टिकी हुई हैं। गणेशोत्सव के दौरान हुई यह मुलाकात परिवारिक रिश्तों को फिर से जोड़ने का संकेत देती है।
इसी साल जुलाई महीने में उद्धव और राज ठाकरे करीब 20 साल बाद एक साथ मंच साझा करते नजर आए थे। वर्ली के डोम में आयोजित उस रैली में दोनों ने राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले का विरोध किया था। जनता के दबाव और घोर विरोध के चलते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह निर्णय वापस लेना पड़ा। जुलाई में राज उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की बधाई देने उनके 'मातोश्री' घर पहुंचे थे।
राज ठाकरे ने रैली में कहा था कि महाराष्ट्र की अहमियत किसी भी तरह की राजनीति से कहीं ज्यादा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि जो काम कभी बालासाहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए, उसे देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया। लेकिन स्थानीय राजनीति में ठाकरे बंधुओं के साथ आने का कितना गहरा असर होगा, यह आने वाले वक्त में साफ हो जाएगा। फिलहाल, इतना तय है कि ठाकरे परिवार की इस नजदीकी ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल जरूर पैदा कर दी है।
पहले दिए थे साथ रहने के संकेत
बता दें कि राज ठाकरे ने दो दशक पहले शिवसेना छोड़ दी थी। 2005 में शिवसेना छोड़ने के बाद उन्होंने 'महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना' (मनसे) बनाई थी। हिंदी बनाम मराठी भाषा विवाद के बाद दोनों भाई एक साथ आए थे। बीएमसी के चुनावाें में इस बार ठाकरे भाईयों के साथ रहने की अटकलें लग रही हैं। राज ठाकरे कह चुके हैं कि महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। उद्धव के साथ आने पर राज ठाकरे ने कहा था कि 20 साल बाद, उद्धव और मैं एक साथ आए हैं। जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया। हम दोनों को एक साथ लाने का काम। अब दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को गठबंधन के ऐलान का इंतजार है।
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